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अयोध्या: सूर्यग्रहण के बाद सरयू के तट पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब - सूर्यग्रहण खत्म होने के बाद लोगों ने सरयू में किया स्नान

सूर्यग्रहण की अवधि समाप्त होने के बाद अयोध्या में बड़ी संख्या में सरयू नदी के तट पर श्रद्धालुओं का सैलाब देखने को मिला. धार्मिक मान्यता का पालन करते हुए लोगों ने सरयू नदी में स्नान किया.

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सूर्यग्रहण के बाद सरयू में स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु
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Published : Dec 26, 2019, 8:43 PM IST

अयोध्या: सूर्यग्रहण समाप्त होने के बाद गुरुवार को राम नगरी में जनसैलाब उमड़ा. इस कड़ाके की ठंड में बड़ी संख्या में लोग घर से निकले और सरयू के तट पर डुबकी लगाई.

सूर्यग्रहण के बाद सरयू में स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु.

क्या है धार्मिक मान्यता
धर्म मान्यताओं के अनुसार दो अशुभ ग्रहों राहु और केतु के चलते सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगता है. ग्रहण के दौरान किरणों से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, तो वहीं वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार रोगाणु का प्रभाव इन किरणों के कारण बढ़ता है. शास्त्रों में ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए स्नान आवश्यक बताया गया है.

इसे भी पढ़ें:- अयोध्या: सूर्यग्रहण का इन राशियों पर सुखद प्रभाव, जानिए इनके बारे में

मंत्र जाप करने से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा
3 घंटा 36 मिनट तक ग्रहणकाल के बाद राम नगरी में सरयू नदी में बड़ी संख्या में लोगों ने स्नान किया. मान्यता है कि ग्रहणकाल के दौरान मंत्र का जाप करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है. इसके बाद स्नान करना बेहद आवश्यक है. इसी मान्यता के चलते ग्रहण समाप्त के बाद सरयू नदी के किनारे बने घाटों पर लोगों और संतों ने स्नान किया.

तीन बार होता है स्नान
ग्रहण को लेकर 3 स्नान बताए गए हैं. पहला स्नान ग्रहण लगने से पहले और दूसरा स्नान ग्रहण के मध्य और तीसरा मोक्ष का स्नान होता है. स्नान के साथ दान का भी विशेष महत्व होता है. इस दौरान शास्त्रों में यथाशक्ति दान करने की बात कही गई है.

इसे भी पढ़ें:- अयोध्या: राम मंदिर निर्माण को लेकर प्रयागराज में होगी संतों की पहली बैठक

किसी भी ग्रहण के बाद सरयू के जल से स्नान करना बेहद लाभकारी है. मां सरयू के निर्मल जल में स्नान करने से ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणों की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त किया जा सकता है. यह स्नान मोक्ष देने वाला है.
-रामदास, महंत, नाका हनुमानगढ़ी

अयोध्या: सूर्यग्रहण समाप्त होने के बाद गुरुवार को राम नगरी में जनसैलाब उमड़ा. इस कड़ाके की ठंड में बड़ी संख्या में लोग घर से निकले और सरयू के तट पर डुबकी लगाई.

सूर्यग्रहण के बाद सरयू में स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु.

क्या है धार्मिक मान्यता
धर्म मान्यताओं के अनुसार दो अशुभ ग्रहों राहु और केतु के चलते सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगता है. ग्रहण के दौरान किरणों से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, तो वहीं वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार रोगाणु का प्रभाव इन किरणों के कारण बढ़ता है. शास्त्रों में ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए स्नान आवश्यक बताया गया है.

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मंत्र जाप करने से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा
3 घंटा 36 मिनट तक ग्रहणकाल के बाद राम नगरी में सरयू नदी में बड़ी संख्या में लोगों ने स्नान किया. मान्यता है कि ग्रहणकाल के दौरान मंत्र का जाप करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है. इसके बाद स्नान करना बेहद आवश्यक है. इसी मान्यता के चलते ग्रहण समाप्त के बाद सरयू नदी के किनारे बने घाटों पर लोगों और संतों ने स्नान किया.

तीन बार होता है स्नान
ग्रहण को लेकर 3 स्नान बताए गए हैं. पहला स्नान ग्रहण लगने से पहले और दूसरा स्नान ग्रहण के मध्य और तीसरा मोक्ष का स्नान होता है. स्नान के साथ दान का भी विशेष महत्व होता है. इस दौरान शास्त्रों में यथाशक्ति दान करने की बात कही गई है.

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किसी भी ग्रहण के बाद सरयू के जल से स्नान करना बेहद लाभकारी है. मां सरयू के निर्मल जल में स्नान करने से ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणों की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त किया जा सकता है. यह स्नान मोक्ष देने वाला है.
-रामदास, महंत, नाका हनुमानगढ़ी

Intro:अयोध्या: राम नगरी में उमड़े जनसैलाब के सामने कड़ाके की ठंड बेअसर दिखी. बड़ी संख्या में सरयू के तट पर पहुंचे लोगों ने डुबकी लगाई. आइए जानते हैं वह कौन सी मान्यता है जिसके चलते 7 डिग्री से भी नीचे तापमान में घर से निकले और खुले में स्नान किया.





Body:सूर्य ग्रहण के बाद क्यों लोग स्नान करना आवश्यक मानते हैं. ग्रहण समाप्त होने के बाद राम नगरी में जनसैलाब उमड़ा. शास्त्रों के अनुसार भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण के बाद स्नान करना अत्यंत आवश्यक माना गया है. ग्रहण काल में हानिकारक किरणों के प्रभाव को समाप्त करने के लिए शुद्ध जल से स्नान करना बेहद आवश्यक है.

धर्म मान्यताओं के अनुसार दो अशुभ ग्रहों के चलते सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण लगता है. इन ग्रहों के नाम और राहु और केतु हैं. ग्रहण के दौरान किरणों से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है. वहीं वैज्ञानिक तथ्यों पर गौर करें तो रोगाणु का प्रभाव इन किरणों के कारण बढ़ता है. शास्त्रों में ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए स्नान आवश्यक बताया गया है.

मंत्र जाप करने से दूर होती है नकारात्मक ऊर्जा
3 घंटा 36 मिनट तक ग्रहण काल के बाद राम नगरी में सरयू नदी में बड़ी संख्या में लोगों ने स्नान किया. मान्यता है कि ग्रहण काल के दौरान मंत्र का जाप करने से ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है. इसके बाद स्नान करना बेहद आवश्यक है. इसी मान्यता के चलते ग्रहण समाप्त के बाद सरयू नदी के किनारे बने घाटों पर लोगों और संतों ने स्नान किया.

तीन बार होता है स्नान
मान्यता के ग्रहण को लेकर 3 स्नान बताए गए हैं. पहला ग्रहण लगने से पहले दूसरा ग्रहण के मध्य और तीसरा मोक्ष का स्नान. स्नान के साथ दान का भी विशेष महत्व होता है इस दौरान शास्त्रों में यथाशक्ति दान करने की बात कही गई है.


Conclusion:ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान नाका हनुमानगढ़ी के महंत ने कहा कि किसी भी ग्रहण के बाद सरयू के जल से स्नान करना बेहद लाभकारी है. मां सरयू के निर्मल जल में स्नान करने से ग्रहण के दौरान निकलने वाली किरणों के नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त किया जा सकता है. साथ ही स्नान के बाद दान करने से विशेष लाभ होता है. ग्रहण काल में तीन स्नान प्रमुख हैं. पहला ग्रहण लगने से पूर्व दूसरा, मध्य और तीसरा अंतिम स्नान. आसमानों में अंतिम स्नान ग्रहण समाप्ति के बाद किया जाता है. यह स्नान मोक्ष देने वाला है.

बाइट- रामदास, महंत, नाका हनुमानगढ़ी अयोध्या

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