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AMU का विवादों से रहा है पुराना नाता, पहले भी सामने आए आतंकी कनेक्शन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय पर अक्सर देश विरोधी गतिविधियों को लेकर नाम सामने आता रहा है. पहले भी कई मामलों में इस विश्वविद्यालय पर सवाल उठे हैं. चलिए जानते हैं इस बारे में.

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Published : Jul 21, 2023, 4:43 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अक्सर देश विरोधी गतिविधियों को लेकर नाम उछलता रहा है. पिछले पांच सालों में यह दूसरा प्रकरण है जब किसी छात्र का नाम आतंकी संगठन के साथ जोड़ा जा रहा है. इससे पहले कश्मीरी शोध छात्र मन्नान वानी ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद उसका स्थान लिया था. हालांकि 10 महीने के बाद ही कश्मीर में सेना के साथ मुठभेड़ में मारा गया. अब एएमयू के एक और छात्र फैजान अंसारी का नाम सामने आया है. पिछले कई दिनों से वह खुफिया एजेंसियों के निशाने पर था. एनआईए फैजान के ठिकानों और उसके करीबियों और उसकी गतिविधियों की पड़ताल कर रहा है.


हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बना था एएमयू छात्र
सन 2018 में कुपवाड़ा जिले का रहने वाला मन्नान बशीर वानी एएमयू से गायब हुआ था. उसके आतंकी संगठन में शामिल होने की खबरें आई थी. इसके बाद एएमयू को लेकर पूरे देश में खलबली मच गई. उस समय एएमयू के हॉस्टल में छापा मारकर मन्नान वानी का कमरा सील किया गया था. वहीं, एएमयू प्रशासन ने मन्नान वानी को निष्कासित कर दिया था. मन्नान वानी ने 2013 में एमएससी भूगर्भ विज्ञान विभाग में दाखिला लिया था. यहीं से उसने 2014-15 में एमफिल किया. उसके बाद प्रोफेसर सैयद अली अहमद के देखरेख में पीएचडी कर रहा था. इस दौरान वह हबीब हॉल के कमरा नंबर 41 और 72 में रहा. 2016 में पीएचडी में प्रवेश लिया. इसी दौरान एएमयू से भागने के बाद अक्टूबर 2018 में उसने हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर के रूप में मुठभेड़ में मारे जाने की पुष्टि सेना ने की थी.

ये भी पढ़ेंः ISIS से संपर्क रखने वाला फैजान AMU में BA इकोनॉमिक्स प्रथम वर्ष का छात्र, प्रॉक्टर ने की पुष्टि

सिमी की स्थापना अलीगढ़ में हुई थी
अलीगढ़ में ही स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी कि सिमी की स्थापना अप्रैल 1977 में हुई थी. इसकी स्थापना यहां शिक्षक और छात्रों द्वारा की गई थी. उस समय इसका कार्यालय शमशाद मार्केट पर बनाया गया था. प्रोफेसर मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दिकी ने इसे खड़ा किया था. 1984 के बाद से सिमी कार्यकर्ताओं का नाम सामने आने लगा, हालांकि 2001 में सिमी पर प्रतिबंध के बाद यहां के कार्यालय में ताला लग गया. 2008 में कुछ समय के लिए सिमी से प्रतिबंध हटा लेकिन फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बाद इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष शाहिद बद्र फलाही को प्रतिबंध के बाद जेल भेजा गया. वही, रिहा होने के बाद अब आजमगढ़ में अपना क्लीनिक चला रहे हैं.

मुबीन की गिरफ्तारी भी हुई थी
2001 - 2002 में हबीब हॉल में मुबीन नाम के छात्र को आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के शक में पुलिस ने उठाया था. इसे लेकर काफी विरोध हुआ. छात्रों ने कई दिन तक प्रोटेस्ट किया. बाद में सबूतों के अभाव में मुबीन को बरी कर दिया गया.

अफजल गुरु को शहीद का दर्जा दिया था
2016 में जम्मू कश्मीर के उरी में सेना की छावनी पर आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों पर एएमयू छात्र मुदसिर युसूफ लोन ने अभद्र टिप्पणी की थी. जिस से इंतजामियां ने छात्र को निष्कासित कर दिया था. वहीं फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया था. अफजल की फांसी के बाद छात्रों ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी के पास नमाजे जनाजा पढ़ा था. वही फांसी दिए जाने के विरोध में एएमयू छात्रों ने प्रोटेस्ट भी निकाला था.

आईबी इंस्पेक्टर को दी गईं थीं यातनाएं
1998 में कश्मीरी आतंकी एएमयू में छिपे होने की जानकारी पर आईबी इंस्पेक्टर राजन शर्मा हबीब हॉल के पास गए थे. आरोप है कि कुछ लोग उन्हें हॉस्टल के अंदर खींच ले गये. विरोध करने पर राजन शर्मा को यातनाएं दी गई. उनकी पीठ पर अल्लाह लिख दिया गया. पुलिस ने राजन शर्मा को मुक्त तो करा लिया लेकिन बाद में उनकी मौत हो गई.

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अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अक्सर देश विरोधी गतिविधियों को लेकर नाम उछलता रहा है. पिछले पांच सालों में यह दूसरा प्रकरण है जब किसी छात्र का नाम आतंकी संगठन के साथ जोड़ा जा रहा है. इससे पहले कश्मीरी शोध छात्र मन्नान वानी ने हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद उसका स्थान लिया था. हालांकि 10 महीने के बाद ही कश्मीर में सेना के साथ मुठभेड़ में मारा गया. अब एएमयू के एक और छात्र फैजान अंसारी का नाम सामने आया है. पिछले कई दिनों से वह खुफिया एजेंसियों के निशाने पर था. एनआईए फैजान के ठिकानों और उसके करीबियों और उसकी गतिविधियों की पड़ताल कर रहा है.


हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बना था एएमयू छात्र
सन 2018 में कुपवाड़ा जिले का रहने वाला मन्नान बशीर वानी एएमयू से गायब हुआ था. उसके आतंकी संगठन में शामिल होने की खबरें आई थी. इसके बाद एएमयू को लेकर पूरे देश में खलबली मच गई. उस समय एएमयू के हॉस्टल में छापा मारकर मन्नान वानी का कमरा सील किया गया था. वहीं, एएमयू प्रशासन ने मन्नान वानी को निष्कासित कर दिया था. मन्नान वानी ने 2013 में एमएससी भूगर्भ विज्ञान विभाग में दाखिला लिया था. यहीं से उसने 2014-15 में एमफिल किया. उसके बाद प्रोफेसर सैयद अली अहमद के देखरेख में पीएचडी कर रहा था. इस दौरान वह हबीब हॉल के कमरा नंबर 41 और 72 में रहा. 2016 में पीएचडी में प्रवेश लिया. इसी दौरान एएमयू से भागने के बाद अक्टूबर 2018 में उसने हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर के रूप में मुठभेड़ में मारे जाने की पुष्टि सेना ने की थी.

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सिमी की स्थापना अलीगढ़ में हुई थी
अलीगढ़ में ही स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी कि सिमी की स्थापना अप्रैल 1977 में हुई थी. इसकी स्थापना यहां शिक्षक और छात्रों द्वारा की गई थी. उस समय इसका कार्यालय शमशाद मार्केट पर बनाया गया था. प्रोफेसर मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दिकी ने इसे खड़ा किया था. 1984 के बाद से सिमी कार्यकर्ताओं का नाम सामने आने लगा, हालांकि 2001 में सिमी पर प्रतिबंध के बाद यहां के कार्यालय में ताला लग गया. 2008 में कुछ समय के लिए सिमी से प्रतिबंध हटा लेकिन फिर से प्रतिबंध लगा दिया गया. इसके बाद इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष शाहिद बद्र फलाही को प्रतिबंध के बाद जेल भेजा गया. वही, रिहा होने के बाद अब आजमगढ़ में अपना क्लीनिक चला रहे हैं.

मुबीन की गिरफ्तारी भी हुई थी
2001 - 2002 में हबीब हॉल में मुबीन नाम के छात्र को आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के शक में पुलिस ने उठाया था. इसे लेकर काफी विरोध हुआ. छात्रों ने कई दिन तक प्रोटेस्ट किया. बाद में सबूतों के अभाव में मुबीन को बरी कर दिया गया.

अफजल गुरु को शहीद का दर्जा दिया था
2016 में जम्मू कश्मीर के उरी में सेना की छावनी पर आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों पर एएमयू छात्र मुदसिर युसूफ लोन ने अभद्र टिप्पणी की थी. जिस से इंतजामियां ने छात्र को निष्कासित कर दिया था. वहीं फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया था. अफजल की फांसी के बाद छात्रों ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी के पास नमाजे जनाजा पढ़ा था. वही फांसी दिए जाने के विरोध में एएमयू छात्रों ने प्रोटेस्ट भी निकाला था.

आईबी इंस्पेक्टर को दी गईं थीं यातनाएं
1998 में कश्मीरी आतंकी एएमयू में छिपे होने की जानकारी पर आईबी इंस्पेक्टर राजन शर्मा हबीब हॉल के पास गए थे. आरोप है कि कुछ लोग उन्हें हॉस्टल के अंदर खींच ले गये. विरोध करने पर राजन शर्मा को यातनाएं दी गई. उनकी पीठ पर अल्लाह लिख दिया गया. पुलिस ने राजन शर्मा को मुक्त तो करा लिया लेकिन बाद में उनकी मौत हो गई.

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