लखनऊ: आयुष्मान भारत को उत्तर प्रदेश में लागू हुए लगभग डेढ़ साल हो चुके हैं. अब तक करीब 11 लाख लोगों को इस योजना का लाभ मिल चुका है. साथ ही 80 लाख लोगों का आयुष्मान कार्ड बन चुका है. लेकिन बीते डेढ़ साल में ऐसे बहुत से मामले सामने आए हैं, जिनमें आयुष्मान भारत कार्ड बनवाने में राशन कार्ड की गड़बड़ियां सामने आई थीं.
आयुष्मान भारत का कार्यभार देख रही सांची संस्था का एफसीएस (फूड सिविल सप्लाई) से अनुबंध किया गया है. इससे अब राशन कार्ड के माध्यम से आयुष्मान भारत में हो रही गड़बड़ियों पर लगाम लगाई जा सकेगी.
अपात्रों पर कसी जाएगी लगाम
आयुष्मान भारत का कार्यभार देख रही संस्था ने यह निर्णय लिया है कि वह अब फूड सिविल सप्लाई के माध्यम से राशन कार्ड धारकों के राशन कार्ड नंबर से ही उनकी पात्रता का पता लगा लेगी. इससे अपात्रों का राशन कार्ड के माध्यम से आयुष्मान भारत कार्ड बनवाने का काला धंधा पूरी तरीके से बंद हो जाएगा.
बीते कई दिनों में ऐसी कई घटनाएं उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से भी सामने आ रही थी. अपात्रों ने फर्जी राशन कार्ड से आयुष्मान भारत योजना के कार्ड बनवा लिए थे. इन कारणों से बहुत से ऐसे वास्तविक मरीज थे, जिनको योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा था.
सांची संस्था की निदेशक ने दी जानकारी
सांची की निदेशक संगीता सिंह ने बताया कि इस पूरे मामले पर सांची संस्था ने इन गड़बड़ियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए फूड सिविल सप्लाई के माध्यम से एक फैसला लिया गया है. इसके मुताबिक उत्तर प्रदेश के सभी सीएससी, पीएससी, जिला अस्पतालों के आयुष्मान काउंटरों पर लाभार्थियों को सिर्फ अपना राशन कार्ड नंबर ही बताना होगा. उसके बाद वहां बैठा आयुष्मान मित्र यह पता लगा लेगा कि इस व्यक्ति का राशन कार्ड एफसीएस की सूची में है या नहीं. इस तरह से धोखाधड़ी करने वालों पर लगाम कसी जाएगी.
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