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औरैया: एक 'कलंक' ने इस गांव में लगा दी कुंवारों की लाइन - up news

जिले का यह कैथौली गांव आज भी डाकुओं के अभिशाप का शिकार है. यह गांव तकरीबन 850 लोगों की आबादी वाला है. लेकिन यहां डाकुओं के आतंक ने लोगों की शादी में रोड़ा खड़ा कर दिया है. गांव के 60फीसदी बुजुर्ग बिना शादी के अकेले जीवन यापन को मजबूर हैं.

डाकुओं के आतंक से 60 फीसदी लोगों की नहीं हुई शादी.
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Published : Jun 7, 2019, 8:34 PM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:17 PM IST

औरैया: अयाना थाना क्षेत्र का ग्राम कैथौली जो कि आज भी उन बुरे दिनों को याद कर सहम जाता है. जिले का यह गांव खुद में कई खौफनाक कहानी समेटे हुए है. जानकार बताते हैं, यहां डाकुओं के आतंक से 60 फीसदी बुजुर्ग बिना शादी के अकेले जीवन यापन कर रहे हैं. जो कि खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर खाने को मजबूर हैं. लेकिन उनकी आंखों में उन बुरे दिनों का हाल आज भी बसा हुआ है.

डाकुओं के आतंक से 60 फीसदी लोगों की नहीं हुई शादी.

डाकुओं के अभिशाप का शिकार कैथौली गांव ....

  • औरैया जिले के आयाना थाना क्षेत्र में स्थित कैथौली गांव की ऐसी दास्तां जिसे सुन किसी की भी रूह कांप उठे.
  • दो दशक पहले बीहड़ों में बसे इस कैथौली गांव में दिन और रात सिर्फ खौंफ के साए में कटती थी.
  • ग्रामीणों पर आय दिन डकैतों द्वारा किये गए अत्याचार लूट हत्याएं आज भी जहन में बसे हुए हैं.
  • कुछ परिवारों ने तो आंखों के सामने अपनों को मौत के घाट उतरता देख गांव से पलायन ही कर दिया. जिनके घरों में आज भी जंग खाए ताले ही लटकते दिखाई देते हैं.
  • तकरीबन 850 की आबादी वाला यह गांव अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां करता है.
  • ग्रामीणों का कहना है, कि तब के युवा आज बुजुर्ग हो गए और उनके सर पर सेहरा नहीं बंध पाया.
  • डकैतों के कहर के आगे कोई भी अपनी बेटी से इन ग्रामीणों के साथ शादी नहीं करना चाहता था.
  • लोगों का कहना है, कि गांव के 60 फीसदी बुजुर्ग अकेले खुद के भरण पोषण के लिए स्वतः कार्य करते हैं.


बात तब की है, कि जब औरैया जिला इटावा के नाम से जाना जाता था. बीहड़ी गांवों में डकैतों का दबदबा इस कदर था, कि किसी की हिम्मत उनके फरमान को अनसुना करने की न थी. जंगलों से लेकर गांव के गलियारों तक डाकुओं का कहर बरपता था. ऐसे में उनके द्वारा ग्रामीणों पर ढाये गए सितम इस तरह हावी थे, कि जिसकी रार आज तक यह गांव नहीं भुला पा रहा है.


दिन दहाड़े डाकुओं का आतंक हंसते खेलते परिवारों पर टूट जाता. गांव के निवासी बताते हैं, कि बंद पड़े मकानों के लोग इस लिए पलायन कर गए. क्योंकि उनके परिवारी जनों की हत्या खुलेआम की गई. जिसकी दहशत के चलते वह अब तक वापस नहीं लौटे.

कैथौली गांव के लोग आज तक उन दिनों को कोसते हैं, जिनके कारण उनकी गृहस्ती नहीं बन पाई और ना ही उनकी शादी हो पाई. आज भी वह ग्रामीण खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर अकेले जीवन यापन कर कर रहे हैं.

औरैया: अयाना थाना क्षेत्र का ग्राम कैथौली जो कि आज भी उन बुरे दिनों को याद कर सहम जाता है. जिले का यह गांव खुद में कई खौफनाक कहानी समेटे हुए है. जानकार बताते हैं, यहां डाकुओं के आतंक से 60 फीसदी बुजुर्ग बिना शादी के अकेले जीवन यापन कर रहे हैं. जो कि खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर खाने को मजबूर हैं. लेकिन उनकी आंखों में उन बुरे दिनों का हाल आज भी बसा हुआ है.

डाकुओं के आतंक से 60 फीसदी लोगों की नहीं हुई शादी.

डाकुओं के अभिशाप का शिकार कैथौली गांव ....

  • औरैया जिले के आयाना थाना क्षेत्र में स्थित कैथौली गांव की ऐसी दास्तां जिसे सुन किसी की भी रूह कांप उठे.
  • दो दशक पहले बीहड़ों में बसे इस कैथौली गांव में दिन और रात सिर्फ खौंफ के साए में कटती थी.
  • ग्रामीणों पर आय दिन डकैतों द्वारा किये गए अत्याचार लूट हत्याएं आज भी जहन में बसे हुए हैं.
  • कुछ परिवारों ने तो आंखों के सामने अपनों को मौत के घाट उतरता देख गांव से पलायन ही कर दिया. जिनके घरों में आज भी जंग खाए ताले ही लटकते दिखाई देते हैं.
  • तकरीबन 850 की आबादी वाला यह गांव अपनी दुर्दशा की कहानी खुद बयां करता है.
  • ग्रामीणों का कहना है, कि तब के युवा आज बुजुर्ग हो गए और उनके सर पर सेहरा नहीं बंध पाया.
  • डकैतों के कहर के आगे कोई भी अपनी बेटी से इन ग्रामीणों के साथ शादी नहीं करना चाहता था.
  • लोगों का कहना है, कि गांव के 60 फीसदी बुजुर्ग अकेले खुद के भरण पोषण के लिए स्वतः कार्य करते हैं.


बात तब की है, कि जब औरैया जिला इटावा के नाम से जाना जाता था. बीहड़ी गांवों में डकैतों का दबदबा इस कदर था, कि किसी की हिम्मत उनके फरमान को अनसुना करने की न थी. जंगलों से लेकर गांव के गलियारों तक डाकुओं का कहर बरपता था. ऐसे में उनके द्वारा ग्रामीणों पर ढाये गए सितम इस तरह हावी थे, कि जिसकी रार आज तक यह गांव नहीं भुला पा रहा है.


दिन दहाड़े डाकुओं का आतंक हंसते खेलते परिवारों पर टूट जाता. गांव के निवासी बताते हैं, कि बंद पड़े मकानों के लोग इस लिए पलायन कर गए. क्योंकि उनके परिवारी जनों की हत्या खुलेआम की गई. जिसकी दहशत के चलते वह अब तक वापस नहीं लौटे.

कैथौली गांव के लोग आज तक उन दिनों को कोसते हैं, जिनके कारण उनकी गृहस्ती नहीं बन पाई और ना ही उनकी शादी हो पाई. आज भी वह ग्रामीण खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर अकेले जीवन यापन कर कर रहे हैं.

Intro:एंकर--जिले का ऐसा गाँव गाँव जहां आज तक लोग उन दिनों को कोशते हैं जिनके कारण उनकी गृहस्ती न बन पाई और उनकी शादी नही हुई ।आज भी वह ग्रामीण खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर खुद का जीवन यापन कर कर रहे हैं।

वीओ--औरैया जिले के अयाना थाना क्षेत्र का ग्राम कैथौली जो कि आज भी उन बुरे दिनों को याद कर सहम जाता है हर दुर्दिन देखने वाला जिले का यह गांव कई कहानी समेटे हुए हैं।यहां के 60फीसदी बुजुर्ग जो की बिना शादी के अकेले जीवन यापन कर रहे हैं जो कि खुद ही चूल्हे पर खाना पकाकर खाने को मजबूर हैं लेकिन उनकी आंखों में उन बुरे दिनों का हाल आज बसा हुआ है।


Body:तकरीबन 850 की आबादी वाला यह गांव आज देश और दुनियां से ख़ुद कहानी बयां करना चाहता है कि क्या कुछ दुर्दिनों का सामना किया कितना कुछ झेला।तब के युवा आज बुजुर्ग हो गए और उनके सर पर शेहरा नहीं बंध पाया क्योंकि डकैतों के कहर के आगे कोई भी अपनी बेटी से इन ग्रामीणों के साथ शादी नहीं करना चाहता था जिसके चलते तब के युवा आज बुजुर्ग होकर खुद के भरण पोषण के लिए स्वतः कार्य करते हैं।


Conclusion:दुर्भाग्य देखिए इस गांव का सरकार ने उज्ज्वला योजना को गृहणी के खातिर चलाया जिससे उनकी आंखें न दुःखें लेकिन जिस गांव में शादी ही नहीं हुई और वह अकेले जीवन यापन कर रहे हैं हो उनके लिए इस योजना का भी महत्व होते होते दूर हो गया या यूं कहें की दुखों का का सारा जिम्मा मानों इन मजबूर ग्रामीणों के खाते में ही डाल दिया गया हो।

बाइट--बुजुर्ग

बाइट--बुजुर्ग ग्रामीण
Last Updated : Sep 10, 2020, 12:17 PM IST

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