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शबनम को NHRC से भी नहीं मिली राहत, यूएनओ जाने की तैयारी

बामनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम की दया याचिका राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से भी खारिज हो गई है. सोशल एक्टिविस्ट और आरटीआई कार्यकर्ता दानिश खान ने शबनम को फांसी से बचाने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में दया याचिका दायर की थी.

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Published : May 22, 2021, 2:15 PM IST

Updated : May 23, 2021, 11:47 AM IST

शबनम को नहीं मिली राहत
शबनम को नहीं मिली राहत

अमरोहा: बामनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम एक बार फिर चर्चा में है. दोषी शबनम को फांसी कब होगी, यह सवाल अभी भी लोगों के अंदर बना हुआ है. इस बीच शबनम को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता दानिश की ओर से दायर की गई दया याचिका को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने खारिज कर दिया है.

परिवार के सात लोगों की कर दी थी हत्या

दरअसल, 15 अप्रैल साल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से अपने मां-बाप, भतीजा, भाभी और भाई समेत सात लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी. इसके बाद जुर्म से बचने के लिए शबनम ने फिल्मी अंदाज में कई कहानियां रची थी, लेकिन पुलिस ने बहुत ही जल्द मामले का खुलासा कर दिया था, जिसके बाद शबनम को साल 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद शबनम की तरफ राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल की गई थी, जिसे राष्ट्रपति ने साल 2016 खारिज कर दिया था.

इसे भी पढ़ें: चुनावी रंजिश को लेकर दो पक्षों में पथराव का लाइव वीडियो वायरल


कौन है दानिश खान?

उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर निवासी दानिश खान एक सोशल एक्टिविस्ट के साथ-साथ आरटीआई कार्यकर्ता हैं. दानिश सूचना के अधिकार के तहत स्थानीय अधिकारियों के कार्यालय से जुड़ी सूचना के साथ ही पीएमओ, राष्ट्रपति कार्यालय और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के आदेशों को लेकर भी सूचनाएं मांगते रहे हैं. पहले शबनम को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए दानिश पूरी जी जान से खड़े हुए थे, मगर उसके बाद अचानक दानिश खान का मन बदला और वह शबनम को बचाने के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार के चौखट पर पहुंच गए और शबनम के लिए उन्होंने दया याचिका डाल दी, लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी दया याचिका महज 24 घंटे में खारिज कर दिया. बताया जा रहा है कि दानिश अब यूएनओ का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

अमरोहा: बामनखेड़ी हत्याकांड की दोषी शबनम एक बार फिर चर्चा में है. दोषी शबनम को फांसी कब होगी, यह सवाल अभी भी लोगों के अंदर बना हुआ है. इस बीच शबनम को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता दानिश की ओर से दायर की गई दया याचिका को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने खारिज कर दिया है.

परिवार के सात लोगों की कर दी थी हत्या

दरअसल, 15 अप्रैल साल 2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर कुल्हाड़ी से अपने मां-बाप, भतीजा, भाभी और भाई समेत सात लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी. इसके बाद जुर्म से बचने के लिए शबनम ने फिल्मी अंदाज में कई कहानियां रची थी, लेकिन पुलिस ने बहुत ही जल्द मामले का खुलासा कर दिया था, जिसके बाद शबनम को साल 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद शबनम की तरफ राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल की गई थी, जिसे राष्ट्रपति ने साल 2016 खारिज कर दिया था.

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कौन है दानिश खान?

उत्तर प्रदेश के जनपद रामपुर निवासी दानिश खान एक सोशल एक्टिविस्ट के साथ-साथ आरटीआई कार्यकर्ता हैं. दानिश सूचना के अधिकार के तहत स्थानीय अधिकारियों के कार्यालय से जुड़ी सूचना के साथ ही पीएमओ, राष्ट्रपति कार्यालय और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के आदेशों को लेकर भी सूचनाएं मांगते रहे हैं. पहले शबनम को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए दानिश पूरी जी जान से खड़े हुए थे, मगर उसके बाद अचानक दानिश खान का मन बदला और वह शबनम को बचाने के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार के चौखट पर पहुंच गए और शबनम के लिए उन्होंने दया याचिका डाल दी, लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी दया याचिका महज 24 घंटे में खारिज कर दिया. बताया जा रहा है कि दानिश अब यूएनओ का दरवाजा खटखटा सकते हैं.

Last Updated : May 23, 2021, 11:47 AM IST
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