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2023 में होंगे राम मंदिर में रामलला के दर्शन, 2025 तक तैयार हो जाएगा पूरा परिसर

अयोध्या में श्रीराम राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और कार्यदाई संस्था के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लेकर मंथन हुआ. बैठक के बाद ट्रस्ट ने दावा किया कि 2023 में प्रस्तावित राम मंदिर में भक्त रामलला का दर्शन कर सकेंगे.

राम मंदिर अयोध्या.
राम मंदिर अयोध्या.
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Published : Jul 15, 2021, 7:09 PM IST

अयोध्याः राम मंदिर निर्माण की प्रगति समीक्षा बैठक के बाद गुरुवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने दावा किया है कि 2023 तक भक्त रामलला का दर्शन कर सकेंगे. अपने तीन दिवसीय दौरे पर अयोध्या पहुंचे श्रीराम राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में गुरुवार की दोपहर को सर्किट हाउस में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और कार्यदाई संस्था के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक हुई. बैठक में मंदिर निर्माण की कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लेकर मंथन हुआ और कुछ नए प्रस्ताव भी पारित हुए हैं. बैठक के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि 2023 में प्रस्तावित राम मंदिर में भक्तों को रामलला का दर्शन उपलब्ध हो जाएगा. उन्होंने कहा कि 2025 तक श्रीरामजन्म भूमि का 70 एकड़ परिसर विकसित हो जाएगा.

चंपत राय, महासचिव-श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट.

इसे भी पढ़ें-अक्टूबर के पहले सप्ताह तक भर दी जाएगी राम मंदिर की नींवः अनिल मिश्रा


बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए मलबे के भरे हुए स्तर तक खुदाई और रोलर कंपैक्ट कंक्रीट इंजीनियर फिल की परतों में भरने की सिफारिश की गई है. ट्रस्ट ने इंजीनियरिंग फिल की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने बताया कि जनवरी 2021 से शुरू हुए खुदाई के कार्य में 30 से 40 डंपर, 5 खुदाई करने वाली मशीनरी और अन्य मशीनरी को 12 मीटर तक भरी हुई मिट्टी की खुदाई के लिए उपयोग किया गया. जिससे लगभग 70 लाख क्यूबिक फीट खुदाई की गई है. उन्होंने कहा कि खुदाई के पूरे क्षेत्र में 44 परतों में इंजीनियर फिल से भरा जाना है. फिल की प्रत्येक परत 250 मिली मीटर मोटाई की होती है जिसे वांछित घनत्व की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रित संगठन के तहत रखा जाता है. इंजीनियर फिल की कुल मात्रा लगभग 4 4.5 लाख क्यूबिक फिट है. शेष उच्च स्तर की मिट्टी से भरा जाना है. इंजीनियर फिल की गतिविधि 15 सितंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है, जिस पर तेज गति से काम चल रहा है.

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राम मंदिर निर्माण की समीक्षा बैठक.

इसे भी पढ़ें-नृपेंद्र मिश्र ने राम मंदिर निर्माण कार्य की समीक्षा की, ट्रस्ट के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक

ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर की आधारशिला में खुदाई क्षेत्र की 44 परतों में इंजीनियर फिल के ऊपर 7 फीट मोटाई का राफ्ट निर्माण होगा. इसके लिए सभी डिजाइन और ड्राइंग का काम पूरा किया जा चुका है. इसके ऊपर प्लिंथ निर्माण किया जाना है. प्लिंथ की ऊंचाई 16 फीट तय की गई है. मंदिर के प्रिंट के लिए मिर्जापुर स्टोन का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए मिर्जापुर स्टोन का आर्डर भी दे दिया गया है. मिर्जापुर से पत्थरों की पहली खेप पहुंच चुकी है. वाटर प्रूफिंग के लिए प्लिंथ के चारों तरफ ग्रेनाइट पत्थर की तीन परत लगाई जाएगी. मंदिर के परकोटे के लिए जोधपुर पत्थर का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है. जोधपुर पत्थर के विनिर्देशों को अंतिम रूप आर्किटेक्ट और मेसर्स टीसीआई द्वारा किया जा रहा है. मंदिर निर्माण में उपयोग होने वाले बंसी पहाड़पुर पत्थर के संबंध में राजस्थान और भारत सरकार से संपर्क किया गया है. राज्य एवं केंद्र सरकार इस मामले में सहयोग कर रहे हैं और जल्द ही पत्थर की खरीद शुरू होने की संभावना है.

चंपत राय ने कहा कि परकोटा के बाहर संपूर्ण परिसर के लिए प्रारंभिक मास्टर प्लान तैयार किया गया है. इसमें तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अभिलेखागार, अनुसंधान केंद्र, सभागार, गौशाला, यज्ञशाला, प्रशासनिक भवन आदि शामिल है. स्थानीय अयोध्या नगरी के संतों एवं साधुओं के सुझाव भी मास्टर प्लान में शामिल होंगे. उनकी आवश्यकताओं को शामिल करने के लिए मास्टर प्लान पर चर्चा की जा रही है. बता दें कि राम मंदिर निर्माण की प्रगति की जांच के लिए साप्ताहिक एवं मासिक की जा रही है. इसी कड़ी में समीक्षा बैठक 14-15 जुलाई को संपन्न हुई है. बैठक में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज, सदस्य वीरेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र, एलएंडटी, टीसीआई सहित सहित अन्य तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद रहे.

अयोध्याः राम मंदिर निर्माण की प्रगति समीक्षा बैठक के बाद गुरुवार को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने दावा किया है कि 2023 तक भक्त रामलला का दर्शन कर सकेंगे. अपने तीन दिवसीय दौरे पर अयोध्या पहुंचे श्रीराम राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में गुरुवार की दोपहर को सर्किट हाउस में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और कार्यदाई संस्था के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ बैठक हुई. बैठक में मंदिर निर्माण की कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लेकर मंथन हुआ और कुछ नए प्रस्ताव भी पारित हुए हैं. बैठक के बाद ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि 2023 में प्रस्तावित राम मंदिर में भक्तों को रामलला का दर्शन उपलब्ध हो जाएगा. उन्होंने कहा कि 2025 तक श्रीरामजन्म भूमि का 70 एकड़ परिसर विकसित हो जाएगा.

चंपत राय, महासचिव-श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट.

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बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए मलबे के भरे हुए स्तर तक खुदाई और रोलर कंपैक्ट कंक्रीट इंजीनियर फिल की परतों में भरने की सिफारिश की गई है. ट्रस्ट ने इंजीनियरिंग फिल की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है. उन्होंने बताया कि जनवरी 2021 से शुरू हुए खुदाई के कार्य में 30 से 40 डंपर, 5 खुदाई करने वाली मशीनरी और अन्य मशीनरी को 12 मीटर तक भरी हुई मिट्टी की खुदाई के लिए उपयोग किया गया. जिससे लगभग 70 लाख क्यूबिक फीट खुदाई की गई है. उन्होंने कहा कि खुदाई के पूरे क्षेत्र में 44 परतों में इंजीनियर फिल से भरा जाना है. फिल की प्रत्येक परत 250 मिली मीटर मोटाई की होती है जिसे वांछित घनत्व की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए नियंत्रित संगठन के तहत रखा जाता है. इंजीनियर फिल की कुल मात्रा लगभग 4 4.5 लाख क्यूबिक फिट है. शेष उच्च स्तर की मिट्टी से भरा जाना है. इंजीनियर फिल की गतिविधि 15 सितंबर 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य है, जिस पर तेज गति से काम चल रहा है.

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राम मंदिर निर्माण की समीक्षा बैठक.

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ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम मंदिर की आधारशिला में खुदाई क्षेत्र की 44 परतों में इंजीनियर फिल के ऊपर 7 फीट मोटाई का राफ्ट निर्माण होगा. इसके लिए सभी डिजाइन और ड्राइंग का काम पूरा किया जा चुका है. इसके ऊपर प्लिंथ निर्माण किया जाना है. प्लिंथ की ऊंचाई 16 फीट तय की गई है. मंदिर के प्रिंट के लिए मिर्जापुर स्टोन का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए मिर्जापुर स्टोन का आर्डर भी दे दिया गया है. मिर्जापुर से पत्थरों की पहली खेप पहुंच चुकी है. वाटर प्रूफिंग के लिए प्लिंथ के चारों तरफ ग्रेनाइट पत्थर की तीन परत लगाई जाएगी. मंदिर के परकोटे के लिए जोधपुर पत्थर का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है. जोधपुर पत्थर के विनिर्देशों को अंतिम रूप आर्किटेक्ट और मेसर्स टीसीआई द्वारा किया जा रहा है. मंदिर निर्माण में उपयोग होने वाले बंसी पहाड़पुर पत्थर के संबंध में राजस्थान और भारत सरकार से संपर्क किया गया है. राज्य एवं केंद्र सरकार इस मामले में सहयोग कर रहे हैं और जल्द ही पत्थर की खरीद शुरू होने की संभावना है.

चंपत राय ने कहा कि परकोटा के बाहर संपूर्ण परिसर के लिए प्रारंभिक मास्टर प्लान तैयार किया गया है. इसमें तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अभिलेखागार, अनुसंधान केंद्र, सभागार, गौशाला, यज्ञशाला, प्रशासनिक भवन आदि शामिल है. स्थानीय अयोध्या नगरी के संतों एवं साधुओं के सुझाव भी मास्टर प्लान में शामिल होंगे. उनकी आवश्यकताओं को शामिल करने के लिए मास्टर प्लान पर चर्चा की जा रही है. बता दें कि राम मंदिर निर्माण की प्रगति की जांच के लिए साप्ताहिक एवं मासिक की जा रही है. इसी कड़ी में समीक्षा बैठक 14-15 जुलाई को संपन्न हुई है. बैठक में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरी महाराज, सदस्य वीरेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र, एलएंडटी, टीसीआई सहित सहित अन्य तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद रहे.

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