लखनऊ: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर निर्माण को लेकर ईटीवी भारत ने पंचायती निर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती महाराज से बात की. उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण को लेकर भारतीय समाज प्रसन्न है. समाज में प्रचीन काल से ही संस्कृति के विकास के लिए मंदिर केंद्र रहे हैं. आज के समय में भगवान राम और कृष्ण का जन्मस्थान हमारे केंद्र हैं. इन मंदिरों की सुरक्षा और इनका विकास होना चाहिए. राम मंदिर निर्माण हर्ष का विषय है. इससे हमारे समाज की नींव सुदृढ़ और मजबूत होगी.
उन्होंने समाज की प्रसन्नता के बारे में कहा कि समाज की प्रसन्नता का भी कारण होता है. किसी भी समाज के दो स्तर होते हैं एक सभ्यता और दूसरा संस्कृति. सभ्यता उसको कहते हैं जो हमको किसी समाज से प्राप्त होती है जैसे हमारा बोलचाल का तरीका, रहन-सहन, हमारे व्यावहारिक धरातल की बातें आदि. वहीं संस्कृति वह होती है जो सनातन परंपरा से प्राप्त होती है, पूर्वजों से प्राप्त होती है. अगर हमारे भारतीय समाज से मंदिर, नृत्य, वाद्य, संगीत इन सब को निष्कासित कर दिया जाए तो भारतीय समाज शून्य हो जाएगा. समाज में हमारी संस्कृति बनी रहनी चाहिए.
उन्होंने बताया कि प्राचीन काल से मंदिर की परंपरा ऋषियों द्वारा चलाई जा रही है. जगह-जगह मंदिरों की स्थापना की जा रही है. उसके साथ ही उसके और समाज के उद्धार के लिए बहुत सारे प्रकल्प चला करते हैं. भगवान श्रीराम का जन्मस्थान अयोध्या, भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान मथुरा और भगवान शिव के स्थान काशी की सुरक्षा होनी चाहिए और उनका विकास होना चाहिए. सरकार के प्रयास, समाज और न्यायालय के सहयोग से राम मंदिर का पुननिर्माण हो रहा है. यह बहुत ही आनंद का विषय है. इससे भारतीय समाज सुखी है.
उन्होंने कहा कि इससे हमारे समाज की नींव मजबूत होगी. भारतीय समाज जागेगा और हिंदू समाज का उद्धार होगा. अभयानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक मुद्दा था जिसको भाजपा सरकार के प्रयासों से सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पूर्ण किया जा रहा है. इससे जितने भी ऋषि मुनि है उनको अति प्रसन्नता हो रही है. हम सब के पूजनीय सृष्टि के रचयिता भगवान श्रीराम जो इतने वर्षों से एक तिरपाल के नीचे रह रहे थे अब मंदिर में विराजमान होंगे. यह हमारे लिए परम सौभाग्य का पल है इसे हम कभी नहीं भूल पाएंगे.