अयोध्या: भगवान श्रीराम की अयोध्या नगरी की सुंदरता अक्षय नवमी पर देखते बन रही है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में परिक्रमा पथ पर अग्रसर हैं. जब मन में 84 लाख योनियों के पाप काटने का संकल्प और राम नाम का विश्वास हो तो भला पांव कैसे रुक सकते हैं. पवित्र कार्तिक मास में अक्षय नवमी तिथि के मौके पर राम नगरी के चतुर्दिक 45 किलोमीटर लंबे परिक्रमा पथ पर लाखों श्रद्धालु चल पड़े हैं. श्रद्धालु 14 कोसी परिक्रमा कर रहे हैं.
ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी तिथि पर किया गया पुण्य 84 लाख योनियों के चक्र से मुक्त कर सकता है. इस तिथि पर किया गया पुण्य कभी नष्ट नहीं होता. यही वजह है कि लाखों की संख्या में पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं.
14 कोस की परिधि में बसती है अयोध्या
अयोध्या के वरिष्ठ संत और तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी के अनुसार, राम नगरी अयोध्या में भगवान श्रीराम की पवित्र जन्मस्थली के अलावा कई हजार मंदिर हैं. वैसे तो पूरे देश भर के अलग-अलग तीर्थ स्थलों की परिक्रमा करने की परंपरा रही है, लेकिन अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा का महत्व विशेष है. ऐसी पौराणिक मान्यता है कि 14 कोस की परिधि में भगवान श्रीराम की अयोध्या बसती है. इस क्षेत्र में कई हजार मंदिर हैं, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं का गर्भगृह भी है. जब कोई श्रद्धालु इस परिक्रमा पथ पर परिक्रमा करता है तो सिर्फ राम जन्मभूमि और रामलला ही नहीं, इन सभी देवी देवताओं और पूरी अयोध्या की परिक्रमा हो जाती है. इसलिए अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा का विशेष महत्व है.
परिक्रमा से धुल जाते हैं पाप
राम नगरी अयोध्या में परिक्रमा की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, मनुष्य इस धरती पर 84 लाख योनियों की यात्रा करता है. इस दौरान उससे अनेक पाप और अधर्म होते हैं. जब वह जीव मानव का शरीर पाता है तब उसके पास यह अवसर होता है कि वह स्वयं द्वारा किए गए अधर्म और पाप का पश्चाताप करे. परिक्रमा एक ऐसा अनुष्ठान है, जिसके जरिए वह अपने सभी पाप मिटा सकता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, परिक्रमा पथ पर चला गया एक-एक कदम हजारों पापों का नाश करता है. इस कारण परिक्रमा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
पूर्वजों को मिलता है स्वर्ग
अयोध्या पहुंचे श्रद्धालुओं का ये भी मानना है कि अक्षय नवमी के दिन की गई परिक्रमा से उनकी मनोकामना पूर्ण हुई है. मान्यता यह भी है कि तीन वर्ष अनवरत परिक्रमा करने से सकल मनोरथ पूर्ण होते हैं. पूर्वजों को स्वर्ग लोक में स्थान मिलता है और इसी वजह से हर वर्ष अक्षय नवमी तिथि को बड़ी संख्या में श्रद्धालु परिक्रमा करने अयोध्या पहुंचते हैं.
उत्साह से भरा रहता है मन
राम नगरी अयोध्या में प्रत्येक वर्ष अक्षय नवमी तिथि के मौके पर कई लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं और राम नगरी अयोध्या के चतुर्दिक परिक्रमा करते हैं. इस वर्ष कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण श्रद्धालुओं की संख्या भले ही अपेक्षाकृत कम हो, लेकिन मन में आस्था और उल्लास कहीं से कम नहीं है. 45 किलोमीटर लंबे परिक्रमा पथ पर इस कठिन परिक्रमा में लोग जय श्रीराम का जयघोष करते हुए शामिल हैं. समय बढ़ने के साथ ही आस्था और उल्लास का यह रंग और चटक होता जाएगा. इसी के साथ भक्तों श्रद्धालुओं की आस्था भी घनीभूत होती जाएगी.