अयोध्या: मंगलवार को केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ राम नगरी पहुंचे. यहा इस दौरान मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि कानून बनने के बाद इसे लागू होने से रोकने का अधिकार राज्य को नहीं है. मोहम्मद आरिफ ने कपिल सिब्बल के CAA पर दिए बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कानून बदलने की सोच वाले संविधान नहीं सिर्फ अपनी बात बदल सकते हैं.
इंडिया थिंक काउंसिल संस्थ की ओर से अयोजित कार्यक्रम
केरल के राज्यपाल सोमवार को डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय में इंडिया थिंक काउंसिल संस्था की ओर से अयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे. यहां उन्होंने 'श्रीराम: वैश्विक शासन के प्रणेता' विषय पर आयोजित व्याख्यान में भाग लिया. कार्यक्रम में राज्यपाल को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम से वापस लौटते समय उन्होंने नाका हनुमानगढ़ी मंदिर में दर्शन किया. इस दौरान उनके साथ मंदिर के महंत रामदास भी मौजूद रहे.
कानून के विरोध में जाने से पहले राज्यपाल के समक्ष पेश करें फाइल
केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ ने कहा है कि केरल विधानसभा की नियमावली से स्पष्ट होता है कि जो विषय राज्य सरकार के अधिकार में नहीं है, उस पर चर्चा नहीं की जा सकती है. सरकार के बिजनेस रुल में स्पष्ट किया गया है कि किसी भी कानून के विरोध में जाने से पहले राज्य सरकार के राज्यपाल के समक्ष फाइल पेश करेगी.
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केरल सरकार के पास भी होनी चाहिए थी सूचना
राज्यपाल मोहम्मद आरिफ ने कहा कि हम केवल उसे सूचना के लिए ही मानते हैं. फिर भी केरल सरकार के पास वह सूचना होनी चाहिए थी, जो नहीं थी. यह अपने आप में केरल सरकार एक-एक अनुचित निर्णय है. मामले को बिना राज्यपाल के संज्ञान में लाए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की अनुमति बिल्कुल भी नहीं है. राज्यपाल आरिफ ने कहा है संवैधानिक पद पर रहते हुए उनका केवल यही काम है कि सरकार संविधान, कानून और नियम के अनुरुप चले.
नागरिकों को संविधान और कानून का पालन करने की जिम्मेदारी
CAA पर हो रहे विरोध को लेकर राज्यपाल आरिफ ने कहा है कि देश के नागरिकों को संविधान और कानून का पालन करने की जिम्मेदारी है. कपिल सिब्बल के CAA पर दो तरीके के आए बयान पर राज्यपाल मोहम्मद आरिफ ने कहा कि कानून का विरोध करने वाले संविधान नहीं बदल सकते, वह सिर्फ अपनी बातें बदल सकते हैं.
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कानून बनने के बाद रोकने का अधिकार नहीं
राज्यपाल आरिफ ने कहा कि CAA का विरोध करने वालों को कोर्ट जाना चाहिए. उन्हें चुनाव में सरकार बदलकर कानून को बदलना चाहिए. कानून बनने के बाद किसी को इसे लागू करने से रोकने का अधिकार नहीं है. कानून बनने के बाद इसे लागू करने से मना नहीं कर सकते.