अम्बेडकरनगर: जिले के टांडा शिक्षा क्षेत्र में अंग्रेजी माध्यम प्राइमरी विद्यालय पूरा बक्स सराय है. जानकारी के मुताबिक तीन साल पहले इस विद्यालय की दशा ऐसी थी कि यहां लोग अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहते थे. यहां बच्चों की संख्या तकरीबन 13 ही रह गयी थी. 3 साल पहले इस विद्यालय की गांव के ग्राम प्रधान ने पूरी तस्वीर बदल दी.
ग्राम प्रधान ने बदली विद्यालय की तस्वीर
चूंकि ग्राम प्रधान राजकुमार भट्ट ने भी अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी विद्यालय में हासिल की थी. खुद के अनुभवों ने राजकुमार को ऐसी सीख दी कि उन्होंने गरीब बच्चों को कान्वेंट स्कूलों जैसी शिक्षा देने की ठान ली और इसी प्रेरणा से उन्होंने गांव के परिषदीय विद्यालय की तस्वीर बदलनी शुरू की. उन्हें सरकार से सहयोग नहीं मिला तो अपने व्यक्तिगत संबंधों का प्रयोग करके कुछ निजी संस्थाओं से स्कूल के लिए बाउंड्री वॉल और शौचालय की व्यवस्था की. उन्होंने एनटीपीसी से सहयोग लेकर स्कूल में सोलर पैनल लगवाया, अपनी जेब से स्कूल के परिसर को सजाया-सवांरा.
हमारे गांव के गरीब बच्चे कान्वेंट स्कूलों पढ़ नहीं सकते इसलिए इस विद्यालय को ही कान्वेंट स्कूल बना डाला और समय निकाल कर स्कूल में बच्चों को पढ़ाता हूं.
- राजकुमार भट्ट, ग्राम प्रधान
ग्राम प्रधान खुद बच्चों को पढ़ाते हैं
आज विद्यालय में सुंदर परिसर के साथ बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर, पीने के पानी की व्यवस्था है. स्कूल में कुल 102 बच्चे नामांकित हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए प्रधानध्यापक के अलावा एक अन्य अध्यापक की नियुक्ति है, जबकि दो शिक्षा मित्र हैं. अध्यापकों की कमी से यहां पढ़ने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसलिए ग्राम प्रधान विद्यालय में आकर खुद बच्चों को पढ़ाते हैं. विद्यालय में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ पर्यावरण प्रदूषण पर भी ध्यान दिया जा रहा है.
स्कूल में 102 बच्चे नामांकित हैं. विद्यालय में हम दो अध्यापक और दो शिक्षा मित्र हैं. हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं. ग्राम प्रधान के सहयोग से आज विद्यालय इस मुकाम पर है.
- वीर बहादुर वर्मा, प्रधानध्यापक