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अम्बेडकरनगर: धान किसानों का करोड़ों दबाए बैठी हैं क्रय एजेंसियां, भटक रहे अन्नदाता

यूपी के अम्बेडकरनगर में क्रय एजेंसियां किसानों का करीब 30 करोड़ रुपये दबाए बैठी हैं. इससे किसान धान के भुगतान के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. आलाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने इन एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली, इसलिए किसानों को भुगतान के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.

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भुगतान को भटक रहे अन्नदाता.
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Published : Jan 28, 2020, 11:26 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अम्बेडकरनगर: पूरे देश का पेट भरने वाला अन्नदाता आज दर-दर भटकने को मजबूर है. पहले धान बेचने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं और किसी तरह से धान बिका तो अब भुगतान के लाले पड़ गए हैं. जिले में धान खरीद कर रहीं कई एजेंसियां किसानों का तकरीबन 30 करोड़ रुपये दबाए बैठी हैं. जब किसान भुगतान के लिए उनके पास जाते हैं तो अधिकारी तकनीक का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. बताया जा रहा है कि सरकार ने इन एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली और अब किसानों को भुगतान के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.

भुगतान को भटक रहे अन्नदाता.

15 नवम्बर से शुरू हुई धान की खरीद
जिले में बीते एक नवम्बर से धान खरीद शुरू हुई थी, लेकिन औपचारिक रूप से यह खरीद 15 नवम्बर के बाद ही शुरू हुई. इसके लिए 6 एजेंसियों के कुल 95 क्रय केंद्र बनाए गए थे. सरकारी आकड़ों में लम्बी-चौड़ी खरीद दिखा दी गई, लेकिन वास्तविक किसान इससे महरूम रह गए.

ये भी पढ़ें- 30 जनवरी को कौशांबी पहुंचेगी गंगा यात्रा, लोगों को जागरूक करेंगे राज्यमंत्री

एक महीने बाद भी नहीं हुआ भुगतान
अगर किसानों ने किसी तरह अपना धान बेच भी लिया तो अब भुगतान के लिए भटक रहे हैं. इनमें क्रय एजेंसी यूपीएसएस, पीसीएफ और नैकाप बड़े बकायेदारों में शामिल हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें धान बेचे महीने भर का समय हो गया है. खरीद का मैसेज भी आ गया है, लेकिन पैसा अभी तक नहीं आया.

सरकार ने नियमों में किया बदलाव
बताया जा रहा है कि तकरीबन 3 हजार किसानों का 30 करोड़ रुपये बकाया है. आलाधिकारियों का कहना है कि भुगतान के नियमों में बदलाव होने के बाद सरकार ने क्रय एजेंसियों के खाते से पैसा वापस ले लिया है. इससे किसानों को भुगतान के लिए और इंतजार करना होगा.

खाद्य विपणन अधिकारी ने दी जानकारी
खाद्य विपणन अधिकारी अजित कुमार का कहना है कि कुल 30 करोड़ रुपये बकाया है. सरकार ने भुगतान के नियमों में कुछ बदलाव किया है, जिसके लिए इन क्रय एजेंसियों के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, लेकिन अभी भुगतान में समस्या हो रही है. सरकार ने क्रय एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली है. इसलिए भुगतान में विलम्ब हो रहा है.

अम्बेडकरनगर: पूरे देश का पेट भरने वाला अन्नदाता आज दर-दर भटकने को मजबूर है. पहले धान बेचने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं और किसी तरह से धान बिका तो अब भुगतान के लाले पड़ गए हैं. जिले में धान खरीद कर रहीं कई एजेंसियां किसानों का तकरीबन 30 करोड़ रुपये दबाए बैठी हैं. जब किसान भुगतान के लिए उनके पास जाते हैं तो अधिकारी तकनीक का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. बताया जा रहा है कि सरकार ने इन एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली और अब किसानों को भुगतान के लिए और इंतजार करना पड़ेगा.

भुगतान को भटक रहे अन्नदाता.

15 नवम्बर से शुरू हुई धान की खरीद
जिले में बीते एक नवम्बर से धान खरीद शुरू हुई थी, लेकिन औपचारिक रूप से यह खरीद 15 नवम्बर के बाद ही शुरू हुई. इसके लिए 6 एजेंसियों के कुल 95 क्रय केंद्र बनाए गए थे. सरकारी आकड़ों में लम्बी-चौड़ी खरीद दिखा दी गई, लेकिन वास्तविक किसान इससे महरूम रह गए.

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एक महीने बाद भी नहीं हुआ भुगतान
अगर किसानों ने किसी तरह अपना धान बेच भी लिया तो अब भुगतान के लिए भटक रहे हैं. इनमें क्रय एजेंसी यूपीएसएस, पीसीएफ और नैकाप बड़े बकायेदारों में शामिल हैं. किसानों का कहना है कि उन्हें धान बेचे महीने भर का समय हो गया है. खरीद का मैसेज भी आ गया है, लेकिन पैसा अभी तक नहीं आया.

सरकार ने नियमों में किया बदलाव
बताया जा रहा है कि तकरीबन 3 हजार किसानों का 30 करोड़ रुपये बकाया है. आलाधिकारियों का कहना है कि भुगतान के नियमों में बदलाव होने के बाद सरकार ने क्रय एजेंसियों के खाते से पैसा वापस ले लिया है. इससे किसानों को भुगतान के लिए और इंतजार करना होगा.

खाद्य विपणन अधिकारी ने दी जानकारी
खाद्य विपणन अधिकारी अजित कुमार का कहना है कि कुल 30 करोड़ रुपये बकाया है. सरकार ने भुगतान के नियमों में कुछ बदलाव किया है, जिसके लिए इन क्रय एजेंसियों के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, लेकिन अभी भुगतान में समस्या हो रही है. सरकार ने क्रय एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली है. इसलिए भुगतान में विलम्ब हो रहा है.

Intro:स्पेशल

एंकर_किसानों को अन्नदाता कहा जाता है लेकिन इन अन्नदाताओं की मुसीबतें कम नही हो रही हैं ,पहले धान बेचने के लिए पापड़ बेलने पड़े और किसी तरह से धान बिका तो अब भुगतान के लाले पड़ गए हैं ,जिले में धान खरीद कर रही कई एजेंसियां किसानों का तकरीबन 30 करोड़ रुपये दबाये बैठीं हैं ,किसान भुगतान के लिए दर दर भटक रहे हैं और अधिकारी तकनीक का हवाला दे कर अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं ,बताया जा रहा है कि सरकार ने इन एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली और अब किसानों को भुगतान के लिए और इंतजार करना पड़ेगा।


Body:जिले में 1 नवम्बर से धान खरीद शुरू हुई थी लेकिन औपचारिक रूप से यह खरीद 15 नवम्बर के बाद ही शुरू हुई और इसके लिए 6 एजेंसियों के कुल 95 क्रय केंद्र बनाए गए थे ,सरकारी आकड़ो में लम्बी चौड़ी खरीद दिखा दी गयी लेकिन वास्तविक किसान इससे महरूम रह गए ,जो किसान किसी तरह से अपना धान बेच लिए वे अब भुगतान के लिए भटक रहे हैं,इनमे क्रय एजेंसी यूपीएसएस और पीसीएफ व नैकाप बड़े बकायेदारों में शामिल हैं ,किसानों का कहना है कि उन्हें धान बेचे महीने भर का समय हो गया है खरीद का मैसेज भी आ गया है लेकिन पैसा अभी तक नही आया,


Conclusion:बताया जा रहा है कि तकरीबन 3 हजार किसानों का तीस करोड़ रुपये बकाया है और अब इन किसानों को जल्द पैसा मिलने की उम्मीद भी नही है क्योंकि भुगतान के नियमो में बदलाव होने के बाद सरकार ने क्रय एजेंसियों के खाते से पैसा वापस ले लिया है ,
खाद्य विपणन अधिकारी अजित कुमार का कहना है कि कुल 30 करोड़ रुपये बकाया है ,सरकार ने भुगतान के नियमो में कुछ बदलाव किया है जिसके लिए इन क्रय एजेंसियों के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है लेकिन अभी भुगतान में समस्या हो रही है ,सरकार ने क्रय एजेंसियों से धनराशि वापस ले ली है ,इस लिए भुगतान में बिलम्ब हो रहा है ।

बाईट_राजा किसान
_ अजित सिंह , जिला खाद्य विपणन अधिकारी

अनुराग चौधरी
अम्बेडकरनगर
9451734102
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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