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अंबेडकरनगर : बाजार से गायब हुआ रुहआफजा, रोजेदारों की बढ़ी मुश्किलें

जनपद में रोजेदारों की प्यास बुझाने में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वााल रुहआफजा इन दिनों बाजार से गायब है. रोजेदारों का कहना है कि इससे हमारे सामने मुश्किलें खड़ी हो गयी हैं. इसकी व्यवस्था होनी चाहिए. वहीं, इसका व्यवसाय कर रहे दुकानदारों का कहना है कि इस समय रुहआफजा की मांग सबसे ज्यादा है. कम्पनी में मालिकाना हक को लेकर हुए विवाद के बाद यह समस्या आ रही है.

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Published : May 10, 2019, 12:20 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

रूआब्जा न मिलने से रोजेदारों की परेशानी बढ़ी.

अंबेडकरनगर : पवित्र रमजान का महीना शुरू हो गया है और आज रोजा का चौथा दिन है, लेकिन अल्लाह के इबादत में लगे रोजेदारों की मुश्किलें भी बढ़नी शुरू हो गई हैं. रोजेदारों का प्यास बुझाने में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला रूहआफजा बाजार से गायब है. जिन दुकानदारों के पास है भी, वे कालाबाजारी कर रहे हैं.

रूहआफजा न मिलने से रोजेदारों की बढ़ी परेशानी.

रोजेदारों की बढ़ी मुश्किलें

  • 15 घण्टे तक बिना एक बूंद पानी के पूरे माह रखा जाने वाला रोजा शाम को अपने निर्धारित समय पर खोला जाता है, जिसे रोजा इफ्तार कहते हैं.
  • उत्तर भारतीयों में प्यास बुझाने के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग रूहआफजा का किया जाता है, लेकिन इस बार यह बाजार से गायब है.
  • रूहआफजा की कमी से सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब रोजेदारों को हो रही है.
  • रूहआफजा के कमी के पीछे कम्पनी में मालिकाना हक के विवाद को बताया जा रहा है,
  • रोजेदारों का कहना कि रुआब्जा न मिलने से हमारे सामने मुश्किलें खड़ी हो गई है. इसकी व्यवस्था होनी चाहिए.

वहीं, इसका व्यवसाय कर रहे दुकानदारों का कहना है कि इस समय रुआब्जा की मांग सबसे ज्यादा है. लोग आते हैं और पूछ कर चले जाते हैं. कम्पनी में मालिकाना हक को लेकर हुए विवाद के बाद यह समस्या आ रही है.

अंबेडकरनगर : पवित्र रमजान का महीना शुरू हो गया है और आज रोजा का चौथा दिन है, लेकिन अल्लाह के इबादत में लगे रोजेदारों की मुश्किलें भी बढ़नी शुरू हो गई हैं. रोजेदारों का प्यास बुझाने में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला रूहआफजा बाजार से गायब है. जिन दुकानदारों के पास है भी, वे कालाबाजारी कर रहे हैं.

रूहआफजा न मिलने से रोजेदारों की बढ़ी परेशानी.

रोजेदारों की बढ़ी मुश्किलें

  • 15 घण्टे तक बिना एक बूंद पानी के पूरे माह रखा जाने वाला रोजा शाम को अपने निर्धारित समय पर खोला जाता है, जिसे रोजा इफ्तार कहते हैं.
  • उत्तर भारतीयों में प्यास बुझाने के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग रूहआफजा का किया जाता है, लेकिन इस बार यह बाजार से गायब है.
  • रूहआफजा की कमी से सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब रोजेदारों को हो रही है.
  • रूहआफजा के कमी के पीछे कम्पनी में मालिकाना हक के विवाद को बताया जा रहा है,
  • रोजेदारों का कहना कि रुआब्जा न मिलने से हमारे सामने मुश्किलें खड़ी हो गई है. इसकी व्यवस्था होनी चाहिए.

वहीं, इसका व्यवसाय कर रहे दुकानदारों का कहना है कि इस समय रुआब्जा की मांग सबसे ज्यादा है. लोग आते हैं और पूछ कर चले जाते हैं. कम्पनी में मालिकाना हक को लेकर हुए विवाद के बाद यह समस्या आ रही है.

Intro:UP-AMBEDKARNAGAR-ANURAG CHAUDHARY
SULG-RUAABJA KI KAMI SE ROJEDAR PRESHAN
VISUAL-RUAABJA

रमजान स्पेशल

एंकर-पवित्र रमजान का महीना शुरू हो गया है और आज रोजा का चौथा दिन है लेकिन अल्हा के इबादत में लगे रोजेदारों की मुश्किलें भी बढ़नी शुरू हो गयी है,रोजेदारों के प्यास बुझाने में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला रुआब्जा बाजार से गायब है ,जिन दुकानदारों के पास है भी वे कालाबाजारी पर तुले हैं,रुआब्जा की कमी से सबसे ज्यादा दिक्कत गरीब रोजेदारों को हो रही है।


Body:vo-रोजेदारों की शख्त आजमाइश चल रही है,15 घण्टे तक बिना एक कतरा पानी के पूरे माह रखा जाने वाला रोजा शाम को अपने निर्धारित समय पर खोला जाता है जिसे रोजा इफ्तार कहते हैं, उत्तर भारतीयों में प्यास बुझाने के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग रुआब्जा का किया जाता है ,लेकिन इस बार यह बाजार से गायब है जिनके पास है वो कालाबाजारी कर रहे हैं, रुआब्जा के कमी के पीछे कम्पनी में मालिकाना हक के विवाद को बताया जा रहा है ।


Conclusion:vo-रोजेदारों का कहना कि रुआब्जा न मिलने से हमारे सामने मुश्किले खड़ी हो गयी हैं ,इसकी ब्यवस्था होनी चाहिए ,वहीं इसका व्यवसाय कर रहे दुकानदारों का कहना है कि इस समय रुआब्जा की मांग सबसे ज्यादा है लोग आते हैं और पूछ कर चले जाते हैं ,कम्पनी में मालिकाना हक को लेकर हुए विवाद के बाद यह समस्या आ रही है।

बाइट 1-मोहम्मद आफाक रोजेदार
2-मो हयात अंसारी
3-प्रमोद कुमार दुकानदार

अनुराग चौधरी
अम्बेडकरनगर
9451734102
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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