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पंचायत चुनाव: उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होते ही बसपा में विद्रोह

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में इस बार बसपा ने अपने पुराने नेताओं को दरकिनार कर पूंजीपतियों पर दांव लगाया है. अम्बेडकरनगर में बसपा से पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर ने बगावत कर दी है. पूर्व ब्लॉक प्रमुख ने बसपा कोऑर्डिनेटर पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर
पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर
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Published : Apr 6, 2021, 8:25 AM IST

अम्बेडकरनगर: जिला पंचायत सदस्य के टिकटों की घोषणा होते ही बसपा में चल रही गुटबाजी सतह पर आ गई है. इस बार दशकों से पार्टी में रहे सक्रिय निष्ठावान कार्यकर्ताओं और नेताओं को दरकिनार कर पूंजीपतियों को टिकट देने की घोषणा होते ही बसपा के कई नेता बगावत पर उतर आए हैं. पूर्व मंत्री और अकबरपुर विधायक राम अचल राजभर के करीबी पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर बगावत का एलान कर दिया है.

जिला पंचायत सदस्य के टिकटों के बंटवारे को लेकर बसपा में काफी दिनों से खींचातानी चल रही है. पार्टी में चल रही गुटबाजी की वजह से कई निष्ठावान नेताओं और कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया गया है, जिसकी वजह से पार्टी में छिड़ा घमासान अब सतह पर आ गया है. अकबरपुर की पूर्व ब्लॉक प्रमुख ने बगावत कर दिया है.

दरअसल, पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर जिस सीट अकबरपुर तृतीय से चुनाव लड़ना चाहती थी, पार्टी ने उस सीट विकास वर्मा को मैदान में उतार दिया है, जिससे नाराज शारदा राजभर ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. शारदा राजभर का आरोप है कि वह तीन बार ब्लॉक प्रमुख रही हैं. तीस साल से पार्टी में सक्रिय हैं, इसके बावजूद इन कोऑर्डिनेटर को क्या सूझी कि दूसरे विधानसभा के लोगों को लाकर यहां चुनाव लड़ाया जा रहा है.


पूर्व मंत्री राम अचल राजभर की करीबी हैं शारदा
पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर अकबरपुर विधायक राम अचल राजभर की करीबी हैं. राम अचल राजभर बसपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं, बावजूद इसके वे इनका टिकट नहीं बचा सके. पार्टी सूत्रों की माने तो अब तक 41 में से जिन 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा हुई है, उसमें अधिकांश व्यवसायी और करोड़पतियों को टिकट दिया गया है. इसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो कभी पार्टी की किसी बैठक में शामिल भी नहीं हुए. शारदा के बगावत के बाद कई अन्य सीटों पर भी बगावत के आसार बढ़ गए हैं.

पूंजीपतियों को तरजीह
शारदा राजभर का कहना है कि ये सब-कोऑर्डिनेटर की करामात है, जहां निष्ठावान कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर पूंजीपतियों को तरजीह दी जा रही है. टिकट नहीं मिला है, फिर भी मैं चुनाव लडूंगी. श्रीमती राजभर से जब टिकट में पैसा लेने की बात पूछी गयी, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मुझसे अभी न कुछ पूछें. सभी जानते हैं क्या हो रहा है?

अनुशासन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता
वहीं इस बारे में जब बसपा जिलाध्यक्ष अरविंद गौतम से बात हुई, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे अभी कोई जानकारी नहीं है. पार्टी में अनुशासन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है.

अम्बेडकरनगर: जिला पंचायत सदस्य के टिकटों की घोषणा होते ही बसपा में चल रही गुटबाजी सतह पर आ गई है. इस बार दशकों से पार्टी में रहे सक्रिय निष्ठावान कार्यकर्ताओं और नेताओं को दरकिनार कर पूंजीपतियों को टिकट देने की घोषणा होते ही बसपा के कई नेता बगावत पर उतर आए हैं. पूर्व मंत्री और अकबरपुर विधायक राम अचल राजभर के करीबी पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर बगावत का एलान कर दिया है.

जिला पंचायत सदस्य के टिकटों के बंटवारे को लेकर बसपा में काफी दिनों से खींचातानी चल रही है. पार्टी में चल रही गुटबाजी की वजह से कई निष्ठावान नेताओं और कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया गया है, जिसकी वजह से पार्टी में छिड़ा घमासान अब सतह पर आ गया है. अकबरपुर की पूर्व ब्लॉक प्रमुख ने बगावत कर दिया है.

दरअसल, पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर जिस सीट अकबरपुर तृतीय से चुनाव लड़ना चाहती थी, पार्टी ने उस सीट विकास वर्मा को मैदान में उतार दिया है, जिससे नाराज शारदा राजभर ने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. शारदा राजभर का आरोप है कि वह तीन बार ब्लॉक प्रमुख रही हैं. तीस साल से पार्टी में सक्रिय हैं, इसके बावजूद इन कोऑर्डिनेटर को क्या सूझी कि दूसरे विधानसभा के लोगों को लाकर यहां चुनाव लड़ाया जा रहा है.


पूर्व मंत्री राम अचल राजभर की करीबी हैं शारदा
पूर्व ब्लॉक प्रमुख शारदा राजभर अकबरपुर विधायक राम अचल राजभर की करीबी हैं. राम अचल राजभर बसपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं, बावजूद इसके वे इनका टिकट नहीं बचा सके. पार्टी सूत्रों की माने तो अब तक 41 में से जिन 21 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा हुई है, उसमें अधिकांश व्यवसायी और करोड़पतियों को टिकट दिया गया है. इसमें ऐसे लोग भी शामिल हैं, जो कभी पार्टी की किसी बैठक में शामिल भी नहीं हुए. शारदा के बगावत के बाद कई अन्य सीटों पर भी बगावत के आसार बढ़ गए हैं.

पूंजीपतियों को तरजीह
शारदा राजभर का कहना है कि ये सब-कोऑर्डिनेटर की करामात है, जहां निष्ठावान कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर पूंजीपतियों को तरजीह दी जा रही है. टिकट नहीं मिला है, फिर भी मैं चुनाव लडूंगी. श्रीमती राजभर से जब टिकट में पैसा लेने की बात पूछी गयी, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मुझसे अभी न कुछ पूछें. सभी जानते हैं क्या हो रहा है?

अनुशासन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता
वहीं इस बारे में जब बसपा जिलाध्यक्ष अरविंद गौतम से बात हुई, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे अभी कोई जानकारी नहीं है. पार्टी में अनुशासन बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है.

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