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हिंदू-मुस्लिम सभी चाहते हैं जल्द से जल्द हो राम मंदिर का निर्माण: परमहंस दास - ram janma bhoomi

सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि मामले की आखिरी सुनवाई पूरी कर ली है. अब पूरे देशवासियों को उस घड़ी का इंतजार है, जब राम मंदिर निर्माण का फैसला आएगा. ऐसे में ईटीवी भारत ने तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस दास से बात की. उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रवादी भी चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो.

तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस दास.
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Published : Oct 17, 2019, 3:22 PM IST

अयोध्याः पूरे देशवासियों को उस घड़ी का इंतजार है जब राम मंदिर निर्माण का फैसला आएगा. सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि मामले की आखिरी सुनवाई पूरी कर ली है. पीठाधीश्वर परमहंस दास ने कहा कि बाबर इस्लाम के लिए कलंक है और उसका नामोनिशान हिंदुस्तान से मिटा देना चाहिए. ऐसे इंसान का मस्जिद बनाकर हम अपने इस्लाम की तौहीन नहीं कर सकते. वैसे भी यहां हिंदू मुसलमान सभी एक हो गए हैं. ऐसे में हम सभी चाहते हैं कि जल्द से जल्द राम मंदिर का निर्माण हो जाए.

तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस दास.

पीढ़ियां सिर्फ तारीख पे तारीख पाती थी
तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस दास ने आगे कहा कि अब तक हमारी पीढ़ियां सिर्फ तारीख पे तारीख पाती रही हैं. जिस दिन उन्हें लगता था कि बस आज फैसले की आखिरी घड़ी है और राम मंदिर निर्माण दूर नहीं. उस दिन फिर उन्हें एक नई तारीख मिल जाती थी. इस तरह से हमारी पीढ़ी सिर्फ तारीखों में गुजर गई, लेकिन मैं इन सब के बीच सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को धन्यवाद देना चाहता हूं. उन्होंने राम मंदिर के फैसले को सुरक्षित रख लिया है.

इंतजार की घड़ी खत्म
अब बस इंतजार है तो उस घड़ी का जब राम मंदिर निर्माण का फैसला आएगा. परमहंस दास ने कहा कि जिस तरह भगवान राम का वनवास 14 वर्ष बाद पूरा हुआ था, वे अयोध्या लौटे थे. इसी तरह मुगलकाल से चल रहे राम भगवान के वनवास की समाप्ति अब कुछ ही दिनों में पूरी हो जाएगी. परमहंस दास ने कहा कि यह मेरी तपस्या का नतीजा है, जो आज देखने को मिल रहा है. जब मैं 12 दिन अन्न-जल त्याग कर अशोक पेड़ के नीचे बैठकर राम मंदिर निर्माण के लिए तपस्या कर रहा था, तब पूरा प्रशासन हिल गया था. जिस तरह माता सीता ने अशोक वाटिका के नीचे बैठकर श्रीराम के लिए तपस्या की थी और उन्हें प्राप्त किया था. उसी तरह मैंने भी 12 दिन अन्न जल त्याग कर अशोक वाटिका के नीचे बैठ तपस्या की.

विवादित स्थान पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती
परमहंस दास ने कहा कुरान में लिखा गया है कि विवादित स्थान पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है. साथ ही जहां 1 दिन में 3 बार नमाज नहीं पढ़ी गई वहां नमाज अदा नहीं की जा सकती. अगर इस्लाम की दृष्टि से देखा जाए तो यह उचित भी नहीं है. अब जबकि मुसलमान राष्ट्रवादी भी चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो. यहां भारतीय संस्कृति की बात है इसलिए हम सभी को मुसलमान हिंदू को एकजुट होकर के राम मंदिर निर्माण के लिए आगे बढ़ना चाहिए.

अयोध्याः पूरे देशवासियों को उस घड़ी का इंतजार है जब राम मंदिर निर्माण का फैसला आएगा. सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि मामले की आखिरी सुनवाई पूरी कर ली है. पीठाधीश्वर परमहंस दास ने कहा कि बाबर इस्लाम के लिए कलंक है और उसका नामोनिशान हिंदुस्तान से मिटा देना चाहिए. ऐसे इंसान का मस्जिद बनाकर हम अपने इस्लाम की तौहीन नहीं कर सकते. वैसे भी यहां हिंदू मुसलमान सभी एक हो गए हैं. ऐसे में हम सभी चाहते हैं कि जल्द से जल्द राम मंदिर का निर्माण हो जाए.

तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस दास.

पीढ़ियां सिर्फ तारीख पे तारीख पाती थी
तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस दास ने आगे कहा कि अब तक हमारी पीढ़ियां सिर्फ तारीख पे तारीख पाती रही हैं. जिस दिन उन्हें लगता था कि बस आज फैसले की आखिरी घड़ी है और राम मंदिर निर्माण दूर नहीं. उस दिन फिर उन्हें एक नई तारीख मिल जाती थी. इस तरह से हमारी पीढ़ी सिर्फ तारीखों में गुजर गई, लेकिन मैं इन सब के बीच सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को धन्यवाद देना चाहता हूं. उन्होंने राम मंदिर के फैसले को सुरक्षित रख लिया है.

इंतजार की घड़ी खत्म
अब बस इंतजार है तो उस घड़ी का जब राम मंदिर निर्माण का फैसला आएगा. परमहंस दास ने कहा कि जिस तरह भगवान राम का वनवास 14 वर्ष बाद पूरा हुआ था, वे अयोध्या लौटे थे. इसी तरह मुगलकाल से चल रहे राम भगवान के वनवास की समाप्ति अब कुछ ही दिनों में पूरी हो जाएगी. परमहंस दास ने कहा कि यह मेरी तपस्या का नतीजा है, जो आज देखने को मिल रहा है. जब मैं 12 दिन अन्न-जल त्याग कर अशोक पेड़ के नीचे बैठकर राम मंदिर निर्माण के लिए तपस्या कर रहा था, तब पूरा प्रशासन हिल गया था. जिस तरह माता सीता ने अशोक वाटिका के नीचे बैठकर श्रीराम के लिए तपस्या की थी और उन्हें प्राप्त किया था. उसी तरह मैंने भी 12 दिन अन्न जल त्याग कर अशोक वाटिका के नीचे बैठ तपस्या की.

विवादित स्थान पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती
परमहंस दास ने कहा कुरान में लिखा गया है कि विवादित स्थान पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है. साथ ही जहां 1 दिन में 3 बार नमाज नहीं पढ़ी गई वहां नमाज अदा नहीं की जा सकती. अगर इस्लाम की दृष्टि से देखा जाए तो यह उचित भी नहीं है. अब जबकि मुसलमान राष्ट्रवादी भी चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो. यहां भारतीय संस्कृति की बात है इसलिए हम सभी को मुसलमान हिंदू को एकजुट होकर के राम मंदिर निर्माण के लिए आगे बढ़ना चाहिए.

Intro:अयोध्या। सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि मामले की आखिरी सुनवाई पूरी कर ली है। अब बस पूरे देशवासियों को उस घड़ी का इंतजार है जब राम मंदिर निर्माण का फैसला आएगा। ऐसे में आज ईटीवी भारत ने तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस दास से बात की जिसमें उन्होंने कहा की मुस्लिम राष्ट्रवादी भी चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। उनका कहना है कि बाबर इस्लाम के लिए कलंक है और उसका नामोनिशान हिंदुस्तान से मिटा देना चाहिए। ऐसे इंसान का मस्जिद बनाकर हम अपने इस्लाम की तौहीन नहीं कर सकते। और वैसे भी यहां हिंदू मुसलमान सभी एक हो गए हैं और ऐसे में हम सभी चाहते हैं कि जल्द से जल्द राम मंदिर का निर्माण हो।


Body:तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर परमहंस दास ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहा कि अब तक हमारी पीढ़ियां सिर्फ तारीख पे तारीख पाती रही है। जिस दिन उन्हें लगता था कि बस आज फैसले की आखिरी घड़ी है और राम मंदिर निर्माण दूर नहीं उस दिन फिर उन्हें एक नई तारीख मिल जाती थी कि 2 महीने बाद सुनवाई होगी, 3 महीने बाद सुनवाई होगी। और इस तरह हमारी पीढ़ी सिर्फ तारीखों में गुजर गई। लेकिन मैं इन सब के बीच सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने राम मंदिर के फैसले को सुरक्षित रख लिया है उन्होंने सुनवाई पूरी कर ली है अब बस इंतजार है तो उस घड़ी का जब राम मंदिर निर्माण का फैसला आएगा। परमहंस दास ने कहा कि जिस तरह भगवान राम का वनवास 14 वर्ष बाद पूरा हुआ था अयोध्या लौटे थे। इसी तरह मुगल काल से चल रहे राम भगवान के वनवास की समाप्ति अब कुछ ही दिनों में पूरा हो जाएगा। परमहंस दास ने कहा कि यह मेरी तपस्या का ही नतीजा है जो आज देखने को मिल रहा है। जब मैं 12 दिन अन्न जल त्याग कर अशोक पेड़ के नीचे बैठकर राम मंदिर निर्माण के लिए तपस्या कर रहा था तब पूरा प्रशासन हिल गया था योगी सरकार से लेकर मोदी सरकार सभी परेशान थे। मेरे कहने का मतलब यह है कि जिस तरह माता सीता ने अशोक वाटिका के नीचे बैठकर श्रीराम के लिए तपस्या की थी और उन्हें प्राप्त किया था। उसी तरह मैंने भी 12 दिन अन्न जल त्याग कर अशोक वाटिका के नीचे बैठ तपस्या की जिससे राम मंदिर का निर्माण हो और लाखों-करोड़ों राम भक्तों की आस्था निराशा में ना बदले। परमहंस दास ने कहा वैसे भी यह देखने वाली बात है कि जितने भी मुस्लिम राष्ट्रवादी हैं उन सब का मानना है कि बाबर इस्लाम के लिए कलंक था और उनका कहना है कि बाबर का नामोनिशान हिंदुस्तान से मिटा देना चाहिए। वैसे भी कुरान में लिखा गया है कि विवादित स्थान पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है और जहां 1 दिन में 3 बार नमाज नहीं पढ़ी गई वहां नमाज अदा नहीं किया जा सकता। अगर इस्लाम दृष्टि से देखा जाए तो यह उचित भी नहीं है। अब जबकि मुसलमान राष्ट्रवादी भी चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो। परमहंस दास ने कहा कि मैं समझता हूं कि यहां हिंदू मुसलमान की बात है ही नहीं। यहां भारतीय संस्कृति की बात है इसलिए हम सभी को मुसलमान हिंदू को एकजुट होकर के राम मंदिर निर्माण के लिए आगे बढ़ना चाहिए।


Conclusion:दिनेश मिश्रा 8808540402
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