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तेरा शहर है बड़ा बेगाना, न मालिकों ने मजदूरी दी और न ही सरकार ने खाना

उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर में जालंधर से प्रवासी मजदूर पहुंचे. मजदूरों ने बताया कि उन्हें न तो कंपनी मालिकों ने मजदूरी दी और न ही मकान मालिकों ने कमरे में रहने दिया.

जालंधर से अंबेडकरनगर पहुंचे मजदूर
जालंधर से अंबेडकरनगर पहुंचे मजदूर
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Published : May 10, 2020, 1:01 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST

अम्बेडकरनगर: गैर प्रदेशों में रह रहे प्रवासी मजदूरों के हितों का ध्यान रखने की सरकारें कितना भी दावा करें, लेकिन जिले में जो प्रवासी मजदूर आए हैं, उनकी दास्तां कुछ और ही हकीकत बयां कर रही है. इन मजदूरों के लिए न तो प्रधानमंत्री की उस अपील का कोई लाभ हुआ, जिसमें पीएम ने कंपनी मालिकों से मजदूरों का मानदेय देने की अपील की थी और न ही सरकार के उस दावे का ही जिसमें मजदूरों को खाने और रहने की व्यवस्था करने का वादा किया गया था. ईटीवी भारत ने इन मजदूरों से बात की तो इनका दर्द छलक उठा.

जालंधर से पहुंचे मजदूरों को नहीं मिला खाना और मजदूरी

बेबसी पर आंसू बहा रहे मजदूर

लॉकडाउन की घोषणा के साथ पीएम ने यह अपील की थी कि कंपनी मालिक पहले से कार्य कर रहे मजदूरों को नौकरी से न निकालें और उनका भुगतान भी दें. पीएम ने प्रदेश सरकारों से यह कहा था कि मजदूरों को खाने और रहने की कोई समस्या न हो. लेकिन शनिवार शाम जब श्रमिक एक्सप्रेस से 1200 मजदूर जिले में आए तो ईटीवी भारत ने कुछ मजदूरों से बात की. जो सच्चाई सामने आई वो हैरान करने वाली है.

मजदूरों का कहना था कि कंपनी के मालिकों और ठेकेदारों ने उनकी मजदूरी नहीं दी, रहने के लिए जो कमरा मिला था उसे खाली करा लिया. बेरोजगार मजदूरों को सरकार भोजन तक नहीं दे सकी. यही नहीं ट्रेन से आने के लिए मजदूरों को टिकट के लिए 500 रुपये मिला था, कुछ मालिकों ने उसे भी मजदूरों से ले लिया.

जालंधर से आए इन प्रवासी मजदूरों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए साफ तौर पर कहा कि उन्हें फैक्ट्रियों से निकाल दिया गया. जो मजदूरी उनको मिलनी थी उसे भी मालिकों ने नहीं दिया. कुछ मजदूरों का यह भी कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से भोजन भी नही मिला. उन्होंने बताया कि केवल आते समय भोजन मिला था और टिकट का 500 मिला था, लेकिन उसे मालिक ने ले लिया.

अम्बेडकरनगर: गैर प्रदेशों में रह रहे प्रवासी मजदूरों के हितों का ध्यान रखने की सरकारें कितना भी दावा करें, लेकिन जिले में जो प्रवासी मजदूर आए हैं, उनकी दास्तां कुछ और ही हकीकत बयां कर रही है. इन मजदूरों के लिए न तो प्रधानमंत्री की उस अपील का कोई लाभ हुआ, जिसमें पीएम ने कंपनी मालिकों से मजदूरों का मानदेय देने की अपील की थी और न ही सरकार के उस दावे का ही जिसमें मजदूरों को खाने और रहने की व्यवस्था करने का वादा किया गया था. ईटीवी भारत ने इन मजदूरों से बात की तो इनका दर्द छलक उठा.

जालंधर से पहुंचे मजदूरों को नहीं मिला खाना और मजदूरी

बेबसी पर आंसू बहा रहे मजदूर

लॉकडाउन की घोषणा के साथ पीएम ने यह अपील की थी कि कंपनी मालिक पहले से कार्य कर रहे मजदूरों को नौकरी से न निकालें और उनका भुगतान भी दें. पीएम ने प्रदेश सरकारों से यह कहा था कि मजदूरों को खाने और रहने की कोई समस्या न हो. लेकिन शनिवार शाम जब श्रमिक एक्सप्रेस से 1200 मजदूर जिले में आए तो ईटीवी भारत ने कुछ मजदूरों से बात की. जो सच्चाई सामने आई वो हैरान करने वाली है.

मजदूरों का कहना था कि कंपनी के मालिकों और ठेकेदारों ने उनकी मजदूरी नहीं दी, रहने के लिए जो कमरा मिला था उसे खाली करा लिया. बेरोजगार मजदूरों को सरकार भोजन तक नहीं दे सकी. यही नहीं ट्रेन से आने के लिए मजदूरों को टिकट के लिए 500 रुपये मिला था, कुछ मालिकों ने उसे भी मजदूरों से ले लिया.

जालंधर से आए इन प्रवासी मजदूरों ने ईटीवी भारत से बात करते हुए साफ तौर पर कहा कि उन्हें फैक्ट्रियों से निकाल दिया गया. जो मजदूरी उनको मिलनी थी उसे भी मालिकों ने नहीं दिया. कुछ मजदूरों का यह भी कहना है कि उन्हें सरकार की तरफ से भोजन भी नही मिला. उन्होंने बताया कि केवल आते समय भोजन मिला था और टिकट का 500 मिला था, लेकिन उसे मालिक ने ले लिया.

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:26 PM IST
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