ETV Bharat / state

महाराजा कुश ने की थी नागेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना, अद्भुत भगवान की महिमा

author img

By

Published : Nov 23, 2020, 9:47 AM IST

महाराजा कुश ने अयोध्या में की थी नागेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना. शिव भगवन को समर्पित यह मंदिर राम की पैड़ी में स्थित है. शिवरात्रि का पर्व इस मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, यहां शिव बारात का भी बड़ा महात्म्य है. शिवरात्रि के पर्व में यहां लाखों की संख्या में दर्शनार्थी एवं श्रद्धालु उपस्थित होते हैं. जानिए, नागेश्वर नाथ मंदिर के बारे में कुछ खास बातें-

नागेश्वर नाथ का मंदिर.
नागेश्वर नाथ का मंदिर.

अयोध्या: राम नगरी अयोध्या की पहचान सरयू की अविरल धारा के समीप भगवान शिव का यह शिवालय नागेश्वरनाथ असंख्य शिवभक्तों की आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र है. मान्यता के अनुसार श्रावण मास में भगवान का अभिषेक करने से भक्त सभी पापों से मुक्त हो जाता है. मलमास, शिवरात्रि में शिवालय में भगवान शिव के पूजन एवं अभिषेक से भक्त की सभी कामनाऐं पूर्ण हो जाती है. यह देश के 108 ज्योतिर्लिंग में से एक है. अयोध्या तीर्थ की परिक्रमा सरयूतट से आरंभ होती है, जिसके बाद दूसरा पड़ाव यह मंदिर होता है. सरयू स्नान कर श्रद्धालु उसके जल से नागेश्वर नाथ का अभिषेक करते हैं.

नागेश्वर नाथ की विशेषता.
कुश को स्वप्न आया

नागेश्वरनाथ मंदिर के प्रबंधक सभापति तिवारी ने बताया कि शिवालय के स्थापना के विषय में बहुत से आख्यान व संर्दभ प्राप्त होते हैं. धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम अनंत धाम जाने से पूर्व अयोध्या राज्य को 8 भागों में बांट दिया था. उन्होंने भरत के पुत्र पुष्कल तथा मणिभद्र लक्ष्मण के पुत्र अंगद व सुबाहु और शत्रुघ्न के पुत्र नील तथा भद्रसेन और अपने पु्त्र लव तथा कुश को समान भागों में बांट दिया. जिसमें कुश को कौशांबी का राज्य मिला. एक रात कुश को स्वप्न आया जिसमें अयोध्या नगरी उनसे कह रही थी कि "भगवान श्रीराम के अनंत धाम जाने के बाद मेरी स्थित पूर्व की भांति नहीं रह गई. अयोध्या की जिम्मेदारी हनुमान जी को सौंपी गई है, लेकिन वे अपने स्वामी की गद्दी पर बैठना अनुचित मानते है. इसलिए आप आकर अयोध्या पर शासन करें." इस स्वप्न के आधार पर कुश अयोध्या आकर इसे अपनी राजधानी बनाकर रहने लगे.

नागेश्वर नाथ
नागेश्वर नाथ

हाथ का कंगन सलिला सरयू में गिर गया

शिव पुराण के एक आलेख के अनुसार एक बार नौका विहार करते समय कुश के हाथ का कंगन सलिला सरयू में गिर गया. सरयू में गिरा कंगन यहां वास करने वाले कुमुद नाग की पुत्री के पास गिरा. कंगन वापस लेने के लिए राजा कुश तथा नाग कुमुद के मध्य घोर संग्राम हुआ. जब नाग को यह लगा कि वह यहां पराजित हो जायेगा, तो उसने भगवान शिव का ध्यान किया. भगवान स्वंय प्रकट होकर युद्व को रुकवाएं. कुमुद ने कंगन देने के साथ भगवान शिव से यह अनुरोध है कि उनकी पुत्री कुमुदनी का विवाह कुश के साथ करवा दें.


कुश ने भगवान शिव से किया अनुरोध

कुश ने इसे स्वीकार किया तथा भगवान शिव से यह अनुरोध किया कि वे स्वंय यहीं वास करें, भगवान शिव ने उनकी इस याचना को स्वीकार कर लिया. नागों के ध्यान (रक्षा) करने पर भगवान शिव प्रकट हुए थे. जिस कारण इसे नागेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है. उसके बाद राजा कुश ने अयोध्या में नागेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना की. कुश द्वारा मंदिर के मुख्य द्वार पर एक शिलालेख लगवाया गया था, जो नष्ट हो चुका है.

नागेश्वर नाथ
नागेश्वर नाथ

अंग्रेजों ने भी इसकी विशेषता का बखान किया

नागेश्वर नाथ की महिमा का बखान न केवल हिन्दू भक्तों ने की बल्कि अंग्रेजों ने भी इसकी विशेषता का खुब बखान किया. अंग्रेजी विद्वान विंसेटस्मिथ ने लिखा कि "27 आक्रमणों को झेल कर भी यह मंदिर अपनी अखंण्डरता को बनाये रखे है."

वहीं हैमिल्टान ने लिखा है कि "पूरे विश्व में इसके समान दूसरा दिव्य स्थान कोई नहीं है." प्रख्यात विद्वान मैक्सकमूलर ने लिखा है कि "सैकडों तूफानों को झेल कर भी यह मंदिर अपनी अडिगता से अपने आप को स्थापित किए हुए है."

कनिघंम ने उल्लेख किया है कि "प्राणी को सच्ची शांति का विश्व में एक मात्र स्थान यही है." इतिहासकार लोचन का कहना कि "रामेश्वरम, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ के समान ही अयोध्या के नागेश्वर नाथ का भी शिवआराधना में विशिष्ट स्थान है."

कनिघंम ने उल्लेख किया है कि "प्राणी को सच्ची शांति का विश्व में एक मात्र स्थान यही है." इतिहासकार लोचन का कहना कि "रामेश्वरम, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ के समान ही अयोध्या के नागेश्वर नाथ का भी शिवआराधना में विशिष्ट स्थान है."

अयोध्या: राम नगरी अयोध्या की पहचान सरयू की अविरल धारा के समीप भगवान शिव का यह शिवालय नागेश्वरनाथ असंख्य शिवभक्तों की आस्था एवं श्रद्धा का केंद्र है. मान्यता के अनुसार श्रावण मास में भगवान का अभिषेक करने से भक्त सभी पापों से मुक्त हो जाता है. मलमास, शिवरात्रि में शिवालय में भगवान शिव के पूजन एवं अभिषेक से भक्त की सभी कामनाऐं पूर्ण हो जाती है. यह देश के 108 ज्योतिर्लिंग में से एक है. अयोध्या तीर्थ की परिक्रमा सरयूतट से आरंभ होती है, जिसके बाद दूसरा पड़ाव यह मंदिर होता है. सरयू स्नान कर श्रद्धालु उसके जल से नागेश्वर नाथ का अभिषेक करते हैं.

नागेश्वर नाथ की विशेषता.
कुश को स्वप्न आया

नागेश्वरनाथ मंदिर के प्रबंधक सभापति तिवारी ने बताया कि शिवालय के स्थापना के विषय में बहुत से आख्यान व संर्दभ प्राप्त होते हैं. धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम अनंत धाम जाने से पूर्व अयोध्या राज्य को 8 भागों में बांट दिया था. उन्होंने भरत के पुत्र पुष्कल तथा मणिभद्र लक्ष्मण के पुत्र अंगद व सुबाहु और शत्रुघ्न के पुत्र नील तथा भद्रसेन और अपने पु्त्र लव तथा कुश को समान भागों में बांट दिया. जिसमें कुश को कौशांबी का राज्य मिला. एक रात कुश को स्वप्न आया जिसमें अयोध्या नगरी उनसे कह रही थी कि "भगवान श्रीराम के अनंत धाम जाने के बाद मेरी स्थित पूर्व की भांति नहीं रह गई. अयोध्या की जिम्मेदारी हनुमान जी को सौंपी गई है, लेकिन वे अपने स्वामी की गद्दी पर बैठना अनुचित मानते है. इसलिए आप आकर अयोध्या पर शासन करें." इस स्वप्न के आधार पर कुश अयोध्या आकर इसे अपनी राजधानी बनाकर रहने लगे.

नागेश्वर नाथ
नागेश्वर नाथ

हाथ का कंगन सलिला सरयू में गिर गया

शिव पुराण के एक आलेख के अनुसार एक बार नौका विहार करते समय कुश के हाथ का कंगन सलिला सरयू में गिर गया. सरयू में गिरा कंगन यहां वास करने वाले कुमुद नाग की पुत्री के पास गिरा. कंगन वापस लेने के लिए राजा कुश तथा नाग कुमुद के मध्य घोर संग्राम हुआ. जब नाग को यह लगा कि वह यहां पराजित हो जायेगा, तो उसने भगवान शिव का ध्यान किया. भगवान स्वंय प्रकट होकर युद्व को रुकवाएं. कुमुद ने कंगन देने के साथ भगवान शिव से यह अनुरोध है कि उनकी पुत्री कुमुदनी का विवाह कुश के साथ करवा दें.


कुश ने भगवान शिव से किया अनुरोध

कुश ने इसे स्वीकार किया तथा भगवान शिव से यह अनुरोध किया कि वे स्वंय यहीं वास करें, भगवान शिव ने उनकी इस याचना को स्वीकार कर लिया. नागों के ध्यान (रक्षा) करने पर भगवान शिव प्रकट हुए थे. जिस कारण इसे नागेश्वर नाथ के नाम से जाना जाता है. उसके बाद राजा कुश ने अयोध्या में नागेश्वर नाथ मंदिर की स्थापना की. कुश द्वारा मंदिर के मुख्य द्वार पर एक शिलालेख लगवाया गया था, जो नष्ट हो चुका है.

नागेश्वर नाथ
नागेश्वर नाथ

अंग्रेजों ने भी इसकी विशेषता का बखान किया

नागेश्वर नाथ की महिमा का बखान न केवल हिन्दू भक्तों ने की बल्कि अंग्रेजों ने भी इसकी विशेषता का खुब बखान किया. अंग्रेजी विद्वान विंसेटस्मिथ ने लिखा कि "27 आक्रमणों को झेल कर भी यह मंदिर अपनी अखंण्डरता को बनाये रखे है."

वहीं हैमिल्टान ने लिखा है कि "पूरे विश्व में इसके समान दूसरा दिव्य स्थान कोई नहीं है." प्रख्यात विद्वान मैक्सकमूलर ने लिखा है कि "सैकडों तूफानों को झेल कर भी यह मंदिर अपनी अडिगता से अपने आप को स्थापित किए हुए है."

कनिघंम ने उल्लेख किया है कि "प्राणी को सच्ची शांति का विश्व में एक मात्र स्थान यही है." इतिहासकार लोचन का कहना कि "रामेश्वरम, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ के समान ही अयोध्या के नागेश्वर नाथ का भी शिवआराधना में विशिष्ट स्थान है."

कनिघंम ने उल्लेख किया है कि "प्राणी को सच्ची शांति का विश्व में एक मात्र स्थान यही है." इतिहासकार लोचन का कहना कि "रामेश्वरम, सोमनाथ, काशी विश्वनाथ के समान ही अयोध्या के नागेश्वर नाथ का भी शिवआराधना में विशिष्ट स्थान है."

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.