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अंबेडकरनगर: घरों में सिलेंडर पहुंचाकर भी फेल हुई उज्जवला योजना

प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहली बार बैठने के बाद नरेंद्र मोदी ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर देने का निर्णय लिया था. इसके लिए प्रधानमंत्री उज्जवला योजना शुरू की गई थी, जिसके तहत गरीब महिलाओं को धुएं और आग की तपन से मुक्ति दिलाने का लक्ष्य तय किया गया था लेकिन इस योजना के बाद भी ढाक के पात वाली स्थिति है. पेश है ग्राउंड रिपोर्ट.

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Published : Jul 12, 2019, 11:50 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

उज्जवला योजना के सिलेंडर होने के बाद भी घरों में जल रहे चूल्हे.

अंबेडकरनगर: गरीब महिलाओं को धुएं और जहरीली गैसों से निजात दिलाने के लिए पीएम मोदी ने उज्जवला योजना की शुरूआत की थी. इस योजना के तहत अब तक लक्ष्य के मुताबिक लोगों को सिलेंडर मिल भी चुका है, लेकिन अधिकांश घरों में ये सिलेंडर केवल शोपीस बनकर रह गए हैं. दरअसल, सरकार से सिलेंडर तो मिल गया, लेकिन इन गरीबों के पास गैस भराने के लिए पैसा ही नहीं हैं. ऐसे में महिलाएं अब भी उसी लकड़ी के चूल्हे पर खाना बना रहीं हैं, जिससे प्रधानमंत्री निजात दिलाना चाहते थे.

उज्जवला योजना की ग्राउंड रिपोर्ट.

पैसों के अभाव में खाली पड़े सिलेंडर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से प्रधानमंत्री उज्वला योजना की शुरूआत की थी. गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को मुफ्त में सिलेंडर देना इस योजना की प्राथमिकता थी. योजना के तहत अंबेडकरनगर जनपद के गरीब परिवारों को सिलेंडर मिल गया. जब इन सिलेंडरों की गैस खत्म हुई तो फिर दोबारा नहीं भरी जा सकी. गरीब परिवार पैसे के अभाव में महीनों से सिलेंडर नहीं भरा पा रहे हैं. दिहाड़ी मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले परिवारों के पास पैसे नहीं हैं इसलिए उनके घरों में फिर से चूल्हे का धूआं घुमड़ने लगा है.

सिलेंडर से पहले रोजगार की जरूरत
जनपद के ग्रामीण इलाकों में उज्जवला योजना की हकीकत साफ हो जाती है. जिन लोगों के पास खेती और रोजगार नहीं है वे दिन भर मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं. तमाम खर्चों के बाद उनके पास इतने पैसे नहीं बचते जिससे सिलेंडर में गैस भराई जा सके. मजबूरन उन्हें चूल्हे पर खाना बनाना पड़ता है. इन ग्रामीणों की मांग है कि सरकार सिलेंडर से पहले उन्हें रोजगार उपलब्ध कराए. उन्हें सिलेंडर से ज्यादा जरूरत रोजगार और काम-धंधे की है.

हमें गैस सिलेंडर मिला है, लेकिन कई महीनों से भराया नहीं गया. हम लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बनाते हैं क्योंकि हमारे पास पैसा नहीं है. इसके लिए पहले हमें रोजगार चाहिए.
-सरिता, ग्रामीण महिला (उज्जवला योजना लाभार्थी)

अंबेडकरनगर: गरीब महिलाओं को धुएं और जहरीली गैसों से निजात दिलाने के लिए पीएम मोदी ने उज्जवला योजना की शुरूआत की थी. इस योजना के तहत अब तक लक्ष्य के मुताबिक लोगों को सिलेंडर मिल भी चुका है, लेकिन अधिकांश घरों में ये सिलेंडर केवल शोपीस बनकर रह गए हैं. दरअसल, सरकार से सिलेंडर तो मिल गया, लेकिन इन गरीबों के पास गैस भराने के लिए पैसा ही नहीं हैं. ऐसे में महिलाएं अब भी उसी लकड़ी के चूल्हे पर खाना बना रहीं हैं, जिससे प्रधानमंत्री निजात दिलाना चाहते थे.

उज्जवला योजना की ग्राउंड रिपोर्ट.

पैसों के अभाव में खाली पड़े सिलेंडर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से प्रधानमंत्री उज्वला योजना की शुरूआत की थी. गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को मुफ्त में सिलेंडर देना इस योजना की प्राथमिकता थी. योजना के तहत अंबेडकरनगर जनपद के गरीब परिवारों को सिलेंडर मिल गया. जब इन सिलेंडरों की गैस खत्म हुई तो फिर दोबारा नहीं भरी जा सकी. गरीब परिवार पैसे के अभाव में महीनों से सिलेंडर नहीं भरा पा रहे हैं. दिहाड़ी मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले परिवारों के पास पैसे नहीं हैं इसलिए उनके घरों में फिर से चूल्हे का धूआं घुमड़ने लगा है.

सिलेंडर से पहले रोजगार की जरूरत
जनपद के ग्रामीण इलाकों में उज्जवला योजना की हकीकत साफ हो जाती है. जिन लोगों के पास खेती और रोजगार नहीं है वे दिन भर मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं. तमाम खर्चों के बाद उनके पास इतने पैसे नहीं बचते जिससे सिलेंडर में गैस भराई जा सके. मजबूरन उन्हें चूल्हे पर खाना बनाना पड़ता है. इन ग्रामीणों की मांग है कि सरकार सिलेंडर से पहले उन्हें रोजगार उपलब्ध कराए. उन्हें सिलेंडर से ज्यादा जरूरत रोजगार और काम-धंधे की है.

हमें गैस सिलेंडर मिला है, लेकिन कई महीनों से भराया नहीं गया. हम लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बनाते हैं क्योंकि हमारे पास पैसा नहीं है. इसके लिए पहले हमें रोजगार चाहिए.
-सरिता, ग्रामीण महिला (उज्जवला योजना लाभार्थी)

Intro:स्पेशल स्टोरी

प्रधानमंत्री की कुर्सी पर पहली बार बैठने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली गरीब महिलाओं को धुंए और आग की तपन से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री उज्वला योजना के तहत मुफ्त में गैस सिलेंडर देने का निर्णय लिया था और अब तक अधिकांश लोगों को सिलेंडर मिल भी चुका है लेकिन अधिकांश घरो में ये सिलेंडर केवल दिखावा मात्र साबित हो रहे हैं ,महिलाएं अब भी उसी लकड़ी के चूल्हे पर खाना बना रहीं हैं जिससे प्रधानमंत्री निजात दिलाना चाहते हैं,दरअसल सरकार ने इन्हें सिलेंडर तो दे दिया लेकिन इन गरीबों के पास गैस भराने के लिए पैसा ही नही है क्योंकि इनके पास रोजगार नही है ।


Body:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मई 2016 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से लागू किया था प्रधानमंत्री उज्वला योजना,

गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं को मुफ्त में सिलेंडर देना इस योजना की है प्राथमिकता,

पैसे के अभाव में दो दो ,तीन तीन महीने गैस नही भरा पा रहे हैं गरीब परिवार,

दिहाड़ी मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले परिवारों के पास नही है गैस भराने का पैसा,लकड़ी के चूल्हे पर ही बना रही हैं खाना,


Conclusion:उज्वला योजना की जमीनी हकीकत परखने के लिए हमने जिले कुछ गरीब बस्तियों का दौरा किया जहाँ पर लोगों के पास न तो खेती है और न ही रोजगार लोग दिन भर मजदूरी करते हैं और शाम को खरीद कर अनाज ला कर खाते हैं ,कुछ महिलाओं ने हमसे बात भी कि घरेलू महिला सरिता का कहना है कि हमे गैस सिलेंडर मिला है लेकिन कई महीने से भराया नही गया हम लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बनाते हैं क्योंकि हमारे पास पैसा नही है ,हमारे खेती बारी नही है मजदूरी करते हैं, हमें रोजगार की जरूरत है गैस सिलेंडर की नही ,हमें पहले रोजगार चाहिए,ऐसा ही कुछ कहना रीमा का है कि पैसा नही है इस लिये गैस नही भराया गया हमें पहले रोजगार चाहिए ,ये तो सिर्फ एक बानगी है अपने इस मुहिम में हमने सैकड़ो महिलाओं से बात कि जिनमे अधिकांश का यही कहना है कि पैसे के अभाव सिलेंडर नही भरा पा रहे हैं ,हमें सबसे ज्यादा जरूत रोजगार की है ,सरकार हमे रोजगार दे।

अनुराग चौधरी
अम्बेडकरनगर
9451734102
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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