अंबेडकरनगर : पवित्र रमजान का महीना शुरू हो गया है और आज रोजा का चौथा दिन है, लेकिन अल्लाह के इबादत में लगे रोजेदारों की मुश्किलें भी बढ़नी शुरू हो गई हैं. रोजेदारों का प्यास बुझाने में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला रूहआफजा बाजार से गायब है. जिन दुकानदारों के पास है भी, वे कालाबाजारी कर रहे हैं.
रोजेदारों की बढ़ी मुश्किलें
- 15 घण्टे तक बिना एक बूंद पानी के पूरे माह रखा जाने वाला रोजा शाम को अपने निर्धारित समय पर खोला जाता है, जिसे रोजा इफ्तार कहते हैं.
- उत्तर भारतीयों में प्यास बुझाने के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग रूहआफजा का किया जाता है, लेकिन इस बार यह बाजार से गायब है.
- रूहआफजा की कमी से सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब रोजेदारों को हो रही है.
- रूहआफजा के कमी के पीछे कम्पनी में मालिकाना हक के विवाद को बताया जा रहा है,
- रोजेदारों का कहना कि रुआब्जा न मिलने से हमारे सामने मुश्किलें खड़ी हो गई है. इसकी व्यवस्था होनी चाहिए.
वहीं, इसका व्यवसाय कर रहे दुकानदारों का कहना है कि इस समय रुआब्जा की मांग सबसे ज्यादा है. लोग आते हैं और पूछ कर चले जाते हैं. कम्पनी में मालिकाना हक को लेकर हुए विवाद के बाद यह समस्या आ रही है.