अंबेडकरनगर: कानपुर वारदात के बाद प्रदेश सरकार ने माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. अपराधियों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने 5 माफियाओं की सूचि जारी की है. इसमें एक नाम शहर के माफिया खान मुबारक का है. खान मुबारक पर हत्या, फिरौती, रंगदारी के कई मुकदमे दर्ज हैं. प्रदेश में सरकार किसी भी पार्टी की हो, लेकिन अपराध की दुनिया में खान मुबारक सिक्का चलता रहा है. इस समय खान मुबारक जेल में बंद है लेकिन वहां से भी इसकी वसूली चल रही है. आइये जानते हैं अपराध के बादशाह खान मुबारक के बारे में.
कौन है खान मुबारक ?
अंबेडकरनगर जिले के हसवर थाना क्षेत्र में रहनेवाले अच्छन खान का छोटा बेटा खान मुबारक है. खान मुबारक के बड़े भाई का नाम जफर सुपारी है, जो मुंबई का अंडरवर्ल्ड डॉन है. जफर सुपारी का नाम काला घोड़ा हत्या कांड के बाद चर्चा में आया था. तब वह छोटा राजन गिरोह का हिस्सा था. जफर ने 15 साल की उम्र में ही एक लड़के की हत्या कर अपराध की दुनिया में कदम रखा था.
अपने भाई (जफर सुपारी) के कदमों पर चलकर खान मुबारक ने भी जुर्म की दुनिया में कदम रखा. इस समय खान मुबारक प्रदेश में चर्चित माफिया है. खान मुबारक का अपराध की दुनिया में एंट्री बड़ी दिलचस्प रही. बताया जाता है कि एक बार क्रिकेट मैच खेलते समय अंपायर द्वारा रन आउट देने पर गुस्साए खान मुबारक ने अंपायर की गोली मारकर हत्या कर दी.
अंपायर की हत्या के बाद खान मुबारक ने इलाहाबाद में एक पोस्ट ऑफिस को लूटकर जुर्म की दुनिया में अपनी पकड़ मजबूत की. खान मुबारक ने अंबेडकरनगर में पहली हत्या व्यवसायी ऐनुद्दीन का किया था. इसके बाद उसने जिले में रंगदारी, वसूली शुरू कर दी.
वर्चस्व की लड़ाई में खान मुबारक ने बसपा नेता दुर्गाम मेहंदी पर साल 2017 में हमला कराया. इस दौरान 6 गोली लगने के बाद भी दुर्गाम की जान बच गई. इसके बाद खान मुबारक ने दोबारा दुर्गाम पर हमला करवाया, जिसमें दुर्गाम और उसके ड्राइवर की मौत हो गई.
बसखारी में पेट्रोल पंप व्यवसायी और आजमगढ़ में ओसामा की हत्या में भी खान मुबारक का नाम सामने आया था. खान मुबारक पर आपराधिक वारदातों की फेहरिस्त तो काफी लंबी है. इस समय खान मुबारक पर 2 दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन इसके बाद खान मुबारक का खौफ इतना ज्यादा है कि इसके खिलाफ कोई गवाही को तैयार नहीं होता.
वैसे सीधे तौर पर किसी नेता का खान मुबारक से नाम तो नहीं जुड़ा है, लेकिन माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद का संरक्षण इसे मिला हुआ है. दिलचस्प बात यह है कि खान मुबारक ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी माध्यम में एमए की पढ़ाई की है.
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