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कहीं इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर न रह जाये गुलाब बाड़ी की खूबसूरती - फैजाबाद में है गुलाब बाड़ी

अपनी विविधताओं के लिए पूरी दुनिया में मशहूर फैजाबाद वर्तमान में अयोध्या में कई दर्शनीय स्थल और ऐतिहासिक इमारतें हैं. ऐसी ही ऐसी ही एक मशहूर इमारत गुलाब बाड़ी. ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में जानें प्रसिद्ध और खूबसूरत गुलाब बाड़ी के बारे में...

गुलाब बाड़ी, अयोध्या.
गुलाब बाड़ी, अयोध्या.
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Published : Jan 12, 2021, 5:24 PM IST

अयोध्याः किसी जमाने में अवध की राजधानी के रूप में मशहूर फैजाबाद वर्तमान में अयोध्या अपनी विविधताओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. राम मंदिर कारण ये शहर चर्चा में रहा है. इस बेहद पुराने शहर में राम मंदिर के अलावा भी कई ऐसे दर्शनीय स्थल और ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिसकी शोहरत को पूरी दुनिया में है. ऐसी ही ऐसी ही एक मशहूर इमारत है शहर की गुलाब बाड़ी. गुलाब बाड़ी का मतलब ही है गुलाबों का बाग. अवध के तीसरे नवाब नवाब शुजाउद्दौला ने इस मशहूर इमारत को बनवाया था. आज भी उनके वालिद और उनकी मां की कब्र इस इमारत के अंदर है.

गुलाब बाड़ी की जानें विशेषताएं और इतिहास.
जिंदा रहते नवाब शुजाउद्दौला ने बनवाया था अपना मकबरा
फैजाबाद की मशहूर गुलाब बाड़ी की कहानी बेहद दिलचस्प है. अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला ऐसे नवाब भी थे जिन्होंने अपने जीते जी मशहूर गुलाब बाड़ी में अपना मकबरा बनवा दिया था. इस मशहूर इमारत के अंदर नवाब शुजाउद्दौला, उनके पिता सफदरजंग और उनकी मां की कब्रें हैं. नवाब सफदरजंग को पहली बार फैजाबाद की गुलाब बाड़ी में ही दफनाया गया था. इसके बाद उन्हें दिल्ली में दफनाया गया और आज उस जगह को सफदरजंग मकबरे के रूप में पूरी दुनिया जानती है.
गुलाब बाड़ी की जानें विशेषताएं और इतिहास.
गुलाब बाड़ी, अयोध्या.
कई रंगों के गुलाब करतें हैं पर्यटकों को आकर्षित
गुलाब बाड़ी परिसर की खूबसूरती में यहां की बागवानी चार चांद लगाती है. इस इमारत के चारों तरफ गुलाबों की एक बड़ी बागवानी की गई है. जिसमें बेहद खूबसूरत गुलाब के पौधे लगाए गए हैं. इस बाग में लाल, गुलाबी, सफेद, काले, पीले रंग के फूल खिलते हैं. इसके अलावा अन्य रंगों के गुलाब के पौधे और फूल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बाग में कई अन्य खूबसूरत फूलों के पौधे भी लगाए गए हैं, जो यहां की खूबसूरती को बढ़ाते हैं.
गुलाब बाड़ी की जानें विशेषताएं और इतिहास.
गुलाब बाड़ी.
अपनी रौनक खो रहा मशहूर मकबरा
वैसे तो फैजाबाद की गुलाब बाड़ी साल के 365 दिन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती है. बड़ी तादाद में पर्यटक और स्थानीय लोग अपने परिवार के साथ इस मशहूर ऐतिहासिक इमारत के पास बने पार्क में आते हैं. लेकिन वक्त गुजरने के साथ ही अब इस इमारत का नूर बे रौनक हो रहा है. विशालकाय मकबरे की देखरेख ठीक ढंग से न होने के कारण यह कई जगह से जर्जर हो रहा है. पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित में समय-समय पर मरम्मत का काम भी होता है. लेकिन शायद यह कोशिश ऊंट के मुंह में जीरा है. उचित देखरेख और संरक्षण न होने पर कहीं ऐतिहासिक इमारत कहीं इतिहास के पन्नों में ही दर्ज न होकर रह जाए.

देश का एकमात्र मकबरा जहां पर है अशोक स्तंभ
फैजाबाद शहर की एक खूबसूरत इमारत के तौर पर गुलाब बाड़ी की पहचान पूरी दुनिया में है. लेकिन कुछ और बातें भी हैं जो इस मशहूर मकबरे को खास बनाती हैं. इस मकबरे के गेट पर स्थापित विशालकाय अशोक स्तंभ है. कहा जाता है कि यह देश का अकेला ऐसा मकबरा है जहां पर भारत सरकार ने अशोक स्तंभ गड़वा रखा है.

1857 में खत्म हो गई थी नवाबी
सन् 1775 में नवाब शुजाउद्दौला के इंतकाल के बाद उनके बेटे आसिफुद्दौला ने फैजाबाद की जगह लखनऊ को अवध की राजधानी बना दिया. इसके बाद नवाबों की रियासत और नवाबी ठाठ लखनऊ में रच बस गई. नवाब वाजिद अली शाह इस पीढ़ी के आखिरी नवाब साबित हुए. 1857 में जब गदर हुआ उसी दौर में नवाबी खत्म हो गई. लेकिन अवध के नवाबों के किस्से कहानियां आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है.

आज भी मौजूद हैं नवाब शुजाउद्दौला की बनवाई इमारतें
इतिहासकारों के अनुसार सन् 1732 से 1775 के बीच फैजाबाद शहर ने काफी शोहरत पाई. नवाब शुजाउद्दौला ने फैजाबाद शहर को दिलकुशा पैलेस, गुलाब बाड़ी, बहू बेगम का मकबरा, मोती महल जैसे खूबसूरत इमारतों का तोहफा दिया. इतना ही नहीं शहर के चौक इलाके में बने विशालकाय मेहराबों वाले गेट आज भी मौजूद हैं, जो शहर की पहचान हैं. नवाबी दौर में इन शासकों का रहन-सहन इतना वैभव पूर्ण और विलासिता पूर्ण था कि अंग्रेजी हुकूमत के बड़े अफसर भी हैरान थे.

इमारत में रंग-रोगन की आवश्यकता
पर्यटक ममता शुक्ला ने बताया कि वह अक्सर अपने परिवार के साथ इस इमारत को देखने के लिए आती है. इमारत के आसपास बनी बागवानी मन को लुभाती है. लेकिन मकबरे की हालत अच्छी नहीं है और इसे रंग रोगन की जरूरत है.

पर्यटन को मिले बढ़ावा
छात्रा रूबी तिवारी का कहना है कि गुलाब बाड़ी की देखरेख ठीक ढंग से नहीं हो रही है. यह हमारी ऐतिहासिक धरोहर है, जिसका इतिहास के पन्नों में जिक्र है. जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा इस ऐतिहासिक इमारत की देखरेख करने की जरूरत है, जिससे यह इमारत पर्यटन का एक बड़ा जरिया बने.

सौंदर्यीकरण योजना में शामिल हों ऐतिहासिक इमारतें
पर्यटक कुलदीप पाल का कहना है कि अब अयोध्या में पर्यटन की असीमित संभावनाएं है. राम मंदिर निर्माण के साथ केंद्र और प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं अयोध्या के सौंदर्यीकरण को लेकर चला रही हैं. लेकिन इन योजनाओं को सीमित नहीं किया जाना चाहिए. अयोध्या जिले की जितनी भी ऐतिहासिक इमारतें हैं उनके रंग-रोगन से लेकर उन्हें भी प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. जिससे जब पर्यटक अयोध्या आएं तो इन मशहूर ऐतिहासिक इमारतों को भी देखें.

अयोध्याः किसी जमाने में अवध की राजधानी के रूप में मशहूर फैजाबाद वर्तमान में अयोध्या अपनी विविधताओं के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है. राम मंदिर कारण ये शहर चर्चा में रहा है. इस बेहद पुराने शहर में राम मंदिर के अलावा भी कई ऐसे दर्शनीय स्थल और ऐतिहासिक इमारतें हैं, जिसकी शोहरत को पूरी दुनिया में है. ऐसी ही ऐसी ही एक मशहूर इमारत है शहर की गुलाब बाड़ी. गुलाब बाड़ी का मतलब ही है गुलाबों का बाग. अवध के तीसरे नवाब नवाब शुजाउद्दौला ने इस मशहूर इमारत को बनवाया था. आज भी उनके वालिद और उनकी मां की कब्र इस इमारत के अंदर है.

गुलाब बाड़ी की जानें विशेषताएं और इतिहास.
जिंदा रहते नवाब शुजाउद्दौला ने बनवाया था अपना मकबरा
फैजाबाद की मशहूर गुलाब बाड़ी की कहानी बेहद दिलचस्प है. अवध के तीसरे नवाब शुजाउद्दौला ऐसे नवाब भी थे जिन्होंने अपने जीते जी मशहूर गुलाब बाड़ी में अपना मकबरा बनवा दिया था. इस मशहूर इमारत के अंदर नवाब शुजाउद्दौला, उनके पिता सफदरजंग और उनकी मां की कब्रें हैं. नवाब सफदरजंग को पहली बार फैजाबाद की गुलाब बाड़ी में ही दफनाया गया था. इसके बाद उन्हें दिल्ली में दफनाया गया और आज उस जगह को सफदरजंग मकबरे के रूप में पूरी दुनिया जानती है.
गुलाब बाड़ी की जानें विशेषताएं और इतिहास.
गुलाब बाड़ी, अयोध्या.
कई रंगों के गुलाब करतें हैं पर्यटकों को आकर्षित
गुलाब बाड़ी परिसर की खूबसूरती में यहां की बागवानी चार चांद लगाती है. इस इमारत के चारों तरफ गुलाबों की एक बड़ी बागवानी की गई है. जिसमें बेहद खूबसूरत गुलाब के पौधे लगाए गए हैं. इस बाग में लाल, गुलाबी, सफेद, काले, पीले रंग के फूल खिलते हैं. इसके अलावा अन्य रंगों के गुलाब के पौधे और फूल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. बाग में कई अन्य खूबसूरत फूलों के पौधे भी लगाए गए हैं, जो यहां की खूबसूरती को बढ़ाते हैं.
गुलाब बाड़ी की जानें विशेषताएं और इतिहास.
गुलाब बाड़ी.
अपनी रौनक खो रहा मशहूर मकबरा
वैसे तो फैजाबाद की गुलाब बाड़ी साल के 365 दिन पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहती है. बड़ी तादाद में पर्यटक और स्थानीय लोग अपने परिवार के साथ इस मशहूर ऐतिहासिक इमारत के पास बने पार्क में आते हैं. लेकिन वक्त गुजरने के साथ ही अब इस इमारत का नूर बे रौनक हो रहा है. विशालकाय मकबरे की देखरेख ठीक ढंग से न होने के कारण यह कई जगह से जर्जर हो रहा है. पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित में समय-समय पर मरम्मत का काम भी होता है. लेकिन शायद यह कोशिश ऊंट के मुंह में जीरा है. उचित देखरेख और संरक्षण न होने पर कहीं ऐतिहासिक इमारत कहीं इतिहास के पन्नों में ही दर्ज न होकर रह जाए.

देश का एकमात्र मकबरा जहां पर है अशोक स्तंभ
फैजाबाद शहर की एक खूबसूरत इमारत के तौर पर गुलाब बाड़ी की पहचान पूरी दुनिया में है. लेकिन कुछ और बातें भी हैं जो इस मशहूर मकबरे को खास बनाती हैं. इस मकबरे के गेट पर स्थापित विशालकाय अशोक स्तंभ है. कहा जाता है कि यह देश का अकेला ऐसा मकबरा है जहां पर भारत सरकार ने अशोक स्तंभ गड़वा रखा है.

1857 में खत्म हो गई थी नवाबी
सन् 1775 में नवाब शुजाउद्दौला के इंतकाल के बाद उनके बेटे आसिफुद्दौला ने फैजाबाद की जगह लखनऊ को अवध की राजधानी बना दिया. इसके बाद नवाबों की रियासत और नवाबी ठाठ लखनऊ में रच बस गई. नवाब वाजिद अली शाह इस पीढ़ी के आखिरी नवाब साबित हुए. 1857 में जब गदर हुआ उसी दौर में नवाबी खत्म हो गई. लेकिन अवध के नवाबों के किस्से कहानियां आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है.

आज भी मौजूद हैं नवाब शुजाउद्दौला की बनवाई इमारतें
इतिहासकारों के अनुसार सन् 1732 से 1775 के बीच फैजाबाद शहर ने काफी शोहरत पाई. नवाब शुजाउद्दौला ने फैजाबाद शहर को दिलकुशा पैलेस, गुलाब बाड़ी, बहू बेगम का मकबरा, मोती महल जैसे खूबसूरत इमारतों का तोहफा दिया. इतना ही नहीं शहर के चौक इलाके में बने विशालकाय मेहराबों वाले गेट आज भी मौजूद हैं, जो शहर की पहचान हैं. नवाबी दौर में इन शासकों का रहन-सहन इतना वैभव पूर्ण और विलासिता पूर्ण था कि अंग्रेजी हुकूमत के बड़े अफसर भी हैरान थे.

इमारत में रंग-रोगन की आवश्यकता
पर्यटक ममता शुक्ला ने बताया कि वह अक्सर अपने परिवार के साथ इस इमारत को देखने के लिए आती है. इमारत के आसपास बनी बागवानी मन को लुभाती है. लेकिन मकबरे की हालत अच्छी नहीं है और इसे रंग रोगन की जरूरत है.

पर्यटन को मिले बढ़ावा
छात्रा रूबी तिवारी का कहना है कि गुलाब बाड़ी की देखरेख ठीक ढंग से नहीं हो रही है. यह हमारी ऐतिहासिक धरोहर है, जिसका इतिहास के पन्नों में जिक्र है. जिम्मेदार संस्थाओं द्वारा इस ऐतिहासिक इमारत की देखरेख करने की जरूरत है, जिससे यह इमारत पर्यटन का एक बड़ा जरिया बने.

सौंदर्यीकरण योजना में शामिल हों ऐतिहासिक इमारतें
पर्यटक कुलदीप पाल का कहना है कि अब अयोध्या में पर्यटन की असीमित संभावनाएं है. राम मंदिर निर्माण के साथ केंद्र और प्रदेश सरकार तमाम योजनाएं अयोध्या के सौंदर्यीकरण को लेकर चला रही हैं. लेकिन इन योजनाओं को सीमित नहीं किया जाना चाहिए. अयोध्या जिले की जितनी भी ऐतिहासिक इमारतें हैं उनके रंग-रोगन से लेकर उन्हें भी प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है. जिससे जब पर्यटक अयोध्या आएं तो इन मशहूर ऐतिहासिक इमारतों को भी देखें.

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