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अयोध्याः 300 सफाईकर्मियों को नहीं मिला चार महीने से वेतन, भीख मांगने पर मजबूर - ayodhya latest news

यूपी के अयोध्या में डेली बेसिस पर काम कर रहे 300 सफाईकर्मियों को चार महीने से पेंमेंट नहीं मिला है. सफाईकर्मियों का कहना है कि वे भुखमरी की कगार पर हैं. भीख मांग कर गुजर-बसर कर रहे हैं. उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. अधिकारी कहते हैं कि जब बजट पास होगा तब पैसा मिलेगा.

सफाईकर्मी.
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Published : Nov 8, 2019, 2:03 PM IST

अयोध्याः डेली बेसिस पर कार्यरत 300 सफाई कर्मचारियों को पिछले चार महीने से पेमेंट नहीं मिला. ये वो सफाई कर्मचारी हैं, जिन्हें स्वास्थ विभाग से डेली बेसिस पर रखा गया है. बदले में 250रु. रोजाना के हिसाब से पेमेंट दिया जाना है, लेकिन पिछले चार महीने से 300 कर्मियों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है. बच्चे भीख मांगने पर मजबूर हैं. वहीं अयोध्या के सीएमओ का कहना है, "ये मेरी जिम्मेदारी नहीं है. जब ऊपर से ही पैसा नहीं आएगा तो हम कैसे देंगे."

300 सफाईकर्मियों को नहीं मिला चार महीने से वेतन, भीख मांगने पर मजबूर.

योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार विकास की नई-नई योजनाएं बना रही है, उनके लिए बजट भी एडवांस जारी किया जा रहा है, फिर भी विकास का पहिया जहां था वहीं का वहीं रुका हुआ है. क्योंकि इसकी जिम्मेदारी के लिए जिन्हें लगाया गया है, वो बस अपना कार्यकाल पूरा करने में लगे हुए हैं.

पढ़ेंः-अयोध्या भूमि विवाद: बदायूं में पुलिस अलर्ट, चप्पे-चप्पे पर रखी जा रही कड़ी नजर

ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे सफाई कर्मियों के परिवार की बदहाली और सीएम योगी के भ्रष्ट अफसर राज को सामने लाने का प्रयास किया है. अयोध्या में सफाईकर्मियों की इस ववत कोई सुनने वाला नहीं है, नीचे से लेकर ऊपर तक फैले अधिकारियों के जाल में ये बाहर से मजदूरी करने आए गरीब फंस गए हैं. जिनके रहने , खाने, की कोई व्यवस्था नहीं है. उनके बच्चे ऐसी स्थिति में भीख मांगने को मजबूर हो गए हैं.

विडला धर्मशाला में टिके हैं कर्मी
श्रीराम चिकित्सालय में डेली बेसिस मजदूरों की हालात इस वक्त भुखमरी पर पहुंच गई है. विडला धर्मशाला के ठीक सामने पुराने बस स्टैंड पर जर्सी बरामदे में यह सभी सफाई कर्मचारी अपने नन्हे-नन्हे बच्चों को लेकर रहते हैं. यह पुराना बस स्टैंड उसी तरह से जर्जर है, जैसे बड़े फाइव स्टार होटल के सामने कोई झोपड़ी.

भीख मांगने पर हैं मजबूर
भले ही मेले के लिए 133 करोड रुपए जारी हुए, लेकिन इनके 250 रुपये देने के लिए चार महीने से इन्हें लगातार दौड़ाया जा रहा है. हालात अब इतने बुरे हो गए हैं कि, छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगने पर मजबूर हैं. यह पूरा परिवार अयोध्या में छोटी-छोटी जरूरत की चीजों के लिए भी उधार लेकर जीवन यापन कर रहा है. इन सभी परिवारों को बांदा, चित्रकूट, महोबा, और कर्वी से बुलाया गया है.

गुहार लगाने पर भी नहीं हुई सुनवाई
बांदा से आए मेवालाल ने बताय कि उन्होंने डीएम को भी पत्र लिखा यहां सीएमओ को भी कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब उनके पास वापस जाने तक के पैसे नहीं हैं. वे बार-बार ऑफिस में पैसे मांगने जाते हैं, तो कहा जाता है कि मत आया करो ऑफिस गंदा हो जाता है. अगर तुम काम नहीं करोगे तो दूसरे को बुला लेंगे ऐसी धमकी देते हैं.

वहीं सीएमओ सीपी द्विवेदी ने कहा कि उनके पास इन कामों के लिए एडवांस बजट नहीं होता है. जब होगा तभी पेमेंट कर पाएंगे. उन्होंने इसके लिए चार बार रिमाइंडर भेजा है, लेकिन लखनऊ से पेमेंट जारी नहीं किया गया. अब यह पेमेंट कराना उनकी जिम्मेदारी नहीं है.


हाल ही में योगी सरकार ने अयोध्या के मेले के लिए 133 करोड़ रुपए जारी किया. वहीं कुछ दिन पहले दीपोत्सव के दौरान भी सरकार ने लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए खर्च किए. अयोध्या जिले का स्वास्थ्य विभाग कितना बीमार है और मानसिक रूप से कितना विक्षिप्त हो चुका है इसका अंदाजा इन गरीब मजदूरों के 250 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी रोकने मात्र से दिखाई पड़ जाता है. शासन सत्ता में बैठे हुए ऐसे भ्रष्ट अधिकारी भी हैं जिन्होंने ऐसे फाइलों को महत्त्व देना उचित नहीं समझा होगा. खैर मामला जो भी हो लेकिन प्रकरण गंभीर है. योगी सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए इन परिवारों को और उनके बच्चों को सड़कों पर आने से बचाना चाहिए.

अयोध्याः डेली बेसिस पर कार्यरत 300 सफाई कर्मचारियों को पिछले चार महीने से पेमेंट नहीं मिला. ये वो सफाई कर्मचारी हैं, जिन्हें स्वास्थ विभाग से डेली बेसिस पर रखा गया है. बदले में 250रु. रोजाना के हिसाब से पेमेंट दिया जाना है, लेकिन पिछले चार महीने से 300 कर्मियों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया है. बच्चे भीख मांगने पर मजबूर हैं. वहीं अयोध्या के सीएमओ का कहना है, "ये मेरी जिम्मेदारी नहीं है. जब ऊपर से ही पैसा नहीं आएगा तो हम कैसे देंगे."

300 सफाईकर्मियों को नहीं मिला चार महीने से वेतन, भीख मांगने पर मजबूर.

योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार विकास की नई-नई योजनाएं बना रही है, उनके लिए बजट भी एडवांस जारी किया जा रहा है, फिर भी विकास का पहिया जहां था वहीं का वहीं रुका हुआ है. क्योंकि इसकी जिम्मेदारी के लिए जिन्हें लगाया गया है, वो बस अपना कार्यकाल पूरा करने में लगे हुए हैं.

पढ़ेंः-अयोध्या भूमि विवाद: बदायूं में पुलिस अलर्ट, चप्पे-चप्पे पर रखी जा रही कड़ी नजर

ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे सफाई कर्मियों के परिवार की बदहाली और सीएम योगी के भ्रष्ट अफसर राज को सामने लाने का प्रयास किया है. अयोध्या में सफाईकर्मियों की इस ववत कोई सुनने वाला नहीं है, नीचे से लेकर ऊपर तक फैले अधिकारियों के जाल में ये बाहर से मजदूरी करने आए गरीब फंस गए हैं. जिनके रहने , खाने, की कोई व्यवस्था नहीं है. उनके बच्चे ऐसी स्थिति में भीख मांगने को मजबूर हो गए हैं.

विडला धर्मशाला में टिके हैं कर्मी
श्रीराम चिकित्सालय में डेली बेसिस मजदूरों की हालात इस वक्त भुखमरी पर पहुंच गई है. विडला धर्मशाला के ठीक सामने पुराने बस स्टैंड पर जर्सी बरामदे में यह सभी सफाई कर्मचारी अपने नन्हे-नन्हे बच्चों को लेकर रहते हैं. यह पुराना बस स्टैंड उसी तरह से जर्जर है, जैसे बड़े फाइव स्टार होटल के सामने कोई झोपड़ी.

भीख मांगने पर हैं मजबूर
भले ही मेले के लिए 133 करोड रुपए जारी हुए, लेकिन इनके 250 रुपये देने के लिए चार महीने से इन्हें लगातार दौड़ाया जा रहा है. हालात अब इतने बुरे हो गए हैं कि, छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगने पर मजबूर हैं. यह पूरा परिवार अयोध्या में छोटी-छोटी जरूरत की चीजों के लिए भी उधार लेकर जीवन यापन कर रहा है. इन सभी परिवारों को बांदा, चित्रकूट, महोबा, और कर्वी से बुलाया गया है.

गुहार लगाने पर भी नहीं हुई सुनवाई
बांदा से आए मेवालाल ने बताय कि उन्होंने डीएम को भी पत्र लिखा यहां सीएमओ को भी कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब उनके पास वापस जाने तक के पैसे नहीं हैं. वे बार-बार ऑफिस में पैसे मांगने जाते हैं, तो कहा जाता है कि मत आया करो ऑफिस गंदा हो जाता है. अगर तुम काम नहीं करोगे तो दूसरे को बुला लेंगे ऐसी धमकी देते हैं.

वहीं सीएमओ सीपी द्विवेदी ने कहा कि उनके पास इन कामों के लिए एडवांस बजट नहीं होता है. जब होगा तभी पेमेंट कर पाएंगे. उन्होंने इसके लिए चार बार रिमाइंडर भेजा है, लेकिन लखनऊ से पेमेंट जारी नहीं किया गया. अब यह पेमेंट कराना उनकी जिम्मेदारी नहीं है.


हाल ही में योगी सरकार ने अयोध्या के मेले के लिए 133 करोड़ रुपए जारी किया. वहीं कुछ दिन पहले दीपोत्सव के दौरान भी सरकार ने लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए खर्च किए. अयोध्या जिले का स्वास्थ्य विभाग कितना बीमार है और मानसिक रूप से कितना विक्षिप्त हो चुका है इसका अंदाजा इन गरीब मजदूरों के 250 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी रोकने मात्र से दिखाई पड़ जाता है. शासन सत्ता में बैठे हुए ऐसे भ्रष्ट अधिकारी भी हैं जिन्होंने ऐसे फाइलों को महत्त्व देना उचित नहीं समझा होगा. खैर मामला जो भी हो लेकिन प्रकरण गंभीर है. योगी सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए इन परिवारों को और उनके बच्चों को सड़कों पर आने से बचाना चाहिए.

Intro:अयोध्या. योगी आदित्यनाथ सरकार लगातार बिकास की नई नई योजनाएं बना रही है, उनके लिए बजट भी एडवांस जारी किया जा रहा है, फिर भी विकास का पहिया जहां था वहीं का वहीं रुका हुआ है, क्योंकि इसकी जिम्मेदारी के लिए जिन्हें लगया गया है, वो बस अपना कार्यकाल पूरा करने में लगे हुए भी हैं। ऐसी ही एक अव्यवस्था भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में देखने को मिली। यहां डेली बेसिस पर कार्यरत 300 सफाई कर्मचारियों को पिछले 4महीने से पेमेंट नहीं मिला। ये वो सफाई कर्मचारी हैं, जिन्हें स्वास्थ विभाग से डेली बेसिस पर रखा जाता है, बदले में 250रु रोजाना के हिसाब से पेमेंट दिया जाना है। लेकिन पिछले 4महीने से 300 कर्मियों का परिवार भुखमरी की कगार पर पहुच गया है। बच्चे भीख मांगने को मजबूर हैं। वहीं अयोध्या "सीएमओ का कहना है, ये मेरी जिम्मेदारी नहीं है, जब ऊपर से ही पैसा नहीं आएगा तो हम कैसे देंगे।"
ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे सफाई कर्मियों के परिवार की बदहाली और सीएम योगी के भ्रष्ट अफसर राज़ को सामने लाने का प्रयास किया है। अयोध्या में सफाई कर्मचारियों की इस ववत कोई सुनने वाला नहीं है, नीचे से लेकर ऊपर तक फैले अधिकारियों के जाल में ये बाहर से मजदूरी करने आए गरीब फंस गए हैं। जिनके रहने , खाने, की कोई व्यवस्था नहीं है। उनके बच्चे ऐसी स्थिति में भीख मांगने को मजबूर हो गए हैं।


Body:अयोध्या श्रीराम चिकित्सालय में डेली बेसिस मजदूरों की हालात इस वक़्त भुखमरी पर पहुँच गए हैं। जिनकी कोई सुनने वाला नहीं है। विडला धर्मशाला के ठीक सामने पुराने बस स्टैंड पर जर्सी बरामदे में यह सभी सफाई कर्मचारी अपने नन्हे नन्हे बच्चों को लेकर रहते हैं यह पुराना बस स्टैंड उसी तरह से जर्जर है जैसे बड़े फाइव स्टार होटल के सामने कोई झोपड़ी, जी हां।
क्योंकि, योगी सरकार ने अयोध्या में भव्य दीपोत्सव और मेले के आयोजन के लिए 135 करोड़ पर जारी किया हैं, लेकिन ऐसे गरीब मजदूरों की और उनकी ऐसी बदहाली पर कोई देखे करने वाला नहीं है।
भले ही मेले के लिए 133 करोड रुपए जारी है, लेकिन इनका ₹250 देने के लिए भी 4 महीने से इन्हें लगातार दौड़ाया जा रहा है, हालात अब इतने बुरे हो गए हैं कि, छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगने पर मजबूर हैं, यह पूरा परिवार अयोध्या में छोटी-छोटी जरूरत थी चीजों के लिए भी उधार लेकर जीवन यापन कर रहा है। इन सभी परिवारों को बांदा चित्रकूट महोबा कर्वी से बुलाया गया है।
बांदा से आई रेखा कहती हैं, हम यहां मजदूरी करने आए थे, दिनभर लोगों की गंदगी साफ करते हैं, ताकि सफाई रहे लेकिन हमारे बच्चों को नाले के किनारे और ऐसी ही गंदी जगहों पर रहना पड़ता है। उसके बाद भी 4महीनों से पैसा नहीं मिला।
चित्रकूट से आई संगीता कहती है कि, हमारे बच्चों का एडमिशन गांव में था, लेकिन कोई कमाई नहीं थी इसलिए सबको लेकर यहां मजदूरी करने आए। अब न पैसा है न बच्चों की पढ़ाई।
वहीं बांदा से आए मेवालाल कहते हैं, हमारी मजदूरी 250 रु के हिसाब से देने की बात पर हमने काम शुरू किया था लेकिन बीच में एक अधिकारी आए बोले ₹150 लेना हो तो मैं पेमेंट तुरंत करा दूं जब हमने उनकी बात नहीं मानी तो आज तक हमारा पेमेंट नहीं हुआ।
वही बांदा से आए मेवालाल कहते हैं हमने डीएम को भी पत्र लिखा यहां सीएमओ को भी कहा लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई अब हमारे पास वापस जाने तक के पैसे नहीं है हम बार-बार पैसे मांगने जाते हैं उनके ऑफिस में तो कहते हैं मत आया करो ऑफिस गंदा हो जाता है अगर तुम काम नहीं करोगे तो दूसरा को बुला लेंगे ऐसी धमकी देते हैं अब ऐसे में हम बहुत गरीब है समझ नहीं आ रहा है क्या करें बच्चों को रोता नहीं देख सकते हैं उन्हें खाना तो खिलाना ही है।
वहीं सीएमओ सीपी द्विवेदी ने कहा कि हमारे पास इन कामों के लिए एडवांस बजट नहीं होता है जब होगा तभी पेमेंट कर पाएंगे हमने 4 बार रिमाइंडर भेजा है लेकिन लखनऊ से पेमेंट जारी नहीं किया गया अब यह पेमेंट कराना हमारी जिम्मेदारी नहीं है।






Conclusion:हाल ही में योगी सरकार ने अयोध्या की मेले के लिए 135 करोड़ रुपए जारी किया है वही कुछ दिन पहले दीपोत्सव दीपोत्सव के दौरान भी सरकार ने लगभग डेढ़ सौ करोड़ रुपए खर्च किए गए दीपोत्सव किए डेढ़ सौ करोड़ रुपए सरकार ने तत्काल जारी करते हुए कार्यों को तेजी से करने के लिए दिए थे अब ऐसे में सरकार की अधिकारियों में किस तरह का भ्रष्टाचार फैला हुआ है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है अयोध्या जिले का स्वास्थ्य विभाग कितना बीमार है और मानसिक रूप से कितना विक्षिप्त हो चुका है इसका अंदाजा इन गरीब मजदूरों के ₹250 प्रतिदिन की मजदूरी रोकने मात्र से दिखाई पड़ जाता है और शासन सत्ता में बैठे हुए ऐसे भ्रष्ट अधिकारी भी हैं जिन्होंने ऐसे फाइलों को महत्त्व देना उचित नहीं समझा होगा खैर मामला जो भी हो लेकिन प्रकरण गंभीर है योगी सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए इन परिवारों को और उनके बच्चों को सड़कों पर आने से बचाना होगा




दिनेश मिश्रा
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