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राम मंदिर निर्माण: इकबाल अंसारी ने बंद लिफाफे में दी 'गुप्त समर्पण निधि' - construction of ram temple

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के लिये एक तरफ जहां लाखों लोग समर्पण निधि के जरिये सहयोग दे रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी मंदिर निर्माण के लिए बंद लिफाफे में 'गुप्त समर्पण निधि' दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारा मजहब कहता है कि दान गुप्त ही देना चाहिए.

इकबाल अंसारी ने बंद लिफाफे में दी 'गुप्त समर्पण निधि'
इकबाल अंसारी ने बंद लिफाफे में दी 'गुप्त समर्पण निधि'
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Published : Feb 27, 2021, 8:44 PM IST

अयोध्या: बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने विहिप पदाधिकारियों को राम मंदिर निर्माण के लिए 'गुप्त समर्पण निधि' बंद लिफाफे में दी. इकबाल अंसारी ने अपने वालिद मरहूम हाजी हाशिम अंसारी व अपनी पत्नी, बेटी और बेटे के नाम की भी समर्पण निधि दी.

दरअसल, बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने श्रीराधा कृष्ण छपे लिफाफे में अंशदान रखकर अपने हाथ से 'राम मंदिर समर्पण निधि अभियान' के अंतिम दिन समर्पण निधि दी. बता दें कि राम मंदिर समर्पण निधि अभियान मकर संक्रांति को शुरू हुआ था. यह अभियान संत रविदास जयंती यानी शनिवार 27 फरवरी को पूर्ण हुआ.

इकबाल अंसारी ने कहा कि धर्म का कार्य सभी को करना चाहिए. दान देना-दान लेना हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों में मान्य है. धार्मिक कार्यों को दान से पूरा किया जाता है. हमारा मजहब कहता है कि दान गुप्त ही देना चाहिए.

इकबाल अंसारी ने कहा कि एक हाथ से दिया गया दान दूसरे हाथ को मालूम नहीं होना चाहिए. पूरे हिदुस्तान में राम मंदिर निर्माण के लिए दान लिया गया, लेकिन कोई विवाद नहीं हुआ. यह खुशी की बात है. समर्पण निधि कार्यक्रम शुरू हुआ तो लोगों ने तरह-तरह की बात की.

इकबाल अंसारी ने कहा कि हमारा मजहब कहता है कि सभी धर्मों का सम्मान करो. हम और हमारे वालिद मरहूम हाशिम अंसारी का किसी से विवाद नहीं रहा. हिन्दू-मुसलमानों में कोई भेद नहीं है. हिंदुस्तान में दोनों साथ रह रहे हैं और देश आगे बढ़ रहा है. राम मंदिर बन रहा है, इसकी हमें खुशी है. अयोध्या में राम मंदिर बनने से अयोध्या की तरक्की होगी.

अयोध्या: बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने विहिप पदाधिकारियों को राम मंदिर निर्माण के लिए 'गुप्त समर्पण निधि' बंद लिफाफे में दी. इकबाल अंसारी ने अपने वालिद मरहूम हाजी हाशिम अंसारी व अपनी पत्नी, बेटी और बेटे के नाम की भी समर्पण निधि दी.

दरअसल, बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने श्रीराधा कृष्ण छपे लिफाफे में अंशदान रखकर अपने हाथ से 'राम मंदिर समर्पण निधि अभियान' के अंतिम दिन समर्पण निधि दी. बता दें कि राम मंदिर समर्पण निधि अभियान मकर संक्रांति को शुरू हुआ था. यह अभियान संत रविदास जयंती यानी शनिवार 27 फरवरी को पूर्ण हुआ.

इकबाल अंसारी ने कहा कि धर्म का कार्य सभी को करना चाहिए. दान देना-दान लेना हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों में मान्य है. धार्मिक कार्यों को दान से पूरा किया जाता है. हमारा मजहब कहता है कि दान गुप्त ही देना चाहिए.

इकबाल अंसारी ने कहा कि एक हाथ से दिया गया दान दूसरे हाथ को मालूम नहीं होना चाहिए. पूरे हिदुस्तान में राम मंदिर निर्माण के लिए दान लिया गया, लेकिन कोई विवाद नहीं हुआ. यह खुशी की बात है. समर्पण निधि कार्यक्रम शुरू हुआ तो लोगों ने तरह-तरह की बात की.

इकबाल अंसारी ने कहा कि हमारा मजहब कहता है कि सभी धर्मों का सम्मान करो. हम और हमारे वालिद मरहूम हाशिम अंसारी का किसी से विवाद नहीं रहा. हिन्दू-मुसलमानों में कोई भेद नहीं है. हिंदुस्तान में दोनों साथ रह रहे हैं और देश आगे बढ़ रहा है. राम मंदिर बन रहा है, इसकी हमें खुशी है. अयोध्या में राम मंदिर बनने से अयोध्या की तरक्की होगी.

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