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अपनी भूमिका स्पष्ट कराने के लिए दाखिल की थी रिव्यू पिटीशन: निर्मोही अखाड़ा

अयोध्या भूमि विवाद पर दाखिल 18 पुनर्विचार याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट के द्वारा खारिज कर दिया गया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्मोही अखाड़े की पैरवी करने वाले एडवोकेट रंजीत लाल वर्मा ने कहा कि हमने अपनी भूमिका को स्पष्ट कराने के लिए रिव्यू पिटीशन दाखिल की थी.

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निर्मोही अखाड़ा के वकील रंजीत लाल वर्मा.
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Published : Dec 12, 2019, 10:36 PM IST

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को फैसला दिया था. इस फैसले में कोर्ट ने मुस्लिम पक्षों को 5 एकड़ की जमीन देने का आदेश दिया था, वहीं श्री रामलला के पक्ष में संपूर्ण जमीन का स्वामित्व आया था. इस मामले पर हिंदू और मुस्लिम सभी पक्षकारों ने फैसले को स्वीकार किया, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें यह फैसला मंजूर नहीं था. वहीं इस पूरे वाकये में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भूमिका प्रमुख रही.

निर्मोही अखाड़े के वकील से बातचीत करते संवाददाता.

वहीं कुछ ऐसे भी लोग और संगठन थे, जिन्होंने इस फैसले को स्वीकार किया, लेकिन उन्हें इसमें कुछ शब्दावली को लेकर संशोधन चाहिए था, जिसमें मुख्य तौर पर निर्मोही अखाड़ा रहा. निर्मोही अखाड़े की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट रंजीत लाल वर्मा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत कर अपना पक्ष रखा.

इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें शुरू से ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर था, लेकिन कोर्ट ने अपने पूरे फैसले में महत्वपूर्ण दो स्थानों पर कहा कि निर्मोही अखाड़े को विशेष दर्जा देते हुए इसे ट्रस्ट में मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं बताया कि वह महत्वपूर्ण पद या मैनेजमेंट में वह महत्वपूर्ण भूमिका क्या होगी, यह स्पष्ट नहीं था.

रंजीत लाल वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जिस वक्त हमने मुकदमा दायर किया, उस वक्त कोई भी सामने नहीं था. कानूनी तौर पर हम इसके वारिस थे और जमीन भी हमारे हक में हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट ने भी दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया, हमें वह भी मंजूर है.

ये भी पढ़ें: अयोध्या भूमि विवाद : SC ने खारिज कीं सभी 18 पुनर्विचार याचिकाएं

उन्होंने बताया कि पीएम मोदी को हमारी ओर से पत्र लिखा गया है कि ट्रस्ट में हमारी भूमिका क्या होगी, कृपया कर इसे स्पष्ट करें. कोर्ट के आदेश की प्रति को हमने लगाते हुए यह भी कहा है कि मैनेजमेंट कमेटी में जो महत्वपूर्ण पद दने का आदेश दिया गया है तो वह या तो हमें अध्यक्ष बनाएं या तो महामंत्री का दर्जा दें. हालांकि कमेटी अभी फाइनल नहीं हुई है. जैसे ही फाइनल होगी, उसके बाद फिर हम अपनी प्रतिक्रिया देंगे. साथ ही यह भी कहा कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर के जल्द निर्माण को लेकर है.

अयोध्या: श्रीराम जन्मभूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को फैसला दिया था. इस फैसले में कोर्ट ने मुस्लिम पक्षों को 5 एकड़ की जमीन देने का आदेश दिया था, वहीं श्री रामलला के पक्ष में संपूर्ण जमीन का स्वामित्व आया था. इस मामले पर हिंदू और मुस्लिम सभी पक्षकारों ने फैसले को स्वीकार किया, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें यह फैसला मंजूर नहीं था. वहीं इस पूरे वाकये में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भूमिका प्रमुख रही.

निर्मोही अखाड़े के वकील से बातचीत करते संवाददाता.

वहीं कुछ ऐसे भी लोग और संगठन थे, जिन्होंने इस फैसले को स्वीकार किया, लेकिन उन्हें इसमें कुछ शब्दावली को लेकर संशोधन चाहिए था, जिसमें मुख्य तौर पर निर्मोही अखाड़ा रहा. निर्मोही अखाड़े की ओर से पैरवी करने वाले एडवोकेट रंजीत लाल वर्मा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत कर अपना पक्ष रखा.

इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें शुरू से ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर था, लेकिन कोर्ट ने अपने पूरे फैसले में महत्वपूर्ण दो स्थानों पर कहा कि निर्मोही अखाड़े को विशेष दर्जा देते हुए इसे ट्रस्ट में मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं बताया कि वह महत्वपूर्ण पद या मैनेजमेंट में वह महत्वपूर्ण भूमिका क्या होगी, यह स्पष्ट नहीं था.

रंजीत लाल वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि जिस वक्त हमने मुकदमा दायर किया, उस वक्त कोई भी सामने नहीं था. कानूनी तौर पर हम इसके वारिस थे और जमीन भी हमारे हक में हाईकोर्ट और लोअर कोर्ट ने भी दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया, हमें वह भी मंजूर है.

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उन्होंने बताया कि पीएम मोदी को हमारी ओर से पत्र लिखा गया है कि ट्रस्ट में हमारी भूमिका क्या होगी, कृपया कर इसे स्पष्ट करें. कोर्ट के आदेश की प्रति को हमने लगाते हुए यह भी कहा है कि मैनेजमेंट कमेटी में जो महत्वपूर्ण पद दने का आदेश दिया गया है तो वह या तो हमें अध्यक्ष बनाएं या तो महामंत्री का दर्जा दें. हालांकि कमेटी अभी फाइनल नहीं हुई है. जैसे ही फाइनल होगी, उसके बाद फिर हम अपनी प्रतिक्रिया देंगे. साथ ही यह भी कहा कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर के जल्द निर्माण को लेकर है.

Intro:अयोध्या. 9 नवंबर 2019 को श्री राम जन्म भूमि मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देकर मुस्लिम पक्षों को 5 एकड़ की जमीन देने का आदेश दिया था, वही श्री राम लला के पक्ष में संपूर्ण जमीन का स्वामित्व आया था। इस मामले पर हिंदू और मुस्लिम सभी पक्षकारों ने फैसले को स्वीकार किया था लेकिन कुछ सभी लोग ऐसे भी थे, जिन्हें यह फैसला मंजूर नहीं था, जिसमे आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड प्रमुख रहा, वहीं कुछ ऐसे भी लोग और संगठन थे, जिन्होंने फैसला स्वीकार किया, लेकिन उन्हें इसमे कुछ शब्दावली को लेकर संशोधन चाहिए था, जिसमे मुख्य तौर पर निर्मोही अखाड़ा रहा। निर्मोही अखाड़े की ओर से पैरोकारी कर रहे एडवोकेट रंजीत लाल वर्मा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान कहा कि, हमें शुरू से ही सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूरे फैसले में महत्वपूर्ण दो स्थानों पर कहा कि निर्मोही अखाड़े को विशेष दर्जा देते हुए इसे ट्रस्ट में मैनेजमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाए लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह नहीं बताया कि वह महत्वपूर्ण पद या मैनेजमेंट में वह महत्वपूर्ण भूमिका क्या होगी। ये स्पष्ट नहीं था।

Body:निर्मोही अखाड़े के एडवोकेट रंजीत लाल वर्मा ने कहा कि, हमने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका और इसको लेकर अपनी पिटिशन दाखिल की थी , कि उस महत्वपूर्ण भूमिका और महत्वपूर्ण पद को भी सुप्रीम कोर्ट खुद सरकार को डायरेक्ट कर दे, यही हमारा उद्देश्य था।
रंजीत लाल वर्मा ने बताया कि जिस वक्त हमने मुकदमा दायर किया उस वक्त कोई भी सामने नहीं था कानूनी तौर पर हम इसके वारिस थे और जमीन भी हमारे हक में हाई कोर्ट ने भी दी थी और लोअर कोर्ट ने भी दी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया हमें वह भी मंजूर है यही चाहिए कि हमारी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका क्या होगी इस बात को स्पष्ट कर देते फिलहाल अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज हो चुके हैं तो अब कोई मतलब नहीं बनता इतिहास रहा है पीएम मोदी को हमारी ओर से पत्र लिखा गया है ट्रस्ट में हमारी भूमिका क्या होगी यह स्पष्ट करें और उस कोर्ट के आदेश की प्रति को हमने लगाते हुए यह भी कहा है कि मैनेजमेंट कमेटी में जो आदेश किया गया है महत्वपूर्ण पद तो वह या तो हमें अध्यक्ष बनावे या तो महा मंत्री का दर्जा दे कमेटी अभी फाइनल नहीं हुई है जैसे ही फाइनल होगी उसके बाद फिर हम अपनी प्रतिक्रिया देंगे मकसद हमारा है कि राम मंदिर निर्माण हो। Conclusion:दिनेश मिश्रा
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