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UP Election 2022: जानिए अमेठी की गौरीगंज विधानसभा सीट पर इस बार क्या बन सकता है चुनावी समीकरण ?

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Published : Dec 2, 2021, 8:37 AM IST

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर राजनीतिक दलों ने हर जिले में बिसात बिछानी शुरू कर दी है. आइये जानते हैं अमेठी जिले की चर्चित गौरीगंज विधानसभा सीट पर इस बार क्या रहेगा चुनावी समीकरण ?

गौरीगंज विधानसभा सीट.
गौरीगंज विधानसभा सीट.

अमेठी: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मचे घमासान के बीच एक-एक सीट अपने आप में अहम है. अमेठी जिले की गौरीगंज विधान सभा सीट भी सूबे की राजनीति में काफी मायने रखती है. ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद भी यहां राजपूतों ने सर्वाधिक समय तक राज किया है. इस समय भी समाजवादी पार्टी से राकेश प्रताप सिंह विधायक हैं. एक दशक से इस सीट पर सपा का कब्जा है. वहीं, कांग्रेस दो दशक से यहां जीत के लिए संघर्ष कर रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार राकेश प्रताप सिंह अपनी जीत की हैट्रिक लगा पाते है या यहां की जनता किसी और उम्मीदवार को अपना आशीर्वाद देकर विधानसभा पहुंचाए.

गौरीगंज विधान सभा क्षेत्र 185 अमेठी जिला का मुख्यालय है. 1974 से अब तक कांग्रेस 5 बार और बीजेपी के 4 बार विधायक निर्वाचित हुए हैं. वहीं, बसपा और समाजवादी पार्टी के क्रमशः 1 और 2 बार विधायक निर्वाचित हुए है. पिछले 3 चुनाव परिणाम पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्ष 2007 में बहुजन समाज पार्टी से चंद्र प्रकाश मिश्र मटियारी 34,386 मत पाकर चुनाव जीते थे. वहीं, कांग्रेस के मुहम्मद नईम 28,398 मत पाकर दूसरे स्थान पर थे. वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ में लगातार 4 बार कमल खिलाने वाले तेज भान सिंह चुनाव हार कर तीसरे स्थान पर पहुचं गए थे.

सपा के जंग बहुदार इस चुनाव में 17,231 मत पाकर चौथे स्थान पर थे. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के राकेश प्रताप सिंह 44,287 मत प्राप्त कर विधानसभा पहुंचे थे. इस बार भी कांग्रेस मोहम्मद नईम 43,784 मत प्राप्त कर दूसरे स्थान पर थे. वहीं, बीजेपी के तेज भान सिंह 34,893 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में राकेश प्रताप सिंह 77,915 मत पाकर चुनाव पुनः जीत गए. इस बार भी कांग्रेस के मुहम्मद नईम 51,496 मत प्राप्त कर दूसरे स्थान पर बरकरार रहे. वहीं इस चुनाव में बसपा के विजय किशोर तिवारी 33,848 मत तीसरे स्थान पर रहे. अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या सपा के राकेश प्रताप सिंह अपनी जीत की हैट्रिक बना पाते हैं या नहीं.

बीजेपी के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा कैंडिडेट चुनना
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों में उम्मीदवारों की लाइन लगी हुई है. उम्मीदवारों की सबसे लंबी फेहरिश्त बीजेपी में ही दिखाई पड़ रही है. इसमें कई दलों के नेता मोदी और योगी में आस्था दिखाते हुए बीजेपी में शामिल हो गए हैं. वहीं, बसपा से पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश मिश्र मारियारी, पूर्व विधान सभा प्रत्याशी विजय किशोर तिवारी, साइकिल छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए प्रियंक हरिविजय तिवारी, इसके अतिरिक्त जिला अध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी, डॉ. अनिल मिश्र पूर्व विधायक तेज भान सिंह प्रमुख उमीदवार है. इस तरह उम्मीदवार का चयन करना बीजेपी के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा.

दो दशक से कांग्रेस मुस्लिम प्रत्याशी पर लगा रही है दांव

कांग्रेस पार्टी में भी उम्मीदवारों की फेहरिश्त कम नहीं है. गैर विधानसभा क्षेत्रों के भी कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं. क्षेत्र में जाकर अपनी टिकट की दावेदारी पक्की बता रहे हैं. इनमें राजू पंडित, रवि दत्त मिश्रा, अरुण मिश्रा, योगेंद्र मिश्रा, सदाशिव यादव, फते बहादुर, मोहम्मद नईम सहित कई लोगों के नामों की चर्चा चल रही है. गौरतलब पहलू यह भी है कि कांग्रेस या तो इस सीट से जीत दर्ज की है या तो दूसरे स्थान पर रही है. कांग्रेस पिछले 2 दशक से मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार रही है. इस बार देखना होगा कि कुछ बदलाव होता है या फिर मुस्लिम चेहरा ही मैदान में आता है.

बसपा और सपा के पास हैं सिंगल प्रत्याशी
समाजवादी पार्टी से अभी तक राकेश प्रताप सिंह के अलावा कोई चेहरा सामने नहीं आया है. पिछले एक दशक से इस सीट पर राकेश प्रताप सिंह काबिज हैं. प्रदेश में 2017 की मोदी लहर भी राकेश प्रताप सिंह के किले को हिला नहीं पाई थी. वहीं, बसपा से राम लखन शुक्ल का नाम चर्चा में चल रहा है. अभी तक बसपा से किसी अन्य प्रत्याशी का नाम सामने नहीं आया है.

ये है प्रमुख समस्याएं

गौरीगंज विधान सभा में दो सड़कों के पुनर्निर्माण को लेकर राजनीतिक उठा पटक चल रही है. यहां तक सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह विधान सभा की सदस्यता से त्याग पत्र भी दे चुके हैं. अभी तक सड़कों का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधाएं भी अच्छी नहीं है. अस्पताल में लोगों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है. जिला तो बन गया है. जिला स्तर की सुविधाओं से यहां के लोग वंचित हैं. जिला मुख्यालय पर एक बस स्टाफ भी नहीं बना है. दीवानी न्यायालय और जेल भी जिले में नहीं है. लोगों के पड़ोसी जनपद में जाना पड़ता है.


अनुमानित जनसंख्या

कुल जनसंख्या- 5,60,176
पुरुष-2,81,736
महिला-2,78,440


कुल मतदाता-3,46,716
पुरुष मतदाता-18,2,061
महिला मतदाता-1,64,617

अनुमानित जातिगत मतदाता

ब्राह्मण- 90,600
अनुसूचित- 48,500
क्षत्रिय-46,000
यादव-35,588
पिछड़ा वर्ग-51,000
मुस्लिम-35,000
वैश्य-22,000
कायस्थ-12,000
अन्य-6,000

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अमेठी: उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर मचे घमासान के बीच एक-एक सीट अपने आप में अहम है. अमेठी जिले की गौरीगंज विधान सभा सीट भी सूबे की राजनीति में काफी मायने रखती है. ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद भी यहां राजपूतों ने सर्वाधिक समय तक राज किया है. इस समय भी समाजवादी पार्टी से राकेश प्रताप सिंह विधायक हैं. एक दशक से इस सीट पर सपा का कब्जा है. वहीं, कांग्रेस दो दशक से यहां जीत के लिए संघर्ष कर रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार राकेश प्रताप सिंह अपनी जीत की हैट्रिक लगा पाते है या यहां की जनता किसी और उम्मीदवार को अपना आशीर्वाद देकर विधानसभा पहुंचाए.

गौरीगंज विधान सभा क्षेत्र 185 अमेठी जिला का मुख्यालय है. 1974 से अब तक कांग्रेस 5 बार और बीजेपी के 4 बार विधायक निर्वाचित हुए हैं. वहीं, बसपा और समाजवादी पार्टी के क्रमशः 1 और 2 बार विधायक निर्वाचित हुए है. पिछले 3 चुनाव परिणाम पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्ष 2007 में बहुजन समाज पार्टी से चंद्र प्रकाश मिश्र मटियारी 34,386 मत पाकर चुनाव जीते थे. वहीं, कांग्रेस के मुहम्मद नईम 28,398 मत पाकर दूसरे स्थान पर थे. वहीं, इस चुनाव में कांग्रेस के गढ़ में लगातार 4 बार कमल खिलाने वाले तेज भान सिंह चुनाव हार कर तीसरे स्थान पर पहुचं गए थे.

सपा के जंग बहुदार इस चुनाव में 17,231 मत पाकर चौथे स्थान पर थे. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के राकेश प्रताप सिंह 44,287 मत प्राप्त कर विधानसभा पहुंचे थे. इस बार भी कांग्रेस मोहम्मद नईम 43,784 मत प्राप्त कर दूसरे स्थान पर थे. वहीं, बीजेपी के तेज भान सिंह 34,893 मत पाकर तीसरे स्थान पर थे. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में राकेश प्रताप सिंह 77,915 मत पाकर चुनाव पुनः जीत गए. इस बार भी कांग्रेस के मुहम्मद नईम 51,496 मत प्राप्त कर दूसरे स्थान पर बरकरार रहे. वहीं इस चुनाव में बसपा के विजय किशोर तिवारी 33,848 मत तीसरे स्थान पर रहे. अब देखना बड़ा दिलचस्प होगा कि क्या सपा के राकेश प्रताप सिंह अपनी जीत की हैट्रिक बना पाते हैं या नहीं.

बीजेपी के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगा कैंडिडेट चुनना
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों में उम्मीदवारों की लाइन लगी हुई है. उम्मीदवारों की सबसे लंबी फेहरिश्त बीजेपी में ही दिखाई पड़ रही है. इसमें कई दलों के नेता मोदी और योगी में आस्था दिखाते हुए बीजेपी में शामिल हो गए हैं. वहीं, बसपा से पूर्व विधायक चन्द्र प्रकाश मिश्र मारियारी, पूर्व विधान सभा प्रत्याशी विजय किशोर तिवारी, साइकिल छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए प्रियंक हरिविजय तिवारी, इसके अतिरिक्त जिला अध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी, डॉ. अनिल मिश्र पूर्व विधायक तेज भान सिंह प्रमुख उमीदवार है. इस तरह उम्मीदवार का चयन करना बीजेपी के लिए अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा.

दो दशक से कांग्रेस मुस्लिम प्रत्याशी पर लगा रही है दांव

कांग्रेस पार्टी में भी उम्मीदवारों की फेहरिश्त कम नहीं है. गैर विधानसभा क्षेत्रों के भी कई प्रत्याशी चुनावी मैदान में डटे हुए हैं. क्षेत्र में जाकर अपनी टिकट की दावेदारी पक्की बता रहे हैं. इनमें राजू पंडित, रवि दत्त मिश्रा, अरुण मिश्रा, योगेंद्र मिश्रा, सदाशिव यादव, फते बहादुर, मोहम्मद नईम सहित कई लोगों के नामों की चर्चा चल रही है. गौरतलब पहलू यह भी है कि कांग्रेस या तो इस सीट से जीत दर्ज की है या तो दूसरे स्थान पर रही है. कांग्रेस पिछले 2 दशक से मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतार रही है. इस बार देखना होगा कि कुछ बदलाव होता है या फिर मुस्लिम चेहरा ही मैदान में आता है.

बसपा और सपा के पास हैं सिंगल प्रत्याशी
समाजवादी पार्टी से अभी तक राकेश प्रताप सिंह के अलावा कोई चेहरा सामने नहीं आया है. पिछले एक दशक से इस सीट पर राकेश प्रताप सिंह काबिज हैं. प्रदेश में 2017 की मोदी लहर भी राकेश प्रताप सिंह के किले को हिला नहीं पाई थी. वहीं, बसपा से राम लखन शुक्ल का नाम चर्चा में चल रहा है. अभी तक बसपा से किसी अन्य प्रत्याशी का नाम सामने नहीं आया है.

ये है प्रमुख समस्याएं

गौरीगंज विधान सभा में दो सड़कों के पुनर्निर्माण को लेकर राजनीतिक उठा पटक चल रही है. यहां तक सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह विधान सभा की सदस्यता से त्याग पत्र भी दे चुके हैं. अभी तक सड़कों का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है. इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य सुविधाएं भी अच्छी नहीं है. अस्पताल में लोगों का समुचित इलाज नहीं हो पाता है. जिला तो बन गया है. जिला स्तर की सुविधाओं से यहां के लोग वंचित हैं. जिला मुख्यालय पर एक बस स्टाफ भी नहीं बना है. दीवानी न्यायालय और जेल भी जिले में नहीं है. लोगों के पड़ोसी जनपद में जाना पड़ता है.


अनुमानित जनसंख्या

कुल जनसंख्या- 5,60,176
पुरुष-2,81,736
महिला-2,78,440


कुल मतदाता-3,46,716
पुरुष मतदाता-18,2,061
महिला मतदाता-1,64,617

अनुमानित जातिगत मतदाता

ब्राह्मण- 90,600
अनुसूचित- 48,500
क्षत्रिय-46,000
यादव-35,588
पिछड़ा वर्ग-51,000
मुस्लिम-35,000
वैश्य-22,000
कायस्थ-12,000
अन्य-6,000

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