अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक और आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक सर सैयद अहमद खान की 123वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. सुबह फज्र की नमाज के बाद यूनिवर्सिटी की जामा मस्जिद में कुरान का पाठ किया गया. इसके बाद एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर, रजिट्रार अब्दुल हमीद और अन्य शिक्षकों ने सर सैय्यद अहमद खान की मजार पर चादरपोशी कर श्रद्धासुमन अर्पित किए.
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एएमयू की रखी नींव
सर सैयद अहमद खान का जन्म 17 अक्टूबर 1817 को दिल्ली में हुआ था. उन्होंने अलीगढ़ को अपना कर्मक्षेत्र बनाया. यहीं रहकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की नींव रखी जो आज विश्व प्रसिद्ध शैक्षिक संस्थान है. शिक्षा के माध्यम से समाज को गति और दिशा देने का काम किया. सर सैयद अहमद खान ने मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की थी.
इसके साथ ही सर सैयद अहमद खान ने अपनी लिखी किताब 'असबाब ए बगावत ए हिंद' में ब्रिटिश सरकार की नीतियों की आलोचना की थी. वह अपने समय के प्रभावशाली मुस्लिम नेता थे. उन्होंने मदरसे से एक कॉलेज की स्थापना की. साइंटिफिक सोसायटी की नींव रखी थी. अलीगढ़ में ही 27 मार्च 1898 को 81 साल की उम्र में उनका देहांत हुआ. सर सैयय्द अहमद खान की मजार जामा मस्जिद में बनी है, जहां आज उनकी मजार पर चादरपोशी कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई.
सर सैय्यद के मिशन को आगे बढ़ाना है
इस मौके पर एएमयू कुलपति डॉ. तारिक मंसूर ने कहा कि उनकी पर्सनाल्टी, उनके काम और मिशन, मैसेज को याद किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सर सैय्यद अहमद खान का एक मिशन था. आज सबसे पहले कोविड 19 को हराया जाए. सर सैय्यद के माडर्न साइंटिफिक एजुकेशन को लेकर आगे बढ़ाना है.