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अमेठी: टूटे पुल से गुजर रहे लोग, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा - टूटे पुल से गुजर रहे लोग

उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में लोक निर्माण विभाग के अधिकारी सरकार की फजीहत कराने में जुटे हुए हैं. पिछले 2 साल से संग्रामपुर ब्लॉक में बना पुल टूटा हुआ है. इसकी शिकायत लोगों ने जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से भी की, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

people are forced to pass through a broken bridge
अमेठी में टूटे हुए पुल से गुजर रहे लोग.
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Published : Jul 16, 2020, 10:53 PM IST

अमेठी: जनपद में एक तरफ जनप्रतिनिधि विकास की गंगा बहाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ 2 साल से अधिक समय से लाखों की आबादी टूटे हुए पुल से जान जोखिम में डालकर अपना सफर पूरा कर रही है. यहां के ग्रामीणों ने टूटे हुए पुल की शिकायत कमिश्नर से लेकर डीएम और मुख्यमंत्री तक से की है, लेकिन यह पुल कब बनेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

टूटे पुल से गुजरने को मजबूर हुए लोग.

लोक निर्माण विभाग की दिखी लापरवाही
दरअसल, मामला अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक का है. यहां लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से विशेश्वरगंज-संग्रामपुर को जोड़ने और सिद्धपीठ मां कालिकन धाम तक पहुंचाने वाले मार्ग पर करीब दो साल से अधिक समय से पुल टूटा हुआ है, लेकिन लोक निर्माण विभाग सिर्फ कागजों पर लड़ाई लड़ रहा है.

पुल का एक हिस्सा धंसा
पिछले दो सालों से अधिक समय से ये मार्ग पूरी तरीके से बंद है, क्योंकि इस मार्ग पर बने पुल का एक हिस्सा धंस गया है और यह कभी भी गिर सकता है. आलम यह है कि लोग अपनी जान जोखिम में डालकर इस पुल को पार करते हैं. इस रास्ते से गुजरने वाले लोग 10 किलोमीटर अलग से लंबा रास्ता तय करते है. यहां के ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक और डीएम से कई बार शिकायत की, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.

मौत बनकर मंडरा रहा 'विकास'
ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से भी बातचीत की, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. कुम्भकर्णी नींद में सोने वाले विभागीय अधिकारियों ने कई बार लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए टूटे हुए पुल का निरीक्षण भी किया, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. जैसे जनप्रतिनिधियों को खबर ही नहीं है कि अमेठी में वो जिस विकास का दावा कर रहे हैं, आज वही विकास मौत बनकर लोगों के सामने मंडरा रहा है.

people are forced to pass through a broken bridge
टूटे पुल के पहले लगा बोर्ड.

मुश्किलों का सामना कर रहे ग्रामीण
स्थानीय लोगों को कहना है कि ये पुल दो साल से अधिक समय से टूटा हुआ है. पुल टूट जाने के कारण ग्रामीणों के पास आपातकाल में एंबुलेंस या फिर पुलिस की मदद पहुंचने पर भी घंटों लग जाते हैं, क्योंकि उन्हें 10 किलोमीटर का लंबा सफर तय करके आना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने कहा कि इस मामले की शिकायत कई बार विभागीय अधिकारी और डीएम साहब के साथ ऑनलाइन भी की गई. यहां तक कि फैजाबाद कमीशनरी तक पूरे मामले से अवगत कराया गया, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला.

अधिशासी अधिकारी ने दी सफाई
पूरे मामले पर अधिकारी भी जैसे तैसे अपने आप को बचाते नजर आए... पूरे मामले पर जिले के लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आरके चौधरी ने कहा कि ये सिंचाई विभाग का पुराना पुल है, जो छतिग्रस्त है. इसके बारे में शासन को पहले भी अवगत कराया जा चुका है और अब फिर से शासन को अवगत कराया गया है. जैसे ही इसकी स्वीकृति मिलती है, वैसे ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

ये भी पढ़ें: 4 साल से बांस-बल्लियों के सहारे बिजली जलाने को मजबूर हैं अमेठी के लोग

'पुल बनवाने के लिए किया जा रहा प्रयास'
अधिशासी अभियंता ने कहा कि कोई हादसा न हो, इसलिए तार और अन्य व्यवस्थाओं के जरिए पुल को बन्द कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि हम सब लगातार शासन से प्रयासरत हैं कि जल्द ही पुल स्वीकृत हो जाए और यह समस्या दूर हो जाए.

अमेठी: जनपद में एक तरफ जनप्रतिनिधि विकास की गंगा बहाने की बात करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ 2 साल से अधिक समय से लाखों की आबादी टूटे हुए पुल से जान जोखिम में डालकर अपना सफर पूरा कर रही है. यहां के ग्रामीणों ने टूटे हुए पुल की शिकायत कमिश्नर से लेकर डीएम और मुख्यमंत्री तक से की है, लेकिन यह पुल कब बनेगा, इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

टूटे पुल से गुजरने को मजबूर हुए लोग.

लोक निर्माण विभाग की दिखी लापरवाही
दरअसल, मामला अमेठी के संग्रामपुर ब्लॉक का है. यहां लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से विशेश्वरगंज-संग्रामपुर को जोड़ने और सिद्धपीठ मां कालिकन धाम तक पहुंचाने वाले मार्ग पर करीब दो साल से अधिक समय से पुल टूटा हुआ है, लेकिन लोक निर्माण विभाग सिर्फ कागजों पर लड़ाई लड़ रहा है.

पुल का एक हिस्सा धंसा
पिछले दो सालों से अधिक समय से ये मार्ग पूरी तरीके से बंद है, क्योंकि इस मार्ग पर बने पुल का एक हिस्सा धंस गया है और यह कभी भी गिर सकता है. आलम यह है कि लोग अपनी जान जोखिम में डालकर इस पुल को पार करते हैं. इस रास्ते से गुजरने वाले लोग 10 किलोमीटर अलग से लंबा रास्ता तय करते है. यहां के ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक और डीएम से कई बार शिकायत की, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई.

मौत बनकर मंडरा रहा 'विकास'
ग्रामीणों ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से भी बातचीत की, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी. कुम्भकर्णी नींद में सोने वाले विभागीय अधिकारियों ने कई बार लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए टूटे हुए पुल का निरीक्षण भी किया, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. जैसे जनप्रतिनिधियों को खबर ही नहीं है कि अमेठी में वो जिस विकास का दावा कर रहे हैं, आज वही विकास मौत बनकर लोगों के सामने मंडरा रहा है.

people are forced to pass through a broken bridge
टूटे पुल के पहले लगा बोर्ड.

मुश्किलों का सामना कर रहे ग्रामीण
स्थानीय लोगों को कहना है कि ये पुल दो साल से अधिक समय से टूटा हुआ है. पुल टूट जाने के कारण ग्रामीणों के पास आपातकाल में एंबुलेंस या फिर पुलिस की मदद पहुंचने पर भी घंटों लग जाते हैं, क्योंकि उन्हें 10 किलोमीटर का लंबा सफर तय करके आना पड़ता है. स्थानीय लोगों ने कहा कि इस मामले की शिकायत कई बार विभागीय अधिकारी और डीएम साहब के साथ ऑनलाइन भी की गई. यहां तक कि फैजाबाद कमीशनरी तक पूरे मामले से अवगत कराया गया, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला.

अधिशासी अधिकारी ने दी सफाई
पूरे मामले पर अधिकारी भी जैसे तैसे अपने आप को बचाते नजर आए... पूरे मामले पर जिले के लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आरके चौधरी ने कहा कि ये सिंचाई विभाग का पुराना पुल है, जो छतिग्रस्त है. इसके बारे में शासन को पहले भी अवगत कराया जा चुका है और अब फिर से शासन को अवगत कराया गया है. जैसे ही इसकी स्वीकृति मिलती है, वैसे ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

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'पुल बनवाने के लिए किया जा रहा प्रयास'
अधिशासी अभियंता ने कहा कि कोई हादसा न हो, इसलिए तार और अन्य व्यवस्थाओं के जरिए पुल को बन्द कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि हम सब लगातार शासन से प्रयासरत हैं कि जल्द ही पुल स्वीकृत हो जाए और यह समस्या दूर हो जाए.

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