अलीगढ़: पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्ला खान (Former MLA Haji Jamir Ulla Khan) हाथी डूबा स्थित अपने आवास पर व्यापारियों की समस्याओं को लेकर मीडिया को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान योगी सरकार द्वारा मदरसों की जांच (examination of madrasas) के आदेश दिए जाने के मामले में कहा कि मदरसे ईद पर कटने वाले बकरों की खाल और ढाई परसेंट जकात से चल रहे हैं. उन्होंने कहा की हम इनकम टैक्स, सेल्स टैक्स, जीएसटी न दें. इन सब की चोरी कर लें लेकिन जकात की चोरी नहीं कर सकते. जकात के पैसे से ही मदरसे चल रहे हैं. हालांकि जकात के बारे में सरकार को भी नहीं मालूम है. यह सिर्फ अल्लाह को और जकात देने वालों को ही मालूम है.
पूर्व विधायक हाजी जमीर उल्ला खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी मदरसों की जांच करा रहे हैं. वह न जाने क्या करेंगे. मदरसों को मान्यता नहीं मिलने के सवाल पर कहा कि गली-गली में मदरसे खुले हैं. मदरसे में पहले बूढ़े - बुजुर्ग कुरान पढ़ाया करते थे. कुरान पढ़ाने के लिए डिग्री की जरूरत नहीं है. दीनी तालीम को हासिल करना चाहिए. दीनी तालीम से इंसान, इंसान बनता है. उसमें खुदा का खौफ पैदा किया जाता है कि चोरी और बदमाशी करने पर ऊपरवाला सजा देगा.
उन्होंने कहा कि मदरसों में क्या कमी है, जो सरकार इसकी जांच करा रही है और सरकार उन कमियों की पूर्ति करेगी. हाजी जमीर उल्ला खान ने कहा कि अगर सरकार मदरसों की कमियों की पूर्ति करती है, तो यह अच्छी बात है. अब तक किसी सरकार में ऐसा काम नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि जांच के बाद बुलडोजर चलता है तो सच्चाई सामने आ जाएगी.
यह भी पढ़ें- लखनऊ के लिए 7 नए मेट्रो रूट प्रस्तावित
मदरसों को फंडिंग का लेखा - जोखा नहीं होने के सवाल पर हाजी जमीर उल्ला खान ने कहा कि बकरीद में जो कुर्बानी होती है. उसकी खालों का पैसा मदरसे को जाता है. मुसलमानों में अपनी दौलत का ढाई परसेंट जकात निकलता है. यह सरकार को नहीं मालूम. लेकिन ऊपर वाले के खौफ से मदरसे को मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि हम इनकम टैक्स, सेल टैक्स, जीएसटी न दें. उसकी चोरी कर लें लेकिन हम जकात की चोरी नहीं कर सकते और यह मदरसे जकात के पैसे से चल रहे हैं. यह सरकार को भी नहीं मालूम है, हालांकि जकात के पैसे का कोई रिकॉर्ड नहीं होता है. उन्होंने कहा कि जिसके पास जकात का पैसा जा रहा है. उसे ईमानदारी साबित करने के लिए हिसाब रखना चाहिए.