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अयोध्या: कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन की मांग, सहकारी बैंकों के अस्तित्व को बचाए सरकार

यूपी के अयोध्या में कोऑपरेटिव बैंक एम्प्लाइज यूनियन के 49वें स्थापना दिवस पर संघ के पदाधिकारियों ने जिला सहकारी बैंकों के अस्तित्व को बचाने की मांग की.

हाथ में अपनी मागों की पर्ची लिए कर्मचारी.
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Published : Sep 18, 2020, 7:51 PM IST

अयोध्या: कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन के 49वें स्थापना दिवस पर संघ के पदाधिकारियों ने जिला सहकारी बैंकों के अस्तित्व को बचाने की मांग की है. यूनियन के पदाधिकारियों ने शासन से जिला सहकारी बैंकों को उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक में विलय कराने की अपील की. कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकारी बैंकों को बचाने से सरकार की योजनाओं का किसानों को लाभ मिलेगा.

अब तक के सबसे निचले पायदान पर पहुंचा कोऑपरेटिव बैंक

17 सितंबर 1971 को उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक और नगरीय सहकारी बैंकों के कर्मचारियों के श्रमिक संगठन को मिलाकर कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन उत्तर प्रदेश की स्थापना की गई थी. यूनियन अपने 49वें स्थापना दिवस पर अब तक के सबसे निचले पायदान पर पहुंच चुका है. आर्थिक संकट के चलते एंप्लाइज यूनियन कर्मचारियों की नौकरी पर खतरे को लेकर चिंतित है. ऐसे में यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार से जिला सहकारी बैंकों को उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक में विलय करने की मांग की है. उनका मानना है कि प्रदेश सरकार अगर इस दिशा में निर्णय लेती है तो इसके कई लाभ होंगे.

आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा जिला सहकारी बैंक

विभिन्न स्तर पर संचालित सहकारी समितियों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को खाद और बीज उपलब्ध कराए जाते हैं. मौजूदा परिस्थिति में जिला सहकारी बैंक आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन की नौकरी भी खतरे में है. पिछले तीन वर्ष से कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन की ओर से जिला सहकारी बैंकों के उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक में विलय की मांग की जा रही है. सहकारी समितियों के कर्मचारियों का मानना है कि ऐसा करने से जिला सहकारी बैंक की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. आर्थिक स्थिति मजबूत होने के बाद सहकारी बैंक किसानों को सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ उपलब्ध कराने में और अधिक सहायक हो सकेंगे.

50 जिला कोऑपरेटिव बैंकों का विलय

कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि 50 जिला कोऑपरेटिव बैंकों का उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक में विलय होना है. यह विलय होने से बैंक के खर्चों में भी कमी आएगी. इसके साथ रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की द्वितीय अजी सूची के अंतर्गत कोऑपरेटिव बैंक को लाभ मिलेगा. ऐसा होता है तो सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक से ऋण भी मिल सकेगा. कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन ने गत 30 जुलाई को इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जिला सहकारी बैंकों के विलय की प्रक्रिया त्वरित संपन्न कराने की मांग की. जिस पर संज्ञान लेते हुए अपर मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है.

उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक में जिला सहकारी बैंकों के विलय से अत्यधिक लाभ होगा. मौजूदा समय में धन की कमी के चलते कोऑपरेटिव बैंक सहकारी सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ किसानों को उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. सहकारी बैंक एकमात्र बैंक है, जिसमें किसान प्राथमिकता पर अपना खाता खुलवाते हैं. यह बैंक गरीब, असहाय, किसान और मजदूरों की सहायक है. सरकार को शीघ्र उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक में जिला सहकारी बैंकों का विलय कर इसके अस्तित्व को बचाना चाहिए.

-सुधीर कुमार सिंह, प्रदेश महामंत्री, कोऑपरेटिव एम्प्लाइज यूनियन

अयोध्या: कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन के 49वें स्थापना दिवस पर संघ के पदाधिकारियों ने जिला सहकारी बैंकों के अस्तित्व को बचाने की मांग की है. यूनियन के पदाधिकारियों ने शासन से जिला सहकारी बैंकों को उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक में विलय कराने की अपील की. कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों ने कहा कि सरकारी बैंकों को बचाने से सरकार की योजनाओं का किसानों को लाभ मिलेगा.

अब तक के सबसे निचले पायदान पर पहुंचा कोऑपरेटिव बैंक

17 सितंबर 1971 को उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक और नगरीय सहकारी बैंकों के कर्मचारियों के श्रमिक संगठन को मिलाकर कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन उत्तर प्रदेश की स्थापना की गई थी. यूनियन अपने 49वें स्थापना दिवस पर अब तक के सबसे निचले पायदान पर पहुंच चुका है. आर्थिक संकट के चलते एंप्लाइज यूनियन कर्मचारियों की नौकरी पर खतरे को लेकर चिंतित है. ऐसे में यूनियन के पदाधिकारियों ने प्रदेश सरकार से जिला सहकारी बैंकों को उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक में विलय करने की मांग की है. उनका मानना है कि प्रदेश सरकार अगर इस दिशा में निर्णय लेती है तो इसके कई लाभ होंगे.

आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा जिला सहकारी बैंक

विभिन्न स्तर पर संचालित सहकारी समितियों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को खाद और बीज उपलब्ध कराए जाते हैं. मौजूदा परिस्थिति में जिला सहकारी बैंक आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन की नौकरी भी खतरे में है. पिछले तीन वर्ष से कोऑपरेटिव बैंक एंप्लाइज यूनियन की ओर से जिला सहकारी बैंकों के उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक में विलय की मांग की जा रही है. सहकारी समितियों के कर्मचारियों का मानना है कि ऐसा करने से जिला सहकारी बैंक की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा. आर्थिक स्थिति मजबूत होने के बाद सहकारी बैंक किसानों को सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ उपलब्ध कराने में और अधिक सहायक हो सकेंगे.

50 जिला कोऑपरेटिव बैंकों का विलय

कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि 50 जिला कोऑपरेटिव बैंकों का उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक में विलय होना है. यह विलय होने से बैंक के खर्चों में भी कमी आएगी. इसके साथ रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की द्वितीय अजी सूची के अंतर्गत कोऑपरेटिव बैंक को लाभ मिलेगा. ऐसा होता है तो सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक से ऋण भी मिल सकेगा. कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन ने गत 30 जुलाई को इस संबंध में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जिला सहकारी बैंकों के विलय की प्रक्रिया त्वरित संपन्न कराने की मांग की. जिस पर संज्ञान लेते हुए अपर मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है.

उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक में जिला सहकारी बैंकों के विलय से अत्यधिक लाभ होगा. मौजूदा समय में धन की कमी के चलते कोऑपरेटिव बैंक सहकारी सरकारी योजनाओं का समुचित लाभ किसानों को उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. सहकारी बैंक एकमात्र बैंक है, जिसमें किसान प्राथमिकता पर अपना खाता खुलवाते हैं. यह बैंक गरीब, असहाय, किसान और मजदूरों की सहायक है. सरकार को शीघ्र उत्तर प्रदेश सहकारी बैंक में जिला सहकारी बैंकों का विलय कर इसके अस्तित्व को बचाना चाहिए.

-सुधीर कुमार सिंह, प्रदेश महामंत्री, कोऑपरेटिव एम्प्लाइज यूनियन

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