अयोध्याः आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज का 23 वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ. समारोह में 25 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल एवं 498 को उपाधि प्रदान की गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात वैज्ञानिक डॉक्टर मंगला राय रहे. विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि राज्य मंत्री लाखन सिंह राजपूत मौजूद रहे.
सोमवार को कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित ऑडिटोरियम हाल में आयोजित विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह में शिरकत करने पहुंची राज्यपाल को विश्वविद्यालय परिसर में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. जिसके बाद उन्होंने आचार्य नरेंद्र देव की प्रतिमा पर पुष्पांजलि किया. दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति ने 7 पीएचडी छात्र-छात्राओं को कुलाधिपति स्वर्ण पदक एवं 11 को कुलपति स्वर्ण पदक तथा 7 को विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया.
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उन्होंने कहा कि अभी बीते 16 दिसंबर को प्राकृतिक खेती अपनाने को लेकर देश के प्रधानमंत्री ने विशेष बल दिया था. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सिंचाई समस्या को लेकर देश की सबसे बड़ी परियोजना सरजू नहर प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया है. कृषि में बेटियां डॉक्टर बन रही हैं, यह हमारे देश के लिए गौरव की बात है. अब तक बेटियां केवल चिकित्सा के क्षेत्र में ही थीं. उन्होंने कहा कि महिलाओं की शक्ति देश के विकास में काम आनी चाहिए. अब धरा से लेकर गगन तक चतुर्दिक महिलाएं अपना दमखम दिखाते हुए आगे बढ़ रही हैं.
स्वयं जागरूक हो चुकी हैं बेटियां
उन्होंने बेटियों की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि पहले गांव देहात में बच्चियों को पढ़ाने में भी भेदभाव किया जाता था, लेकिन अब बेटियां स्वयं जागरूक हो चुकी हैं. उन्होंने उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को नसीहत देते हुए कहा कि एक-एक किसान के घर जाएं और उनकी समस्या को देखते हुए मौसम में फसल बिगड़ने न पाए इस दिशा में अपना मार्गदर्शन दें. उन्होंने कहा कि आज दीक्षांत समारोह में जिन 11 प्रगतिशील किसानों से संवाद स्थापित करने का मौका मिला है इससे हमें अपार खुशी मिली है. ऐसे किसान भी आज मिले जो दूसरे किसानों को ट्रेनिंग दे रहे हैं.
वहीं कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ मंगला राय ने कहा कि काम बोलता है आज नहीं तो कल आज चारों ओर चर्चा है टिकाऊ खेती, लाभप्रद खेती, सघन खेती, बाजार परक खेती और समसामयिक खेती की. उन्होंने कहां की अनेकों स्तरों पर अनेक कमियां होंगी काम करेंगे तो गलतियां भी होंगी पर कमियां और गलतियां गिनने वाले कभी सफलता के शिखर का दर्शन नहीं कर पाते हैं.
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