अमेठी : शहर से सात किलोमीटर दूर ताला के पास बाबा मुकुटनाथ धाम का मंदिर स्थित है. कहा जाता है कि जब अज्ञातवास पर पांडव निकले थे तो उन्होंने अपना मुकुट भोले बाबा को सौंप दिया था. तभी से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ पड़ा. यह मंदिर अपने आप में बहुत से रहस्यों को समेटे हुए है. इस मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर का कपाट खुलने से पहले ही बाबा मुकुटनाथ की पूजा हो जाती है. शिवलिंग के पास ग्यारह बेल पत्र, ग्यारह रुपये, दो गुलाब और दो लड्डू के साथ बाबा मुकुटनाथ का पूजा हुआ रहता है.
बहुत प्राचीन है बाबा मुकुटनाथ धाम-
- यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है.
- इस मंदिर की स्थापना नहीं हुई है बल्कि यह मंदिर स्वयम्भू है.
- इस मंदिर पर कई बार विदेशी आक्रमण भी हो चुका है.
- अंग्रेजों द्वारा इसकी खुदाई भी कराई गयी.
- जब अंग्रेज इस मंदिर की खुदाई करा रहे थे तो शिवलिंग उतना ही फैलता जा रहा था.
- मंदिर में रखी खण्डित मूर्तिया अंग्रेजों द्वारा किये गए आक्रमण में ही खंडित हुई हैं.
- शिवलिंग जमीम से बारह फीट ऊपर है.
पांडव यहां पर आए थे और अपना मुकुट बाबा को सौंपते हुए बोले कि इसकी रक्षा करना तब से इनका नाम बाबा मुकुटनाथ धाम पड़ा. यहां जो भी श्रद्धालु आते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मंदिर में रात के एक बजे कौन जल चढ़ाता है इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं. जब मंदिर का गेट खुलता है तब दो लड्डू,ग्यारह बेलपत्र, ग्यारह रुपये और दो गुलाब का फूल मिलता है. साल में बाबा मुकुटनाथ एक चावल बढ़ते है
- नागेंद्र नाथ , पुजारी