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अलीगढ़: एएमयू छात्रसंघ के पहले सदस्य थे महात्मा गांधी, कई बार आना हुआ अलीगढ़

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में महात्मा गांधी का कई बार आना हुआ. महात्मा गांधी 1920 में अलीगढ़ आए और इस दौरान यहां पर उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी. महात्मा गांधी जब अलीगढ़ आए तो अब्दुल मजीद ख्वाजा के यहां कोठी में रुकते थे.

एएमयू छात्रसंघ के पहले सदस्य थे महात्मा गांधी.
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Published : Oct 1, 2019, 11:20 PM IST

अलीगढ़: आजादी की लौ जलाने वाले महात्मा गांधी का अलीगढ़ से गहरा जुड़ाव था. अलीगढ़ प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन को धार देने का काम किया था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में वह 1920 में आए थे. इस दौरान दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की नींव भी यही पड़ी. आखिरी बार गांधीजी भारत छोड़ो आंदोलन से पहले अलीगढ़ आए थे. अलीगढ़ में अब्दुल मजीद ख्वाजा के साथ बापू के गहरे संबंध थे. अब्दुल मजीद ख्वाजा नेहरू जी के भी करीबी रहे. नेहरू जी की किताब 'माई आटोबायग्राफी' में अब्दुल मजीद ख्वाजा का जिक्र मिलता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

1920 में एएमयू आए थे महात्मा गांधी
महात्मा गांधी 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आए, तो यहां पर उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी और यह सदस्यता पाने वाले गांधी जी पहले व्यक्ति थे. गांधी जी ने यहां आकर कहा था कि विश्वविद्यालय के छात्र मेरे साथ आ जाएं तो आजादी का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होगा. इसके बाद महात्मा गांधी के राष्ट्रीय आंदोलन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कई छात्र आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे.

ये भी पढ़ें- 'गांधी के आदर्शों को अपनाने से खत्म होगी हिंसा' : स्कूली छात्रों से शिक्षा मंत्री निशंक

अब्दुल मजीद ख्वाजा के यहां रूके
महात्मा गांधी जब अलीगढ़ आए तो अब्दुल मजीद ख्वाजा के यहां कोठी में रुकते थे और यह कोठी आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूजीसी एकेडमिक स्टाफ क्लब के नाम से जानी जाती है. अब्दुल मजीद ख्वाजा ने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में पढ़ाई की थी. 1920 में एमएओ कॉलेज को एएमयू का दर्जा मिलने पर लॉ डिपार्टमेंट में मजीद ख्वाजा ने पढ़ाया भी था. अहिंसा नीति से प्रभावित होकर वे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में गांधी जी के साथ रहे.

महात्मा गांधी की अगुवाई में जामिया मिलिया की पड़ी नींव
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि महात्मा गांधी की अगुवाई में जामिया मिलिया की अलीगढ़ में नींव रखी गई और इसके संस्थापक सदस्यों में अब्दुल मजीद ख्वाजा भी शामिल है. बाद में इसकी स्थापना दिल्ली में हुई.

ये भी पढ़ें- गांधी @ 150 : रामोजी ग्रुप के चेयरमैन रामोजी राव ने लॉन्च किया बापू का प्रिय भजन

12 अक्टूबर 1920 में दूसरी बार आए अलीगढ़
राहत अबरार के अनुसार गांधीजी पहली बार 1916 में एमएओ कॉलेज आए थे. वे निशात कोठी में रुके, जहां आज अलीगढ़ पब्लिक स्कूल है. यहां आमिर मुस्तफा शेरवानी के घर रुके थे. 12 अक्टूबर 1920 में दूसरी बार अलीगढ़ आए, तो एएमयू भी गए. छात्रों ने तब उन्हें सिंडन क्लब के हॉल में छात्रसंघ की पहली आजीवन सदस्यता दी थी. तब गांधी जी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज में ठहरे थे. तब यह मकान अब्दुल मजीद ख्वाजा का था. वहीं तीसरी बार 5 नवंबर 1929 को पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ अलीगढ़ आये.

स्वदेशी आंदोलन को मिला बढ़ावा
छात्रों से बापू ने खादी के इस्तेमाल की बात कही. गांधी जी की अपील से खुश होकर छात्रों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई. एएमयू के पूर्व छात्र हसरत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया था. वहीं महात्मा गांधी ने अलीगढ़ के अब्दुल मजीद ख्वाजा और अब्दुल बारी को कई पत्र भी लिखे, जो कि आज मौलाना आजाद लाइब्रेरी में सुरक्षित है.

अलीगढ़: आजादी की लौ जलाने वाले महात्मा गांधी का अलीगढ़ से गहरा जुड़ाव था. अलीगढ़ प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन को धार देने का काम किया था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में वह 1920 में आए थे. इस दौरान दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की नींव भी यही पड़ी. आखिरी बार गांधीजी भारत छोड़ो आंदोलन से पहले अलीगढ़ आए थे. अलीगढ़ में अब्दुल मजीद ख्वाजा के साथ बापू के गहरे संबंध थे. अब्दुल मजीद ख्वाजा नेहरू जी के भी करीबी रहे. नेहरू जी की किताब 'माई आटोबायग्राफी' में अब्दुल मजीद ख्वाजा का जिक्र मिलता है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.

1920 में एएमयू आए थे महात्मा गांधी
महात्मा गांधी 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आए, तो यहां पर उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी और यह सदस्यता पाने वाले गांधी जी पहले व्यक्ति थे. गांधी जी ने यहां आकर कहा था कि विश्वविद्यालय के छात्र मेरे साथ आ जाएं तो आजादी का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होगा. इसके बाद महात्मा गांधी के राष्ट्रीय आंदोलन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कई छात्र आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे.

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अब्दुल मजीद ख्वाजा के यहां रूके
महात्मा गांधी जब अलीगढ़ आए तो अब्दुल मजीद ख्वाजा के यहां कोठी में रुकते थे और यह कोठी आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूजीसी एकेडमिक स्टाफ क्लब के नाम से जानी जाती है. अब्दुल मजीद ख्वाजा ने मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में पढ़ाई की थी. 1920 में एमएओ कॉलेज को एएमयू का दर्जा मिलने पर लॉ डिपार्टमेंट में मजीद ख्वाजा ने पढ़ाया भी था. अहिंसा नीति से प्रभावित होकर वे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में गांधी जी के साथ रहे.

महात्मा गांधी की अगुवाई में जामिया मिलिया की पड़ी नींव
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि महात्मा गांधी की अगुवाई में जामिया मिलिया की अलीगढ़ में नींव रखी गई और इसके संस्थापक सदस्यों में अब्दुल मजीद ख्वाजा भी शामिल है. बाद में इसकी स्थापना दिल्ली में हुई.

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12 अक्टूबर 1920 में दूसरी बार आए अलीगढ़
राहत अबरार के अनुसार गांधीजी पहली बार 1916 में एमएओ कॉलेज आए थे. वे निशात कोठी में रुके, जहां आज अलीगढ़ पब्लिक स्कूल है. यहां आमिर मुस्तफा शेरवानी के घर रुके थे. 12 अक्टूबर 1920 में दूसरी बार अलीगढ़ आए, तो एएमयू भी गए. छात्रों ने तब उन्हें सिंडन क्लब के हॉल में छात्रसंघ की पहली आजीवन सदस्यता दी थी. तब गांधी जी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज में ठहरे थे. तब यह मकान अब्दुल मजीद ख्वाजा का था. वहीं तीसरी बार 5 नवंबर 1929 को पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ अलीगढ़ आये.

स्वदेशी आंदोलन को मिला बढ़ावा
छात्रों से बापू ने खादी के इस्तेमाल की बात कही. गांधी जी की अपील से खुश होकर छात्रों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई. एएमयू के पूर्व छात्र हसरत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया था. वहीं महात्मा गांधी ने अलीगढ़ के अब्दुल मजीद ख्वाजा और अब्दुल बारी को कई पत्र भी लिखे, जो कि आज मौलाना आजाद लाइब्रेरी में सुरक्षित है.

Intro:
अलीगढ़  : आजादी की लौ जलाने वाले महात्मा गांधी का अलीगढ़ से गहरा जुड़ाव था. अलीगढ़ प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन को धार देने का काम किया था. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में वह 1920 में आए थे. इसके साथ ही वे कई बार अलीगढ़ आए. इस दौरान दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की नींव भी यही पड़ी. आखिरी बार गांधीजी भारत छोड़ो आंदोलन से पहले अलीगढ़ आए थे. अलीगढ़ में अब्दुल मजीद ख्वाजा के साथ बापू के गहरे संबंध थे. अब्दुल मजीद ख्वाजा नेहरू जी के भी करीबी रहे. नेहरू जी किताब 'माई आटोबायग्राफी' में अब्दुल मजीद ख्वाजा का जिक्र मिलता है. महात्मा गांधी 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आये , तो यहां पर उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी और यह सदस्यता पाने वाले गांधी जी पहले व्यक्ति थे. गांधी जी ने यहां आकर कहा था कि विश्वविद्यालय के छात्र मेरे साथ आ जाएं तो आजादी का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं होगा. इसके बाद महात्मा गांधी के राष्ट्रीय आंदोलन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कई छात्र आजादी के आंदोलन में कूद पड़े थे. 





Body: महात्मा गांधी जब अलीगढ़ आए तो अब्दुल मजीद ख्वाजा के यहां कोठी में रुकते थे और यह कोठी आज अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के यूजीसी एकेडमिक स्टाफ क्लब के नाम से जानी जाती है.  अब्दुल मजीद ख्वाजा मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज में पढ़ाई की थी. 1920 में एमएओ कॉलेज को एएमयू का दर्जा मिलने पर लॉ डिपार्टमेंट में मजीद ख्वाजा ने पढ़ाया भी था. अहिंसा नीति से प्रभावित होकर वे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में गांधी जी के साथ रहे. 


Conclusion:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि महात्मा गांधी की अगुवाई में जामिया मिलिया की अलीगढ़ में नींव रखी गई और इसके संस्थापक सदस्यों में अब्दुल मजीद ख्वाजा भी शामिल है. बाद में इसकी स्थापना दिल्ली में हुई. राहत अबरार के अनुसार गांधीजी पहली बार 1916 में एमएओ कॉलेज आए थे. वे निशात कोठी में रुके. जहां आज अलीगढ़ पब्लिक स्कूल है. यहां आमिर मुस्तफा शेरवानी के घर रुके थे.  12 अक्टूबर 1920 में दूसरी बार अलीगढ़ आए. तो एएमयू भी गए. छात्रों ने तब उन्हें  सिंडन क्लब के हॉल में छात्रसंघ की पहली आजीवन सदस्यता दी थी. तब गांधी जी  एकेडमिक स्टाफ कॉलेज में ठहरे थे. तब यह मकान अब्दुल मजीद ख्वाजा का था. वही तीसरी बार 5 नवंबर 1929 को पत्नी कस्तूरबा गांधी के साथ अलीगढ़ आये. छात्रों से बापू ने खादी के इस्तेमाल की बात कही. गांधी जी की अपील से खुश होकर छात्रों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई. एएमयू के पूर्व छात्र हसरत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया था. वही महात्मा गांधी ने अलीगढ़ के अब्दुल मजीद ख्वाजा व अब्दुल बारी को कई पत्र भी लिखे. जो कि आज मौलाना आजाद लाइब्रेरी में सुरक्षित है. 

बाइट -  राबत अबरार, सहायत मेंबर इंचार्ज ,जनसंपर्क विभाग, एएमयू

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535 


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