औरैया: अयाना थाना क्षेत्र का ग्राम कैथौली जो कि आज भी उन बुरे दिनों को याद कर सहम जाता है. जिले का यह गांव खुद में कई खौफनाक कहानी समेटे हुए है. जानकार बताते हैं, यहां डाकुओं के आतंक से 60 फीसदी बुजुर्ग बिना शादी के अकेले जीवन यापन कर रहे हैं. जो कि खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर खाने को मजबूर हैं. लेकिन उनकी आंखों में उन बुरे दिनों का हाल आज भी बसा हुआ है.
डाकुओं के अभिशाप का शिकार कैथौली गांव ....
- औरैया जिले के आयाना थाना क्षेत्र में स्थित कैथौली गांव की ऐसी दास्तां जिसे सुन किसी की भी रूह कांप उठे.
- दो दशक पहले बीहड़ों में बसे इस कैथौली गांव में दिन और रात सिर्फ खौंफ के साए में कटती थी.
- ग्रामीणों पर आय दिन डकैतों द्वारा किये गए अत्याचार लूट हत्याएं आज भी जहन में बसे हुए हैं.
- कुछ परिवारों ने तो आंखों के सामने अपनों को मौत के घाट उतरता देख गांव से पलायन ही कर दिया. जिनके घरों में आज भी जंग खाए ताले ही लटकते दिखाई देते हैं.
- तकरीबन 850 की आबादी वाला यह गांव अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां करता है.
- ग्रामीणों का कहना है, कि तब के युवा आज बुजुर्ग हो गए और उनके सर पर सेहरा नहीं बंध पाया.
- डकैतों के कहर के आगे कोई भी अपनी बेटी से इन ग्रामीणों के साथ शादी नहीं करना चाहता था.
- लोगों का कहना है, कि गांव के 60 फीसदी बुजुर्ग अकेले खुद के भरण पोषण के लिए स्वतः कार्य करते हैं.
बात तब की है, कि जब औरैया जिला इटावा के नाम से जाना जाता था. बीहड़ी गांवों में डकैतों का दबदबा इस कदर था, कि किसी की हिम्मत उनके फरमान को अनसुना करने की न थी. जंगलों से लेकर गांव के गलियारों तक डाकुओं का कहर बरपता था. ऐसे में उनके द्वारा ग्रामीणों पर ढाये गए सितम इस तरह हावी थे, कि जिसकी रार आज तक यह गांव नहीं भुला पा रहा है.
दिन दहाड़े डाकुओं का आतंक हंसते खेलते परिवारों पर टूट जाता. गांव के निवासी बताते हैं, कि बंद पड़े मकानों के लोग इस लिए पलायन कर गए. क्योंकि उनके परिवारी जनों की हत्या खुलेआम की गई. जिसकी दहशत के चलते वह अब तक वापस नहीं लौटे.
कैथौली गांव के लोग आज तक उन दिनों को कोसते हैं, जिनके कारण उनकी गृहस्ती नहीं बन पाई और ना ही उनकी शादी हो पाई. आज भी वह ग्रामीण खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर अकेले जीवन यापन कर कर रहे हैं.