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दिल्ली में डटे अमरोहा के किसान, बुजुर्ग और बच्चे संभाल रहे खेत-खलिहान - कृषि कानून

यूपी के अमरोहा जिले में किसानों के परिवार के कई लोग दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में गए हैं. जिसके बाद उनके खेतों का काम घर के बच्चे और बुजुर्ग संभाल रहे हैं. किसान आंदोलन में पहुंचे किसान के परिवार वालों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह नए कृषि कानून के खिलाफ हैं.

किसान आंदोलन.
किसान आंदोलन.
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Published : Dec 14, 2020, 12:47 PM IST

Updated : Dec 14, 2020, 5:34 PM IST

अमरोहा: नए कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन से सर्वाधिक प्रभावित अमरोहा जिला है. किसान आंदोलन में जिले के सैकड़ों किसान कई दिनों से दिल्ली में डटे हुए हैं. जिले से दिल्ली आंदोलन में किसानों के जाने के बाद घर के कामकाज और खेत खलियान किसानों के बच्चे और घर के बुजुर्ग संभाल रहे हैं.

जानकारी देते संवाददाता.
किसानों के परिजन.
किसानों के परिजन.

शनिवार को ईटीवी भारत ने जब गांवों में जाकर जायजा लिया तो पता चला कि रोजाना जिले से किसान समूह के रूप में दिल्ली पहुंच रहे हैं. इसका असर खेतों में पड़ रहा है. किसानों के दिल्ली जाने के कारण बुजुर्ग मां-बाप बहू और बेटियां खेतों की देखभाल कर रही हैं, लेकिन खेत खलियान के साथ-साथ अन्य दूसरी जिम्मेदारी के कारण खेती प्रभावित हो रही है. जिले में इस वर्ष रबी की प्रमुख फसल गेहूं करीब 98 हेक्टेयर कृषि भूमि पर बोई गई है. परिवार के सदस्यों की संख्या कम होने के कारण गेहूं के खेतों की सिंचाई आदि का कार्य प्रभावित हो रहा है. किसान आंदोलन में शामिल कई किसान अभी अपना धान तक नहीं बेच सके हैं.

घरों के लोग संभाल रहे काम.
घरों के लोग संभाल रहे काम.

किसान आंदोलन में पहुंचे किसान के परिवार वालों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह नए कृषि कानून के खिलाफ हैं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार वाले दिल्ली आंदोलन में गए हैं और वह यहां जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. किसानों के परिवार वालों ने कहा कि जब तक सरकार किसानों की आवाज नहीं सुन लेती तब तक वह यह लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है.

अमरोहा: नए कृषि कानून के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन से सर्वाधिक प्रभावित अमरोहा जिला है. किसान आंदोलन में जिले के सैकड़ों किसान कई दिनों से दिल्ली में डटे हुए हैं. जिले से दिल्ली आंदोलन में किसानों के जाने के बाद घर के कामकाज और खेत खलियान किसानों के बच्चे और घर के बुजुर्ग संभाल रहे हैं.

जानकारी देते संवाददाता.
किसानों के परिजन.
किसानों के परिजन.

शनिवार को ईटीवी भारत ने जब गांवों में जाकर जायजा लिया तो पता चला कि रोजाना जिले से किसान समूह के रूप में दिल्ली पहुंच रहे हैं. इसका असर खेतों में पड़ रहा है. किसानों के दिल्ली जाने के कारण बुजुर्ग मां-बाप बहू और बेटियां खेतों की देखभाल कर रही हैं, लेकिन खेत खलियान के साथ-साथ अन्य दूसरी जिम्मेदारी के कारण खेती प्रभावित हो रही है. जिले में इस वर्ष रबी की प्रमुख फसल गेहूं करीब 98 हेक्टेयर कृषि भूमि पर बोई गई है. परिवार के सदस्यों की संख्या कम होने के कारण गेहूं के खेतों की सिंचाई आदि का कार्य प्रभावित हो रहा है. किसान आंदोलन में शामिल कई किसान अभी अपना धान तक नहीं बेच सके हैं.

घरों के लोग संभाल रहे काम.
घरों के लोग संभाल रहे काम.

किसान आंदोलन में पहुंचे किसान के परिवार वालों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह नए कृषि कानून के खिलाफ हैं. उन्होंने बताया कि उनके परिवार वाले दिल्ली आंदोलन में गए हैं और वह यहां जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. किसानों के परिवार वालों ने कहा कि जब तक सरकार किसानों की आवाज नहीं सुन लेती तब तक वह यह लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है.

Last Updated : Dec 14, 2020, 5:34 PM IST
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