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2023 तक तारों के जाल से मुक्त होगी अयोध्या, ये होंगे फायदे

अयोध्या के चहुंमुखी विकास (all round development of ayodhya) योजना के तहत जून 2023 तक धर्मनगरी को तारों के जाल से मुक्त करा दिया जाएगा. अंडर ग्राउंड पावर केबिल का काम 50 फीसदी पूरा हो चुका है. इससे कई फायदे होंगे. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

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2023 के जून माह तक धर्म नगरी बिजली के तारों के जाल से पूरी तरह से मुक्त हो अयोध्या
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Published : Aug 27, 2022, 5:26 PM IST

अयोध्याः भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या (holy city Ayodhya) को विश्वस्तरीय नगरी बनाने में लगी यूपी सरकार यहां अरबों रुपये की विभिन्न परियोजनाओं में निवेश कर रही है. अयोध्या के चहुंमुखी विकास को संकल्पित सरकार के प्रयास से साल 2023 के जून माह तक धर्म नगरी बिजली के तारों के जाल से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगी. धर्म नगरी में अंडर ग्राउंड पावर केबलिंग का काम 50 फीसदी पूरा हो चुका है जबकि शेष काम वर्ष 2023 के जून माह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

बता दें कि इस योजना के धरातल पर आने से न सिर्फ उपभोक्ताओं को निर्बाध रूप से विद्युत आपूर्ति मिलेगी बल्कि लोगों की आस्था का केंद्र हनुमान जी के वंशज माने जाने वाले बंदरों की जान भी बचेगा. हर साल सैकड़ों से अधिक बंदर इन खुले हुए बिजली के तारों में दौड़ रहे करंट की चपेट में आने से बेमौत मारे जाते हैं. इस योजना के साकार होने से इन बेजुबानों की जान भी बच जाएगी.

ऊर्जा मंत्रालय, एनटीपीसी टांडा और अयोध्या जिला प्रशासन द्वारा (Ayodhya District Administration) 'उज्जवल भारत (Ujjwal India) उज्जवल भविष्य पावर 2047' कार्यक्रम के अंतर्गत बिजली के तारों को भूमिगत किया जा रहा है. 179.60 करोड़ रुपये की लागत से हो रहे इस काम में एरियल बंडल केबल (एबीसी) डालने का काम अक्टूबर माह तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके अलावा अयोध्या में उजाला योजना के अंतर्गत अबतक 3,81,536 एलईडी लाइट का वितरण किया गया है. इससे विद्युत मांग में 20.22 मेगावाट की कमी भी आयी है. इसके साथ ही विभाग को 19 लाख रुपये की बचत भी हुई है.

यह भी पढ़ें-अयोध्या में सपा कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन, प्रदेश को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग

अधिशाषी अभियन्ता प्रदीप कुमार वर्मा (Executive Engineer Pradeep Kumar Verma) के अनुसार भूमिगत केबल बिछाने की कुल लागत लगभग 180 करोड़ है. जिसमें अबतक करीब 50 फीसदी काम पूरा कर लिया गया है. इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम (IPDS) योजना का काम जून 2021 में शुरू किया था. जिसे पूरा करने का लक्ष्य जून 2023 तक रखा गया है.


यह भी पढ़ें- भूपेंद्र सिंह चौधरी 29 अगस्त को ग्रहण करेंगे कार्यभार, स्वतंत्र देव सौंपेंगे यूपी BJP की सत्ता

अयोध्याः भगवान श्री राम की पावन नगरी अयोध्या (holy city Ayodhya) को विश्वस्तरीय नगरी बनाने में लगी यूपी सरकार यहां अरबों रुपये की विभिन्न परियोजनाओं में निवेश कर रही है. अयोध्या के चहुंमुखी विकास को संकल्पित सरकार के प्रयास से साल 2023 के जून माह तक धर्म नगरी बिजली के तारों के जाल से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगी. धर्म नगरी में अंडर ग्राउंड पावर केबलिंग का काम 50 फीसदी पूरा हो चुका है जबकि शेष काम वर्ष 2023 के जून माह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

बता दें कि इस योजना के धरातल पर आने से न सिर्फ उपभोक्ताओं को निर्बाध रूप से विद्युत आपूर्ति मिलेगी बल्कि लोगों की आस्था का केंद्र हनुमान जी के वंशज माने जाने वाले बंदरों की जान भी बचेगा. हर साल सैकड़ों से अधिक बंदर इन खुले हुए बिजली के तारों में दौड़ रहे करंट की चपेट में आने से बेमौत मारे जाते हैं. इस योजना के साकार होने से इन बेजुबानों की जान भी बच जाएगी.

ऊर्जा मंत्रालय, एनटीपीसी टांडा और अयोध्या जिला प्रशासन द्वारा (Ayodhya District Administration) 'उज्जवल भारत (Ujjwal India) उज्जवल भविष्य पावर 2047' कार्यक्रम के अंतर्गत बिजली के तारों को भूमिगत किया जा रहा है. 179.60 करोड़ रुपये की लागत से हो रहे इस काम में एरियल बंडल केबल (एबीसी) डालने का काम अक्टूबर माह तक पूरा कर लिया जाएगा. इसके अलावा अयोध्या में उजाला योजना के अंतर्गत अबतक 3,81,536 एलईडी लाइट का वितरण किया गया है. इससे विद्युत मांग में 20.22 मेगावाट की कमी भी आयी है. इसके साथ ही विभाग को 19 लाख रुपये की बचत भी हुई है.

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अधिशाषी अभियन्ता प्रदीप कुमार वर्मा (Executive Engineer Pradeep Kumar Verma) के अनुसार भूमिगत केबल बिछाने की कुल लागत लगभग 180 करोड़ है. जिसमें अबतक करीब 50 फीसदी काम पूरा कर लिया गया है. इंटीग्रेटेड पॉवर डेवलपमेंट स्कीम (IPDS) योजना का काम जून 2021 में शुरू किया था. जिसे पूरा करने का लक्ष्य जून 2023 तक रखा गया है.


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