अम्बेडकरनगर: पूरे देश का पेट भरने वाला अन्नदाता आज दर-दर भटकने को मजबूर है. पहले धान बेचने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं और किसी तरह से धान बिका तो अब भुगतान के लाले पड़ गए हैं. जिले में धान खरीद कर रहीं कई एजेंसियां किसानों का तकरीबन 30 करोड़ रुपये दबाए बैठी हैं. जब किसान भुगतान के लिए उनके पास जाते हैं तो अधिकारी तकनीक का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. बताया जा रहा है कि सरकार ने इन एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली और अब किसानों को भुगतान के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.
15 नवम्बर से शुरू हुई धान की खरीद
जिले में बीते एक नवम्बर से धान खरीद शुरू हुई थी, लेकिन औपचारिक रूप से यह खरीद 15 नवम्बर के बाद ही शुरू हुई. इसके लिए 6 एजेंसियों के कुल 95 क्रय केंद्र बनाए गए थे. सरकारी आकड़ों में लम्बी-चौड़ी खरीद दिखा दी गई, लेकिन वास्तविक किसान इससे महरूम रह गए.
ये भी पढ़ें- 30 जनवरी को कौशांबी पहुंचेगी गंगा यात्रा, लोगों को जागरूक करेंगे राज्यमंत्री
एक महीने बाद भी नहीं हुआ भुगतान
अगर किसानों ने किसी तरह अपना धान बेच भी लिया तो अब भुगतान के लिए भटक रहे हैं. इनमें क्रय एजेंसी यूपीएसएस, पीसीएफ और नैकाप बड़े बकायेदारों में शामिल हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें धान बेचे महीने भर का समय हो गया है. खरीद का मैसेज भी आ गया है, लेकिन पैसा अभी तक नहीं आया.
सरकार ने नियमों में किया बदलाव
बताया जा रहा है कि तकरीबन 3 हजार किसानों का 30 करोड़ रुपये बकाया है. आलाधिकारियों का कहना है कि भुगतान के नियमों में बदलाव होने के बाद सरकार ने क्रय एजेंसियों के खाते से पैसा वापस ले लिया है. इससे किसानों को भुगतान के लिए और इंतजार करना होगा.
खाद्य विपणन अधिकारी ने दी जानकारी
खाद्य विपणन अधिकारी अजित कुमार का कहना है कि कुल 30 करोड़ रुपये बकाया है. सरकार ने भुगतान के नियमों में कुछ बदलाव किया है, जिसके लिए इन क्रय एजेंसियों के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, लेकिन अभी भुगतान में समस्या हो रही है. सरकार ने क्रय एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली है. इसलिए भुगतान में विलम्ब हो रहा है.