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885 वर्षों बाद लग रहा पूर्ण सूर्य ग्रहण, जानिए क्या कहते हैं अयोध्या के संत और धर्माचार्य

21 जून को सूर्यग्रहण लग रहा है. यह इस साल का पहला सूर्य ग्रहण है. अयोध्या के संतों की मानें तो ऐसा सूर्य ग्रहण 885 वर्ष बाद लग रहा है. सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए हैं. संतों ने लोगों को ग्रहण के दौरान भगवान का भजन, ध्यान और मंत्रों का जाप करने की सलाह दी है.

ayodhya saints on solar eclipse
885 वर्षों बाद लग रहा पूर्ण सूर्य ग्रहण.
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Published : Jun 20, 2020, 10:35 PM IST

अयोध्या: साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार चंद्रमा सूर्य का 98.8 प्रतिशत भाग ढक लेगा. अयोध्या के संतों और ज्योतिषाचार्यों की मानें तो विगत 885 वर्षों के बाद यह संयोग पहली बार बनने जा रहा है. ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए संतों ने विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है.

संतों ने ग्रहण को लेकर दी प्रतिक्रिया.

मंदिरों के बंद हुए कपाट
सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटा पहले शुरू हो जाएगा. आज रात 9 बजकर 15 मिनट से सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए गए. ग्रहण समाप्त होने पर मंदिरों को खोला जाएगा. मूर्तियों पर जल छिड़कर उन्हें स्नान कराने के बाद विधिवित पूजा-पाठ होगा. राम नगरी के संतों की माने तो साल 2020 के सूर्य ग्रहण का भयंकर दुष्प्रभाव हो सकता है.

सूर्य ग्रहण का भयंकर होगा दुष्परिणाम
रामादल ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित कल्किराम का कहना है कि ऐसा सूर्य ग्रहण आज से करीब 885 वर्ष पहले लगा था. उस समय भी ऐसी ही स्थिति थी, जैसे कि आज है. ऐसा सूर्य ग्रहण जब लगा था, तब विश्व में हिंसा चरम पर थी. मानव जाति त्रस्त थी. आज भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. कोरोना का संकट पूरे विश्व में हाहाकार मचाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, नेपाल और चीन अपने कुकृत्यों से विश्व को भ्रम में डाले हुए हैं. मानव जाति बीमारी और षड्यंत्रों से त्रस्त है. उन्होंने कहा कि इस सूर्य ग्रहण के भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं. हालांकि इससे बचाव के उपाय करने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है.

भगवान महादेव की करें आराधना
पंडित कल्किराम ने बताया कि पूजा, जपतप और ध्यान से सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है. ग्रहण के दौरान लोगों को आशुतोष भगवान महादेव की आराधना और 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके साथ अपने इष्ट की पूजा भी ग्रहण के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक होगी.

दोपहर 3 बजे के बाद खुलेगा रामलला का दरबार
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि ग्रहण लगने से 12 घंटा पहले सूतक काल लग जाता है. ऐसे में मंदिरों के पट बंद होने के साथ पूजा-पाठ भी बंद हो जाता है. 21 जून को 10 बजकर 31 मिनट पर सूर्य ग्रहण लगेगा. इस दौरान अयोध्या के सभी मंदिर बंद रहेंगे. दोपहर 2 बजे ग्रहण के मोक्ष काल के बाद मंदिरों के पट खोले जाएंगे. उन्होंने कहा कि शुद्धिकरण और पूजा-पाठ के बाद दोपहर 3 बजे श्रद्धालुओं को दर्शन उपलब्ध होंगे.

स्वस्थ व्यक्ति रखें उपवास
शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित माना गया है. ऐसे में अयोध्या के नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास का कहना है कि लोगों को इस ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सूर्य मंत्र और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित है. स्वस्थ लोगों को उपवास करना चाहिए.

अयोध्या: चीन के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा, चीनी उत्पादों के बहिष्कार का लिया संकल्प

रोगियों और बच्चों के लिए छूट है. ग्रहण के दौरान निकलने वाली हानिकारक किरणें आंखों और हृदय पर दुष्प्रभाव डालती हैं. इसलिए ग्रहण काल में लोगों को खुले में घूमने से बचना चाहिए.

अयोध्या: साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार चंद्रमा सूर्य का 98.8 प्रतिशत भाग ढक लेगा. अयोध्या के संतों और ज्योतिषाचार्यों की मानें तो विगत 885 वर्षों के बाद यह संयोग पहली बार बनने जा रहा है. ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए संतों ने विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है.

संतों ने ग्रहण को लेकर दी प्रतिक्रिया.

मंदिरों के बंद हुए कपाट
सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण से 12 घंटा पहले शुरू हो जाएगा. आज रात 9 बजकर 15 मिनट से सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए गए. ग्रहण समाप्त होने पर मंदिरों को खोला जाएगा. मूर्तियों पर जल छिड़कर उन्हें स्नान कराने के बाद विधिवित पूजा-पाठ होगा. राम नगरी के संतों की माने तो साल 2020 के सूर्य ग्रहण का भयंकर दुष्प्रभाव हो सकता है.

सूर्य ग्रहण का भयंकर होगा दुष्परिणाम
रामादल ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित कल्किराम का कहना है कि ऐसा सूर्य ग्रहण आज से करीब 885 वर्ष पहले लगा था. उस समय भी ऐसी ही स्थिति थी, जैसे कि आज है. ऐसा सूर्य ग्रहण जब लगा था, तब विश्व में हिंसा चरम पर थी. मानव जाति त्रस्त थी. आज भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. कोरोना का संकट पूरे विश्व में हाहाकार मचाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, नेपाल और चीन अपने कुकृत्यों से विश्व को भ्रम में डाले हुए हैं. मानव जाति बीमारी और षड्यंत्रों से त्रस्त है. उन्होंने कहा कि इस सूर्य ग्रहण के भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं. हालांकि इससे बचाव के उपाय करने से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है.

भगवान महादेव की करें आराधना
पंडित कल्किराम ने बताया कि पूजा, जपतप और ध्यान से सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है. ग्रहण के दौरान लोगों को आशुतोष भगवान महादेव की आराधना और 'ओम नमः शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके साथ अपने इष्ट की पूजा भी ग्रहण के दुष्प्रभाव को कम करने में सहायक होगी.

दोपहर 3 बजे के बाद खुलेगा रामलला का दरबार
रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है कि ग्रहण लगने से 12 घंटा पहले सूतक काल लग जाता है. ऐसे में मंदिरों के पट बंद होने के साथ पूजा-पाठ भी बंद हो जाता है. 21 जून को 10 बजकर 31 मिनट पर सूर्य ग्रहण लगेगा. इस दौरान अयोध्या के सभी मंदिर बंद रहेंगे. दोपहर 2 बजे ग्रहण के मोक्ष काल के बाद मंदिरों के पट खोले जाएंगे. उन्होंने कहा कि शुद्धिकरण और पूजा-पाठ के बाद दोपहर 3 बजे श्रद्धालुओं को दर्शन उपलब्ध होंगे.

स्वस्थ व्यक्ति रखें उपवास
शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित माना गया है. ऐसे में अयोध्या के नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास का कहना है कि लोगों को इस ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए सूर्य मंत्र और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित है. स्वस्थ लोगों को उपवास करना चाहिए.

अयोध्या: चीन के खिलाफ फूटा लोगों का गुस्सा, चीनी उत्पादों के बहिष्कार का लिया संकल्प

रोगियों और बच्चों के लिए छूट है. ग्रहण के दौरान निकलने वाली हानिकारक किरणें आंखों और हृदय पर दुष्प्रभाव डालती हैं. इसलिए ग्रहण काल में लोगों को खुले में घूमने से बचना चाहिए.

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