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सरकार टूट रही विधवा की आस, आखिर कब मिलेगा सिर छिपाने के लिए आशियाना

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Published : Jul 28, 2021, 10:11 PM IST

विधवा शांति देवी के बेटे राकेश प्रजापति ने 25 हजार रुपये कर्ज लेकर 'प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना' के लिए नगर पालिका अतरौली में आवेदन किया था. आवेदन किये हुए 4 साल से ज्यादा का समय हो गया है और अभी तक मकान बनाने के लिए धन आवंटित नहीं किया गया है. शांति देवी के बेटे की बीमारी के चलते मौत भी हो गई है. कर्ज का बोझ भी शांति देवी के सिर पर आ गया है.

डिजाइन इमेज.
डिजाइन इमेज.

अलीगढ़: केंद्र की मोदी सरकार ने गरीब परिवारों को लाभांवित करने के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं तो शुरू की हैं, लेकिन जब तक जरूरतमंदों तक इनका लाभ नही पहुंचेगा तब तक इन योजनाओं का कोई फायदा नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा गरीब परिवारों को आवास देने के लिए 'प्रधानमंत्री आवास योजना' शुरू कई गई, लेकिन आज भी कई ऐसे परिवार हैं, जो अभी तक इस योजना का लाभ पाने से वंचित हैं. अन्य गांवों की बात तो छोड़िये, अलीगढ़ जिले में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के गांव मढ़ौली में एक विधवा बुजुर्ग महिला को अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. गर्मी, बारिश और ठंडी तीनों मौसम में पूरा परिवार तिरपाल के नीचे जीवन-यापन करने को मजबूर है, लेकिन इस परिवार की तरफ न तो प्रशासन का ध्यान जा रहा है और न ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि का.

जानकारी देती विधवा बुजुर्ग महिला.

बता दें कि अलीगढ़ जिले का मढ़ौली गांव उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का पैतृक गांव है. कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह एटा से सांसद हैं और उनके नाती संदीप सिंह अतरौली विधानसभा से न सिर्फ विधायक बल्कि राज्यमंत्री भी हैं, लेकिन उन्हीं के गांव मढ़ौली की एक विधवा शांति देवी को अभी तक पक्की छत भी नसीब नहीं हुई है. शांति देवी 50 वर्ग गज जमीन पर तिरपाल डालकर पूरे परिवार के साथ गुजर-बसर कर रही हैं. जिले में जब 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के तहत गरीब परिवारों को छत नसीब हुई तो शांति देवी को भी लगा कि अब उनके सिर भी पक्की छत हो जाएगी, लेकिन अब उनकी उम्मीद टूटती जा रही है. अभी तक शांति देवी को 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के तहत आवास नहीं मिल पाया है.

शांति देवी बताती हैं कि उम्मीद थी कि उनका बेटा नगर पालिका में भाग-दौड़ कर पक्का मकान बनवा लेगा. इसके लिए उनके बेटे ने कोशिश भी की. कर्ज देने वाली एक निजी कंपनी से 25 हजार रुपये का कर्ज लिया और नगर पालिका अतरौली में आवेदन भी किया, लेकिन आवेदन किये हुए 4 साल से ज्यादा का वक्त बीत गया और अभी तक मकान बनाने के लिए धन आवंटित नहीं किया गया है. 'प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना' का लाभ पाने के लिए उनके बेटे ने नगर पालिका अतरौली में खूब चक्कर लगाए. इसी बीच शांति देवी के इकलौते बेटे की बीमारी के चलते मौत हो गई. घर में देखभाल करने वाले इकलौते बेटे के इस दुनिया से चले जाने से शांति देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अब मकान से ज्यादा उन्हें अपने बेटे की विधवा बहु और चार बच्चों के लालन-पालन की चिंता है.

इसे भी पढ़ें:- सुनो सरकार! अब सहा नहीं जा रहा 'कटान' का दर्द, कहीं दे दो सुरक्षित आशियाना

शांति देवी के दो नाती और दो नातिन हैं, जिसमें सबसे बड़ी नातिन 11 साल की हो गई है. इनमें से किसी ने भी अभी तक स्कूल का मुंह नहीं देखा है. शांति देवी रामघाट रोड पर एक खोके में परचून की छोटी सी दुकान चलाकर घर का खर्च चला रही हैं. बहू घर-घर जाकर साफ-सफाई का काम करती है. कुछ दिनों पहले उनके इकलौते बेटे राकेश प्रजापति की बीमारी के चलते मौत हो गई. शांति देवी बताती हैं कि बेटे ने 25 हजार रुपये का कर्ज लिया था, जो चुकता नहीं किया था. सरकारी मकान भी अभी तक नहीं बना है. उनके बेटे ने 'प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना' के जरिये मकान बनवाने के लिए फार्म भी भरा था, लेकिन नगर पालिका व जिला प्रशासन में कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हुई. उनके सिर पर छत कब नसीब होगी ये तो भगवान ही जानें.

अलीगढ़: केंद्र की मोदी सरकार ने गरीब परिवारों को लाभांवित करने के लिए कई जनकल्याणकारी योजनाएं तो शुरू की हैं, लेकिन जब तक जरूरतमंदों तक इनका लाभ नही पहुंचेगा तब तक इन योजनाओं का कोई फायदा नहीं है. केंद्र सरकार द्वारा गरीब परिवारों को आवास देने के लिए 'प्रधानमंत्री आवास योजना' शुरू कई गई, लेकिन आज भी कई ऐसे परिवार हैं, जो अभी तक इस योजना का लाभ पाने से वंचित हैं. अन्य गांवों की बात तो छोड़िये, अलीगढ़ जिले में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के गांव मढ़ौली में एक विधवा बुजुर्ग महिला को अभी तक प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. गर्मी, बारिश और ठंडी तीनों मौसम में पूरा परिवार तिरपाल के नीचे जीवन-यापन करने को मजबूर है, लेकिन इस परिवार की तरफ न तो प्रशासन का ध्यान जा रहा है और न ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधि का.

जानकारी देती विधवा बुजुर्ग महिला.

बता दें कि अलीगढ़ जिले का मढ़ौली गांव उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का पैतृक गांव है. कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह एटा से सांसद हैं और उनके नाती संदीप सिंह अतरौली विधानसभा से न सिर्फ विधायक बल्कि राज्यमंत्री भी हैं, लेकिन उन्हीं के गांव मढ़ौली की एक विधवा शांति देवी को अभी तक पक्की छत भी नसीब नहीं हुई है. शांति देवी 50 वर्ग गज जमीन पर तिरपाल डालकर पूरे परिवार के साथ गुजर-बसर कर रही हैं. जिले में जब 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के तहत गरीब परिवारों को छत नसीब हुई तो शांति देवी को भी लगा कि अब उनके सिर भी पक्की छत हो जाएगी, लेकिन अब उनकी उम्मीद टूटती जा रही है. अभी तक शांति देवी को 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के तहत आवास नहीं मिल पाया है.

शांति देवी बताती हैं कि उम्मीद थी कि उनका बेटा नगर पालिका में भाग-दौड़ कर पक्का मकान बनवा लेगा. इसके लिए उनके बेटे ने कोशिश भी की. कर्ज देने वाली एक निजी कंपनी से 25 हजार रुपये का कर्ज लिया और नगर पालिका अतरौली में आवेदन भी किया, लेकिन आवेदन किये हुए 4 साल से ज्यादा का वक्त बीत गया और अभी तक मकान बनाने के लिए धन आवंटित नहीं किया गया है. 'प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना' का लाभ पाने के लिए उनके बेटे ने नगर पालिका अतरौली में खूब चक्कर लगाए. इसी बीच शांति देवी के इकलौते बेटे की बीमारी के चलते मौत हो गई. घर में देखभाल करने वाले इकलौते बेटे के इस दुनिया से चले जाने से शांति देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अब मकान से ज्यादा उन्हें अपने बेटे की विधवा बहु और चार बच्चों के लालन-पालन की चिंता है.

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शांति देवी के दो नाती और दो नातिन हैं, जिसमें सबसे बड़ी नातिन 11 साल की हो गई है. इनमें से किसी ने भी अभी तक स्कूल का मुंह नहीं देखा है. शांति देवी रामघाट रोड पर एक खोके में परचून की छोटी सी दुकान चलाकर घर का खर्च चला रही हैं. बहू घर-घर जाकर साफ-सफाई का काम करती है. कुछ दिनों पहले उनके इकलौते बेटे राकेश प्रजापति की बीमारी के चलते मौत हो गई. शांति देवी बताती हैं कि बेटे ने 25 हजार रुपये का कर्ज लिया था, जो चुकता नहीं किया था. सरकारी मकान भी अभी तक नहीं बना है. उनके बेटे ने 'प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना' के जरिये मकान बनवाने के लिए फार्म भी भरा था, लेकिन नगर पालिका व जिला प्रशासन में कहीं पर कोई सुनवाई नहीं हुई. उनके सिर पर छत कब नसीब होगी ये तो भगवान ही जानें.

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