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क्या आपको पता है भगवान राम की नगरी अयोध्या में है स्वर्ग जाने का द्वार ? - सरयू की सहस्त्रधारा

उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगरी में एक मोहल्ला ऐसा है, जिसे स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है. इसकी मान्यता वाल्मीकि पुराण और विष्णु पुराण से मिलता है. महंत उमेश दास से स्वर्गद्वार के बारे में ईटीवी संवाददाता ने खास बातचीत की.

अयोध्या में स्वर्गद्वार.
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Published : Sep 29, 2019, 11:39 PM IST

अयोध्या: भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्वर्गद्वार के नाम से एक ऐसा मोहल्ला है, जिसकी मान्यता विष्णु पुराण और वाल्मीकि रामायण में मिलता है. इसी स्वर्गद्वार में रहने वाले महंत उमेश दास ने बताया कि क्यों इसे स्वर्ग द्वार कहा जाता है और इसके पीछे का रहस्य क्या है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

महर्षि विश्वामित्र ने की स्थापना
महंत उमेश दास ने बताया कि इस स्वर्गद्वार की स्थापना विश्वामित्र ने की थी. विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु की सेवा से खुश होकर वरदान मांगने को कहा, जिस पर राजा त्रिशंकु ने सशरीर स्वर्ग प्राप्ति का वरदान मांगा. महर्षि विश्वामित्र ने लेकिन इसके लिए विशेष यज्ञ कराया गया, जिस स्थान में यज्ञ हुआ, उसी स्थान को स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

राजा त्रिशंकु को भेजा गया स्वर्ग
महंत ने बताया कि विश्वामित्र ने काल की गणना के अनुसार सरयू की सहस्त्रधारा से पूर्व की ओर 200 धनुष और फिर दक्षिण की ओर 200 धनुष की जमीन का माप किया. उसी क्षेत्र में यज्ञ शुरू किया गया. इसी स्थान से त्रिशंकु को स्वर्ग भेजा गया. उसके बाद से आज तक इसे स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

अयोध्या: भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्वर्गद्वार के नाम से एक ऐसा मोहल्ला है, जिसकी मान्यता विष्णु पुराण और वाल्मीकि रामायण में मिलता है. इसी स्वर्गद्वार में रहने वाले महंत उमेश दास ने बताया कि क्यों इसे स्वर्ग द्वार कहा जाता है और इसके पीछे का रहस्य क्या है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

महर्षि विश्वामित्र ने की स्थापना
महंत उमेश दास ने बताया कि इस स्वर्गद्वार की स्थापना विश्वामित्र ने की थी. विश्वामित्र ने राजा त्रिशंकु की सेवा से खुश होकर वरदान मांगने को कहा, जिस पर राजा त्रिशंकु ने सशरीर स्वर्ग प्राप्ति का वरदान मांगा. महर्षि विश्वामित्र ने लेकिन इसके लिए विशेष यज्ञ कराया गया, जिस स्थान में यज्ञ हुआ, उसी स्थान को स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

राजा त्रिशंकु को भेजा गया स्वर्ग
महंत ने बताया कि विश्वामित्र ने काल की गणना के अनुसार सरयू की सहस्त्रधारा से पूर्व की ओर 200 धनुष और फिर दक्षिण की ओर 200 धनुष की जमीन का माप किया. उसी क्षेत्र में यज्ञ शुरू किया गया. इसी स्थान से त्रिशंकु को स्वर्ग भेजा गया. उसके बाद से आज तक इसे स्वर्गद्वार के नाम से जाना जाता है.

Intro:अयोध्या में स्वर्ग दार से जुड़े हुए विजुअल्स डेस्क की डिमांड परBody:अयोध्या के सरयू घाट अयोध्या entry-point स्वर्गद्वार हनुमानगढ़ी संबंधित रिजल्टConclusion:दिनेश मिश्रा अयोध्या
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