अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 15 दिसम्बर को हुए बवाल के एक महीने के बाद बाबे सैय्यद गेट पर धरना दे रहे छात्रों से कुलपति तारिक मंसूर मिलने पहुंचे. यहां उन्होंने छात्रों से बात करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में जो हुआ उसका उन्हें बहुत अफसोस है. उन्होंने छात्रों से कहा कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा होगा. मैं मगरमच्छ के आंसू नहीं रो रहा हूं. मेरी फैमिली को भी अफसोस है. कुलपति तारिक मंसूर ने बताया कि मुझे पता ही नहीं चला कि मारीशन कोर्ट हॉस्टल और गेस्ट हाउस में क्या हुआ था. कुलपति ने बताया कि मैंने सर गंगाराम के डायरेक्टर से सीधे बात कर छात्र के इलाज के लिए मदद की थी.
'एएमयू में जो हुआ, उसका बहुत अफसोस है'
सोशल मीडिया पर कुलपति के खिलाफ चल रहे अभियान पर उन्होंने आपत्ति जताई. उन्होंने बताया कि एएमयू सरकारी संस्थान है, जिसको 1100 करोड़ रुपये हर साल सरकार देती है. अगर कोई हादसा एएमयू में होता है तो सरकार मुझसे पूछती है. उन्होंने छात्रों से कहा कि लेटर लिखकर हमने बॉल उनकी कोर्ट में डाली, ताकि उनकी जिम्मेदारी हो. कुलपति ने कहा कि एसएसपी ने कुलपति आवास और कार्यालय पर पुलिस फोर्स तैनात करने के लिये कहा था, लेकिन कहीं कोई फोर्स नहीं है. कुलपति तारिक मंसूर ने कहा कि एएमयू में जो हुआ उसका मुझे बहुत अफसोस है.
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'पिटाई के बाद छात्र पढ़ना बंद कर देंगे?'
कुलपति तारिक मंसूर ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को केवल स्थिति को सामान्य बनाने की अनुमति दी थी. पुलिस को किसी हॉस्टल में प्रवेश नहीं करना चाहिए था. कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के कामकाज में पुलिस की कोई भूमिका नहीं है. उन्होंने कहा कि जेएनयू में भी वाकया हुआ है. लेकिन क्या पिटाई के बाद छात्र पढ़ना बंद कर देंगे. उन्होंने कहा कि जब हम स्टूडेंट थे, तब हमारी भी पिटाई हुई थी.