अंबेडकरनगर: पशु आश्रय प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जहां पर रखे गए पशुओं की देखभाल करने के लिए मजदूरों की तैनाती की गई है. मजदूर दिन-रात मेहनत कर पशुओं की सेवा तो कर रहे हैं, लेकिन खुद बदहाल हो रहे हैं. 18 महीनों से पशुआश्रय में कार्य कर रहे मजदूरों को मजदूरी के नाम पर एक फूटी कौड़ी भी नही मिली है. मजदूरी न मिलने से इन मजदूरों की माली हालत बदहाल है.
प्रदेश में भाजपा सरकार के गठन के बाद सरकार ने छुट्टा जानवरों के रहने के लिए पशुआश्रय का निर्माण कराया था, जहां पर छुट्टा जानवरों को पकड़ कर रखा जाता है, लेकिन सरकार की इस योजना पर हमेशा सवाल ही उठाये जाते रहे हैं. कभी पशुआश्रय की व्यव्स्था को लेकर तो कभी वहां कार्य कर रहे मजदूरों को लेकर.
ताजा मामला आलापुर तहसील क्षेत्र के चहोड़ा शाहपुर में स्थित पशुआश्रय का है, जिसका निर्माण जनवरी 2019 में किया गया था. यहां पर सैकड़ों पशु रखे गए हैं और इनकी देखभाल करने के लिए 7 मजदूर तैनात किये गए हैं. इन मजदूरों को दो टीमों में बांटा गया है जो 12-12 घंटे पशुओं की देखभाल करते हैं.
18 महीने से नहीं मिली फूटी कौड़ी
बताया जा रहा है कि ये मजदूर ठंडी, गर्मी और बरसात में पशुओं की देखभाल तो कर रहे हैं, लेकिन इन्हें अभी तक मजदूरी नहीं मिली है. कभी बजट तो कभी शासन के नियमों का हवाला दे कर टाला जाता रहा है. 18 महीने से काम कर रहे मजदूरों को अभी तक एक दिन की दिहाड़ी नहीं दी गई है, जिससे अब उनके परिवार की माली हालत खस्ताहाल हो गयी है.
पशुआश्रय में कार्य कर रहे मजदूरों का कहना है कि यहां कार्य करते हुए 18 माह का समय हो गया है, लेकिन एक भी दिन की मजदूरी नहीं मिली, जबकि हमें बताया गया था कि एक दिन का 202 रुपये एक मजदूर को मिलेगा. मजदूरी न मिलने से दशा बहुत खराब हो गयी है. घर से नमक रोटी लाते हैं. वहीं खा कर काम कर रहे हैं.
इस बारे में हमने जब पशुधन प्रसार अधिकारी डॉ. विवेक सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि शासन से गाइडलाइन आ गयी है. बीडीओ के पास है. मजदूरी की व्यवस्था की जा रही है. जल्द ही भुगतान किया जाएगा.