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अमेठी: रहस्यों से भरा है बाबा मुकुटनाथ धाम का मंदिर

अमेठी शहर से सात किलोमीटर दूर ताला के पास बाबा मुकुटनाथ धाम का मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि जब अज्ञातवास पर पांडव निकले थे तो उन्होंने अपना मुकुट भोले बाबा को सौंप दिया था. तभी से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ पड़ा.

बाबा मुकुटनाथ धाम मंदिर
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Published : Jul 21, 2019, 10:15 AM IST

Updated : Jul 22, 2019, 7:14 PM IST

अमेठी : शहर से सात किलोमीटर दूर ताला के पास बाबा मुकुटनाथ धाम का मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि जब अज्ञातवास पर पांडव निकले थे तो उन्होंने अपना मुकुट भोले बाबा को सौंप दिया था. तभी से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ पड़ा. यह मंदिर अपने आप में बहुत से रहस्यों को समेटे हुए है. इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर का कपाट खुलने से पहले ही बाबा मुकुटनाथ की पूजा हो जाती है. शिवलिंग के पास ग्यारह बेल पत्र, ग्यारह रुपये, दो गुलाब और दो लड्डू के साथ बाबा मुकुटनाथ का पूजा हुआ रहता है.

रहस्यों से भरा बाबा मुकुटनाथ धाम.

बहुत प्राचीन है बाबा मुकुटनाथ धाम-

  • यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है.
  • इस मंदिर की स्थापना नहीं हुई है बल्कि यह मंदिर स्वयम्भू है.
  • इस मंदिर पर कई बार विदेशी आक्रमण भी हो चुका है.
  • अंग्रेजों द्वारा इसकी खुदाई भी कराई गयी.
  • जब अंग्रेज इस मंदिर की खुदाई करा रहे थे तो शिवलिंग उतना ही फैलता जा रहा था.
  • मंदिर में रखी खण्डित मूर्तिया अंग्रेजों द्वारा किये गए आक्रमण में ही खंडित हुई हैं.
  • शिवलिंग जमीम से बारह फीट ऊपर है.

पांडव यहां पर आए थे और अपना मुकुट बाबा को सौंपते हुए बोले कि इसकी रक्षा करना तब से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ धाम पड़ा. यहां जो भी श्रद्धालु आते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मंदिर में रात के एक बजे कौन जल चढ़ाता है इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं. जब मंदिर का गेट खुलता है तब दो लड्डू,ग्यारह बेलपत्र, ग्यारह रुपये और दो गुलाब का फूल मिलता है. साल में बाबा मुकुटनाथ एक चावल बढ़ते है
- नागेंद्र नाथ , पुजारी

अमेठी : शहर से सात किलोमीटर दूर ताला के पास बाबा मुकुटनाथ धाम का मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि जब अज्ञातवास पर पांडव निकले थे तो उन्होंने अपना मुकुट भोले बाबा को सौंप दिया था. तभी से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ पड़ा. यह मंदिर अपने आप में बहुत से रहस्यों को समेटे हुए है. इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर का कपाट खुलने से पहले ही बाबा मुकुटनाथ की पूजा हो जाती है. शिवलिंग के पास ग्यारह बेल पत्र, ग्यारह रुपये, दो गुलाब और दो लड्डू के साथ बाबा मुकुटनाथ का पूजा हुआ रहता है.

रहस्यों से भरा बाबा मुकुटनाथ धाम.

बहुत प्राचीन है बाबा मुकुटनाथ धाम-

  • यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है.
  • इस मंदिर की स्थापना नहीं हुई है बल्कि यह मंदिर स्वयम्भू है.
  • इस मंदिर पर कई बार विदेशी आक्रमण भी हो चुका है.
  • अंग्रेजों द्वारा इसकी खुदाई भी कराई गयी.
  • जब अंग्रेज इस मंदिर की खुदाई करा रहे थे तो शिवलिंग उतना ही फैलता जा रहा था.
  • मंदिर में रखी खण्डित मूर्तिया अंग्रेजों द्वारा किये गए आक्रमण में ही खंडित हुई हैं.
  • शिवलिंग जमीम से बारह फीट ऊपर है.

पांडव यहां पर आए थे और अपना मुकुट बाबा को सौंपते हुए बोले कि इसकी रक्षा करना तब से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ धाम पड़ा. यहां जो भी श्रद्धालु आते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मंदिर में रात के एक बजे कौन जल चढ़ाता है इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं. जब मंदिर का गेट खुलता है तब दो लड्डू,ग्यारह बेलपत्र, ग्यारह रुपये और दो गुलाब का फूल मिलता है. साल में बाबा मुकुटनाथ एक चावल बढ़ते है
- नागेंद्र नाथ , पुजारी

Intro:अमेठी। जिले के मुकुटनाथ धाम मंदिर की स्थापना नही हुयी है अपने में स्वयम्भू है। शहर से सात किलोमीटर दूर ताला के पास बाबा मुकुटनाथ धाम का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि जब अज्ञातवास पर पांडव निकले थे तो उन्होंने अपना मुकुट बाबा को सौप दिया था। तभी से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ पड़ा। यह मंदिर अपने आप में बहुत से रहस्यो को समेटे हुए है। बाबा मुकुट नाथ की महिमा अपरमपार है। इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर का कपाट खुलने से पहले बाबा मुकुटनाथ की पूजा हो जाती है। शिवलिंग के पास ग्यारह बेल पत्र, ग्यारह रुपये, दो गुलाब और दो लड्डू के साथ बाबा मुकुटनाथ का पूजा हुआ रहता है। बाबा मुकुटनाथ हर साल एक चावल भर बढ़ते है।






Body:कैसे पड़ा मुकुटनाथ बाबा धाम-

मंदिर में रह रहे पुजारी हरिहर गिरी बताते है कि जब पाण्डव अज्ञातवास पर थे तब उन्होंने बाबा को अपना मुकुट सौप दिया था। तभी से ये मुकुटनाथ कहलाये।

बहुत प्राचीन है बाबा मुकुटनाथ धाम-

यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है। इस मंदिर की स्थापना नही हुआ है बल्कि यह मंदिर स्वयम्भू है। यह मंदिर तमाम आक्रमण झेले हुआ है। अंग्रेजो द्वारा इसकी खुदाई भी कराई गयी। जब अंग्रेज इस मंदिर की खुदाई करा रहे थे तो शिवलिंग उतना ही फैलता जा रहा था। मंदिर में रखी खण्डित मूर्तिया अंग्रेजो द्वारा किये गए आक्रमण में ही खंडित हुयी है। शिवलिंग जमीम से बारह फ़ीट ऊपर है।


Conclusion:वी/ओ-1 मंदिर के पुजारी नागेंद्र नाथ का कहना है कि पांडव यहा पर आए थे और अपना मुकुट बाबा को सौपते हुए बोले कि इसकी रक्षा करना तब से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ धाम पड़ा। यहा जो भी श्रद्धालु आते है इनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मंदिर में रात के एक बजे कौन जल चढ़ाता है इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं। जब मंदिर का गेट खुलता है तब दो लड्डू,ग्यारह बेलपत्र, ग्यारह रुपये और दो गुलाब का फूल मिलता है। साल में बाबा मुकुटनाथ एक चावल बढ़ते है।

बाइट- नागेंद्र नाथ (पुजारी)

वी/ओ-2 यह मंदिर दो हजार साल पुराना है। यहा जो भी मान्यता लोग माँगते है वह पूरी होती है।

बाइट- विषुभ (श्रद्धालु)


Last Updated : Jul 22, 2019, 7:14 PM IST
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