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विजय दिवस: 1971 में पाकिस्तान पर मिली विजय में औरैया के 7 रणबाकुरों ने दी थी शहादत - शहीदों को श्रद्धांजलि

पूरा देश 1971 में हुई भारत-पाकिस्तान के युद्ध का विजय दिवस मना रहा है. इस लड़ाई में पाकिस्तान से हुए युद्ध में औरैया के भी विशेष योगदान रहा है.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि
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Published : Dec 16, 2021, 4:24 PM IST

औरैयाः जहां एक ओर पूरा देश 1971 में हुई भारत-पाकिस्तान के युद्ध (India-Pakistan War) का विजय दिवस (Victory Day) मना रहा है. तो वहीं औरैया जिला भी अपने लोगों के दिए गये योगदान को याद कर रहा है. 1971 की लड़ाई में औरैया जिले का भी एक विशेष योगदान रहा है. जिसमें जिले के करीब 6 से अधिक सैनिकों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी. आज पूर्व सैनिक कल्याण समिति ने शहीदों को यादकर उन्हें श्रद्धांजलि और उनके परिजनों को सम्मानित किया है.

गौरतलब है कि 1971 के युद्ध में भारत ने पाक की नापाक हरकतों को नाकाम करने के लिए 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान के खिलाफ खुले युद्ध का ऐलान कर दिया था. युद्ध में पाकिस्तान अपने विदेशी असलहों से लैस होकर भारत पर विजय हासिल करने का मनसूबा लेकर उतरा था. लेकिन भारतीय सेना ने अपने अपने अदम्य साहस के बल पर उन्हें मुंहतोड़ जबाव दिया था.

औरैया के 7 रणबाकुरों ने दी थी शहादत

इस युद्ध में भारतीय सेना के साहस का परिचायक है लौंगेवाला पोस्ट का युद्ध. जिसमें केवल 120 भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की पूरी टैंक ब्रिगेड को खत्म करके वहां विजय पताका फहराया था. पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान से लगती दोनों सीमाओं पर भारतीय सेना विजय पताका फहराते हुए पाकिस्तान के क्षेत्र में प्रवेश कर गयी. 13 दिन तक चले भीषण युद्ध में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के लगभग सारे क्षेत्र पर भारतीय सेनाओं ने अपना कब्जा कर लिया.

विजय दिवस
विजय दिवस

पाक की सेना ने टेके घुटने

16 दिसम्बर को पूर्वी पाकिस्तानी जनरल ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिए. पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ समर्पण कर दिया. नियाजी के समर्पण के बाद पाकिस्तान की युद्ध में हार हो गई. इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सैनिकों के साथ समर्पण करने का विश्व रिकॉर्ड आज भी पाकिस्तान के पास ही है.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि

गुरुवार को शहर के शहीद पार्क में भूतपूर्व सैनिकों ने 16 दिसम्बर 1971 को शहीद हुए सैनिकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही युद्ध में शहीद और घायल हुए सैनिको को सम्मानित किया गया. इसके साथ ही उनकी वीरगाथाओं को याद किया गया.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि

नये देश का उदय

युद्ध के समापन के साथ ही भारत की सहायता से पूर्वी पाकिस्तान की जगह एक नये स्वतंत्र देश बांग्लादेश का उदय हुआ. युद्ध में समर्पण करने वाले सभी पाकिस्तानी सैनिकों को भारत ने नैतिकता और जिनेवा समझौते का पालन करते हुए पाकिस्तान को सौंपते हुए रिहा कर दिया. लेकिन पाकिस्तान ने जिन भारतीय सैनिकों को पकड़ा था. उनमें से बहुत से सैनिकों को उसने भारत को नहीं सौंपा.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि

1971 के इस युद्ध में औरैया के हजारों बेटों ने सैनिक के रूप में अपने अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था. जिले के 7 बेटों ने अपनी शहादत देकर यहां का नाम बलिदानों की गाथा में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज करवा दिया.

वहीं 1971 की लड़ाई के चश्मदीद रिटायर्ड कैप्टन कृपाल सिंह ने बताया कि उन्हें और उनकी बटालियन को विशाल युद्ध के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जब वह और उनकी बटालियन लौंगेवाला पोस्ट पहुंची तो वहां टैंको के फायर की आवाज से उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाजा लगा. करीब 16 दिन तक चले इस युद्ध में उन्होंने अपने कई सैनिक खोए.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि

इसे भी पढ़ें- 50th Vijay Diwas : दिल्ली से ढाका तक जीत का जश्न, पीएम मोदी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

शहीद होने वाले जनपद के लाल-
1- हवलदार छक्की लाल
2- सिपाही रामस्वरूप
3- सिपाही रघुवीर सिंह
4- सिपाही शिव पाल सिंह
5- सिपाही मिश्री लाल
6- सिपाही जाहार सिंह
7- सिपाही सीता राम

औरैयाः जहां एक ओर पूरा देश 1971 में हुई भारत-पाकिस्तान के युद्ध (India-Pakistan War) का विजय दिवस (Victory Day) मना रहा है. तो वहीं औरैया जिला भी अपने लोगों के दिए गये योगदान को याद कर रहा है. 1971 की लड़ाई में औरैया जिले का भी एक विशेष योगदान रहा है. जिसमें जिले के करीब 6 से अधिक सैनिकों ने अपने प्राणों की आहूति दी थी. आज पूर्व सैनिक कल्याण समिति ने शहीदों को यादकर उन्हें श्रद्धांजलि और उनके परिजनों को सम्मानित किया है.

गौरतलब है कि 1971 के युद्ध में भारत ने पाक की नापाक हरकतों को नाकाम करने के लिए 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान के खिलाफ खुले युद्ध का ऐलान कर दिया था. युद्ध में पाकिस्तान अपने विदेशी असलहों से लैस होकर भारत पर विजय हासिल करने का मनसूबा लेकर उतरा था. लेकिन भारतीय सेना ने अपने अपने अदम्य साहस के बल पर उन्हें मुंहतोड़ जबाव दिया था.

औरैया के 7 रणबाकुरों ने दी थी शहादत

इस युद्ध में भारतीय सेना के साहस का परिचायक है लौंगेवाला पोस्ट का युद्ध. जिसमें केवल 120 भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की पूरी टैंक ब्रिगेड को खत्म करके वहां विजय पताका फहराया था. पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान से लगती दोनों सीमाओं पर भारतीय सेना विजय पताका फहराते हुए पाकिस्तान के क्षेत्र में प्रवेश कर गयी. 13 दिन तक चले भीषण युद्ध में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के लगभग सारे क्षेत्र पर भारतीय सेनाओं ने अपना कब्जा कर लिया.

विजय दिवस
विजय दिवस

पाक की सेना ने टेके घुटने

16 दिसम्बर को पूर्वी पाकिस्तानी जनरल ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने घुटने टेक दिए. पूर्वी पाकिस्तान में भारतीय जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्तानी जनरल नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ समर्पण कर दिया. नियाजी के समर्पण के बाद पाकिस्तान की युद्ध में हार हो गई. इतनी बड़ी संख्या में एक साथ सैनिकों के साथ समर्पण करने का विश्व रिकॉर्ड आज भी पाकिस्तान के पास ही है.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि

गुरुवार को शहर के शहीद पार्क में भूतपूर्व सैनिकों ने 16 दिसम्बर 1971 को शहीद हुए सैनिकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी. इसके साथ ही युद्ध में शहीद और घायल हुए सैनिको को सम्मानित किया गया. इसके साथ ही उनकी वीरगाथाओं को याद किया गया.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि

नये देश का उदय

युद्ध के समापन के साथ ही भारत की सहायता से पूर्वी पाकिस्तान की जगह एक नये स्वतंत्र देश बांग्लादेश का उदय हुआ. युद्ध में समर्पण करने वाले सभी पाकिस्तानी सैनिकों को भारत ने नैतिकता और जिनेवा समझौते का पालन करते हुए पाकिस्तान को सौंपते हुए रिहा कर दिया. लेकिन पाकिस्तान ने जिन भारतीय सैनिकों को पकड़ा था. उनमें से बहुत से सैनिकों को उसने भारत को नहीं सौंपा.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि

1971 के इस युद्ध में औरैया के हजारों बेटों ने सैनिक के रूप में अपने अदम्य साहस का प्रदर्शन किया था. जिले के 7 बेटों ने अपनी शहादत देकर यहां का नाम बलिदानों की गाथा में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज करवा दिया.

वहीं 1971 की लड़ाई के चश्मदीद रिटायर्ड कैप्टन कृपाल सिंह ने बताया कि उन्हें और उनकी बटालियन को विशाल युद्ध के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. जब वह और उनकी बटालियन लौंगेवाला पोस्ट पहुंची तो वहां टैंको के फायर की आवाज से उन्हें जमीनी हकीकत का अंदाजा लगा. करीब 16 दिन तक चले इस युद्ध में उन्होंने अपने कई सैनिक खोए.

शहीदों को श्रद्धांजलि
शहीदों को श्रद्धांजलि

इसे भी पढ़ें- 50th Vijay Diwas : दिल्ली से ढाका तक जीत का जश्न, पीएम मोदी ने शहीदों को दी श्रद्धांजलि

शहीद होने वाले जनपद के लाल-
1- हवलदार छक्की लाल
2- सिपाही रामस्वरूप
3- सिपाही रघुवीर सिंह
4- सिपाही शिव पाल सिंह
5- सिपाही मिश्री लाल
6- सिपाही जाहार सिंह
7- सिपाही सीता राम

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