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अमेठी: सावन में बाबा मुकुटनाथ धाम में उमड़ेगा कांवड़ियों का जत्था

उत्तर प्रदेश के अमेठी नगर में स्थित मुकुटनाथ धाम शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है. सावन मास में दूर-दराज से आए भक्तों का जमावड़ा मुकुटनाथ धाम में होता है. मान्यता है कि बाबा मुकुटनाथ के जलाभिषेक से भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं.

सावन में बाबा मुकुटनाथ धाम में उमड़ेंगा कांविड़ियों का जत्था
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Published : Jul 17, 2019, 3:51 PM IST

Updated : Jul 17, 2019, 5:15 PM IST

अमेठी: नगर से छह किमी दूर प्रतापगढ़-जगदीशपुर मार्ग पर ताला गांव के पास स्थित मुकुटनाथ धाम शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है. पांडवों द्वारा स्थापित इस शिवमंदिर में सावन में दूर-दराज के भक्तों का जमावड़ा होता है. मान्यता है कि बाबा मुकुटनाथ के जलाभिषेक से भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं.

सावन में बाबा मुकुटनाथ धाम में उमड़ेंगा कांविड़ियों का जत्था

जनपद में स्थित बाबा मुकुटनाथ बाबा धाम का मंदिर अपने अंदर बहुत से रहस्य छुपाए हुए है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर किसी ने स्थापित नहीं किया है, बल्कि यह मंदिर स्वयं प्रकट हुआ है. मंदिर में स्थापित मूर्तियां अंग्रेजों के समय हुए आक्रमण में खण्डित हो गईं थी.

जानें कैसे हुआ बाबा मुकुटनाथ धाम का उदय
क्षेत्र में प्रचलित कथाओं की माने तो प्राचीन काल में यहां घनघोर जंगल हुआ करता था. जब पांडवों को 12 वर्षों का वनवास हुआ तो उन्होंने इसी जंगल में शिवलिंग की स्थापना कर उन्हें अपना मुकुट समर्पित कर दिया और वे इस शिवलिंग पर उसकी रक्षा का भार देकर स्वयं जंगल में रहते थे.

प्राचीन है बाबा मुकुटनाथ का धाम
शिवमंदिर के बगल स्थित टीले पर भर राजाओं का किला स्थापित होने के प्रमाण मिलते हैं. कुछ वर्ष पूर्व हुई खुदाई में जो अवशेष और सिक्के प्राप्त हुए हैं, वे नौवीं शताब्दी के आसपास के बताए जाते हैं. यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है.

जलाभिषेक से भक्तों की पूरी होती हैं मन्नतें
मंदिर के बाहर पिछले सात सालों से भजन-कीर्तन करने वाले गिरिजा शंकर कहते हैं कि यह मंदिर बहुत पुराना है. साल 1991-92 में गांव मे बारिश नहीं हो रही थी तो गांव वालों ने बाबा को जल से नहलाया. सुबह से शाम तक बाबा को जल से नहलाने के बाद जब गांव वाले कुछ दूर ही चले थे कि गांव में जोरों से बारिश शुरू हो गई. मान्यता है कि बाबा मुकुटनाथ के जलाभिषेक से भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं.

हमारे पूर्वज जो बाते बता कर गए हैं कि जब पांडव अज्ञातवास पर थे तो यहां मुकुट चढ़ाया था तो इस वजह से यह बाबा मुकुटनाथ धाम कहलाया. आज भी यही मान्यता चली आ रही है. मुकटनाथ धाम ने तमाम आक्रमण को झेला है. अंग्रेजों द्वारा इसकी खुदाई भी कराई गई थी. मूर्तियां जो खंडित पड़ी है, इन सब को आक्रमण में ही तोड़ा गया था.
-पंडित हरिहर गिरी, पुजारी

यह मंदिर बहुत पुराना और प्राचीन है. गांव में बारिश नहीं हो रही थी, तब गांव वालों ने इनकी पूजा की तो बारिश होने लगी. इस मंदिर की स्थापना नहीं हुई है. यह स्वयं प्रकट हुए हैं.
-गिरिजा शंकर, भक्त

अमेठी: नगर से छह किमी दूर प्रतापगढ़-जगदीशपुर मार्ग पर ताला गांव के पास स्थित मुकुटनाथ धाम शिवभक्तों की आस्था का केंद्र है. पांडवों द्वारा स्थापित इस शिवमंदिर में सावन में दूर-दराज के भक्तों का जमावड़ा होता है. मान्यता है कि बाबा मुकुटनाथ के जलाभिषेक से भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं.

सावन में बाबा मुकुटनाथ धाम में उमड़ेंगा कांविड़ियों का जत्था

जनपद में स्थित बाबा मुकुटनाथ बाबा धाम का मंदिर अपने अंदर बहुत से रहस्य छुपाए हुए है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर किसी ने स्थापित नहीं किया है, बल्कि यह मंदिर स्वयं प्रकट हुआ है. मंदिर में स्थापित मूर्तियां अंग्रेजों के समय हुए आक्रमण में खण्डित हो गईं थी.

जानें कैसे हुआ बाबा मुकुटनाथ धाम का उदय
क्षेत्र में प्रचलित कथाओं की माने तो प्राचीन काल में यहां घनघोर जंगल हुआ करता था. जब पांडवों को 12 वर्षों का वनवास हुआ तो उन्होंने इसी जंगल में शिवलिंग की स्थापना कर उन्हें अपना मुकुट समर्पित कर दिया और वे इस शिवलिंग पर उसकी रक्षा का भार देकर स्वयं जंगल में रहते थे.

प्राचीन है बाबा मुकुटनाथ का धाम
शिवमंदिर के बगल स्थित टीले पर भर राजाओं का किला स्थापित होने के प्रमाण मिलते हैं. कुछ वर्ष पूर्व हुई खुदाई में जो अवशेष और सिक्के प्राप्त हुए हैं, वे नौवीं शताब्दी के आसपास के बताए जाते हैं. यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है.

जलाभिषेक से भक्तों की पूरी होती हैं मन्नतें
मंदिर के बाहर पिछले सात सालों से भजन-कीर्तन करने वाले गिरिजा शंकर कहते हैं कि यह मंदिर बहुत पुराना है. साल 1991-92 में गांव मे बारिश नहीं हो रही थी तो गांव वालों ने बाबा को जल से नहलाया. सुबह से शाम तक बाबा को जल से नहलाने के बाद जब गांव वाले कुछ दूर ही चले थे कि गांव में जोरों से बारिश शुरू हो गई. मान्यता है कि बाबा मुकुटनाथ के जलाभिषेक से भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं.

हमारे पूर्वज जो बाते बता कर गए हैं कि जब पांडव अज्ञातवास पर थे तो यहां मुकुट चढ़ाया था तो इस वजह से यह बाबा मुकुटनाथ धाम कहलाया. आज भी यही मान्यता चली आ रही है. मुकटनाथ धाम ने तमाम आक्रमण को झेला है. अंग्रेजों द्वारा इसकी खुदाई भी कराई गई थी. मूर्तियां जो खंडित पड़ी है, इन सब को आक्रमण में ही तोड़ा गया था.
-पंडित हरिहर गिरी, पुजारी

यह मंदिर बहुत पुराना और प्राचीन है. गांव में बारिश नहीं हो रही थी, तब गांव वालों ने इनकी पूजा की तो बारिश होने लगी. इस मंदिर की स्थापना नहीं हुई है. यह स्वयं प्रकट हुए हैं.
-गिरिजा शंकर, भक्त

Intro:अमेठी। जनपद अमेठी में स्थित बाबा मुकुटनाथ बाबा धाम का मंदिर अपने अंदर बहुत सारे रहस्य और आस्था लिए हुए है। लोगो का कहना है कि यह मंदिर स्थापित नही हुई है। यह मंदिर स्वयं प्रकट हुआ है। मंदिर में स्थापित खण्डित मूर्तिया अंग्रेजो द्वारा हुए आक्रमण में खण्डित हुयी है।


कैसे पड़ा मुकुटनाथ बाबा धाम-

मंदिर में रह रहे पुजारी हरिहर गिरी बताते है कि जब पाण्डव अज्ञातवास पर थे तब उन्होंने बाबा को मुकुट चढ़ाया था। तभी से ये मुकुटनाथ कहलाये।







Body:बहुत प्राचीन है बाबा मुकुटनाथ धाम-

यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है। इस मंदिर को स्थापित नही किया गया है बल्कि यह मंदिर स्वाम प्रकट हुआ है। यह मंदिर तमाम आक्रमण झेले हुआ है। अंग्रेजो द्वारा इसकी खुदाई भी कराई गयी। मंदिर में पड़ी खण्डित मूर्तिया अंग्रेजो द्वारा किये गए आक्रमण में ही खंडित हुयी है।

लोगो का इस मंदिर से है आस्था-

मंदिर के बाहर पिछले सात सालों से भजन कीर्तन करने वाले गिरिजा शंकर कहते है कि यह मंदिर बहुत पुराना है। साल 1991-92 में गाँव मे बारिश नही हो रही थी तो गाँव वालों ने बाबा को जल से नहलाया। सुबह से शाम तक बाबा को जल से नहलाने के बाद जब गांव वाले कुछ दूर ही चले थे कि गाव में जोरो से बारिश शुरू हुयी।


Conclusion:वी/ओ-1 हमारे पूर्वजो जो बाते बता कर गए हैं कि जब पांडव अज्ञातवास पर थे तो यहा मुकुट चढ़ाये तो ये बाबा मुकुट नाथ कहलाये। आज भी मान्यता चली आ रही है। तमाम आक्रमण झेला हुआ यह मंदिर है। अंग्रेजों द्वारा इसकी खुदाई भी कराई गई थी। मूर्तियों जो खंडित पड़ी है। इन सब को आक्रमण में ही तोड़ा गया।

बाइट- पंडित हरिहर गिरी(पुजारी)


वी/ओ-2 यह मंदिर बहुत पुराना और प्राचीन है। गांव में बारिश नहीं हो रही थी तब गांव वालों ने इनकी पूजा की तो बारिश होने लगी। इस मंदिर की स्थापना नहीं हुई है यह स्वयं प्रकट हुए।

बाइट- गिरिजा शंकर (भक्त)
Last Updated : Jul 17, 2019, 5:15 PM IST
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