अयोध्या: महाराष्ट्र में साधु की हत्या, फिल्मस्टार सुशांत सिंह की संदिग्ध मौत और अब ड्रग्स रैकेट के खिलाफ बोलने वाली कंगना रनौत का ऑफिस गिराने को लेकर महाराष्ट्र सरकार आरोपों से घिरी हुई है. इसी को लेकर दो दिन पहले अयोध्या के संतों ने नाराजगी जाहिर करते हुए शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अयोध्या में न घुसने देने की बात कही थी.
विगत दिनों राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि जिसकी मां ने दूध पिलाया हो, वह उद्धव ठाकरे को अयोध्या आने से रोक कर दिखाए. चंपत राय के इस बयान को लेकर अयोध्या के संतों ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. ईटीवी भारत से बात करते हुए नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने कहा कि अयोध्या में जो भी रहीम-रसखान बन कर आएगा, उसका हम स्वागत करेंगे, लेकिन कोई चैलेंज देकर आए, यह स्वीकार नहीं है. उन्होंने कहा है कि राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव का बयान निंदनीय है. उन्हें महाराष्ट्र में हो रही राजनीति में पड़ने की आवश्यकता नहीं है.
'महाराष्ट्र सरकार को लेकर हो रही राजनीति में न पड़े चंपत राय'
महंत रामदास ने कहा है कि चंपत राय को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. वह श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव हैं, यह एक बड़ी जिम्मेदारी का पद है. राम मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने लंबे समय तक लड़ाई लड़ी, अब मंदिर निर्माण में अहम भूमिका निभानी है. चंपत राय का उद्धव ठाकरे को लेकर दिया गया बयान निंदनीय है. इसे उन्हें वापस लेना चाहिए. जिस तरह से महाराष्ट्र में राजनीति हो रही है, उसमें राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव को पड़ने की आवश्यकता नहीं है.
'रहीम रसखान बनकर अयोध्या आएंगे तब स्वागत है'
महंत रामदास ने कहा कि अयोध्या दर्शन के लिए बनी है. यहां सभी धर्म के लोग आते हैं. अयोध्या वह है, जहां कभी युद्ध या वध नहीं हुआ. अगर महाराष्ट्र के सीएम रहीम और रसखान की भांति अयोध्या में दर्शन के लिए आएंगे तो उनका स्वागत होगा, लेकिन जिस तरह उनके विवादास्पद बयान आ रहे हैं, वह अगर चैलेंज देकर यहां आते हैं तो अयोध्या के संत, धर्माचार्य और जनता उनका विरोध करेंगे.
'पालघर माॅब लिंचिंग मामले में न्याय के लिए महाराष्ट्र जाएंगे संत'
महंत रामदास ने कहा कि सीएम उद्धव ठाकरे को संतों को विश्वास में लेकर पालघर मॉब लिंचिंग मामले में सीबीआई जांच की मांग करनी चाहिए. अब लंबा वक्त बीत चुका है. 5 महीने घटना को हो चुके हैं, इस मामले में भी दूध का दूध और पानी का पानी होना चाहिए. शीघ्र संतों के हत्यारों को फांसी की सजा हो. अगर इस दिशा में महाराष्ट्र सरकार की ओर से कोई तेजी नहीं लाई जाती है, तब कोरोना महामारी समाप्त होते ही संतों का दल महाराष्ट्र जाएगा और वहां की सरकार से मामले में शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित कराने और दोषियों को सजा दिलाने की मांग करेगा.