अयोध्या: प्राचीन धार्मिक नगरी अयोध्या में कई ऐसे मंदिर स्थापित हैं जो पूरे विश्व को इस शहर से जोड़ते हैं. अयोध्या में भगवान कृष्ण की कई निशानियां मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने अयोध्या के मंदिर में पूजा अर्चना भी की थी. यह मंदिर आज भी मौजूद है. इस मंदिर को अयोध्या के दशरथ गद्दी के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण के कदम इस जगह पड़े थे. राम नगरी के दादर मठ मंदिर भगवान राम समेत चारों भाइयों सीता मां और हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित हैं, लेकिन दशरथ गद्दी में भगवान कृष्ण और राधा रानी की मूर्ति विराजमान है.
अयोध्या के रामकोट क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है. यहां पर भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी की मूर्तियां दिखाई देती है. इसके साथ भगवान कृष्ण और राधा जी की मूर्ति स्थापित है. माना जाता है कि भगवान कृष्ण द्वापर में आए थे. कनक में रुके थे और इस दौरान वे दशरथ गद्दी भी पहुंचे थे. धर्माचार्यों का मानना है कि दशरथ गद्दी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पिता की है. वह यहीं पर बैठकर कौशल देश का राज चलाते थे. द्वापर में जब कृष्ण यहां आए थे तो उन्होंने दशरथ गद्दी पर मत्था टेका था. बाद में जब अयोध्या की पुनर्स्थापना की गई तो भगवान राम के साथ कृष्ण जी की भी स्थापना यहां की गई. यहां कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
कनक भवन में लगे शिलालेख में यह जिक्र है कि भगवान कृष्ण कुंभ स्नान करने के बाद अयोध्या पधारे थे. इस दौरान उन्होंने कनक भवन में दर्शन किया था. भगवान कृष्ण ने कनक भवन का जीर्णोद्धार भी कराया था. कनक भवन दशरथ गद्दी दर्शन के अलावा अयोध्या में कई ऐसी जगहें हैं. अयोध्या के संतों की माने तो भगवान राम और कृष्ण में कोई अंतर नहीं है. राम कहिए या फिर कृष्ण कहिए. दोनों का संबंध एक-दूसरे से है.
अयोध्या वासी कहते हैं कि ऐसे हर भक्त कन्हैया के लगाव को जानता है, लेकिन यह बहुत कम लोगों को पता है कि द्वापर में कृष्ण जब राम की जन्मभूमि अयोध्या से गुजरे तो सरयू मैय्या का दर्शन करना नहीं भूले. कहा गया है कि जग में सुंदर दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम. राम अवतार पहले हुआ था और फिर कृष्णावतार, जब भगवान ने कृष्ण का अवतार लिया तो पहले अवतार की जन्म भूमि पर गए थे. यहां मां सरयू का दर्शन किया. कनक भवन में रुके और फिर दशरथ गद्दी में मत्था टेका.