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रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने जयंत चौधरी को बताया बड़ा अर्थशास्त्री, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और सुब्रमण्यम स्वामी से की तुलना

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Published : Dec 22, 2021, 9:18 AM IST

अलीगढ़ में राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री मसूद अहमद ने अपने मुखिया जयंत चौधरी की तुलना मनमोहन सिंह और सुब्रमण्यम स्वामी से कर दी. मंगलवार को वरुणालय गेस्ट हाउस में पार्टी के संकल्प पत्र की घोषणा करने के दौरान उन्होंने अपने मुखिया जयंत चौधरी को देश के बड़े अर्थशास्त्रियों में शुमार किया.

रालोद प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद अहमद
रालोद प्रदेश अध्यक्ष डा. मसूद अहमद

अलीगढ़: अलीगढ़ में राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री मसूद अहमद ने अपने मुखिया जयंत चौधरी की तुलना मनमोहन सिंह और सुब्रमण्यम स्वामी से कर दी. मंगलवार को वरुणालय गेस्ट हाउस में पार्टी के संकल्प पत्र की घोषणा करने के दौरान उन्होंने अपने मुखिया जयंत चौधरी को देश के बड़े अर्थशास्त्रियों में शुमार किया. उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी विदेश से इकोनॉमिक्स पढ़ के आए हैं और देश के बड़े अर्थशास्त्रियों में से एक हैं.



पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह और सुब्रमण्यम स्वामी से तुलना करने के सवाल पर मसूद अहमद ने कहा कि अगर मैं पीएचडी हूं और किताब नहीं लिखी है तो क्या मैं विद्वान नहीं हूं. उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि जयंत चौधरी ने लंदन के यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की है. उन्होंने आगे कहा कि जयंत चौधरी में निखार आ रहा है. उन्होंने कहा कि यह मेरी राय है कि जयंत चौधरी के आचार, विचार, व्यवहार, मूल्य देखने के बाद कह रहा हूं कि जिस तरीके से लोक संकल्प पत्र तैयार किया गया है और जनता की समस्याओं को करीब से देखा है.

वहीं भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत को राष्ट्रीय लोक दल से जुड़ने के सवाल पर कहा कि टिकैत के परिवार से पुराना संबंध है. किसान आंदोलन एक समस्या को लेकर हुआ था. राकेश टिकैत पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं और अगर वह राष्ट्रीय लोक दल से लड़ना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. रालोद प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने कहा कि किसान आंदोलन में राष्ट्रीय लोक दल ने बहुत बड़ी कुर्बानी दी है. हमने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह को किसान आंदोलन की वजह से खोया है. इस आंदोलन को सजाने, संवारने में हमारे नेता अजित सिंह का बहुत बड़ा रोल था, उन्होंने कहा कि 82 साल की अवस्था में वह लोगों के बीच में संघर्ष करने के लिए निकले थे. कोरोना से ग्रस्त हो गये और बेचारे दुनिया से चले गये. उन्होंने कहा कि इस किसान आंदोलन में हमने अपना नेता खोया है.


वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी होने के सवाल पर कहा कि मैं जिन्ना का आलोचक हूं. जिन्ना हमारे आइकन नहीं है. हमारे आइकन गांधी, सरदार पटेल, डॉक्टर अंबेडकर, चौधरी चरण सिंह हैं. उन्होंने कहा कि जिन्ना भारतीय जनता पार्टी के दोस्त हैं. इसलिए भारतीय जनता पार्टी के लोग अपनी जेबों में जिन्ना को संभाल कर चलते हैं.

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग जिन्ना से मिलकर सरकार बना चुके हैं और मैं समझता हूं कि जिन्ना आरएसएस की कठपुतली थे. आरएसएस के इशारे पर देश को तोड़ने का काम किया. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि देश टूटना नहीं चाहिए था. अगर जिन्ना ने बंटवारा नहीं मांगा होता तो यह देश एक होता. अगर देश एक होता तो हम सब स्वस्थ रहते.

यह भी पढ़ें- जालौन: गोदाम में आग लगने से दो लोगों की मौत, कड़ी मशक्कत के बाद पाया आग पर काबू

वहीं अखिलेश यादव द्वारा जिन्ना को सरदार पटेल के समान देशभक्त बताए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह इतिहास है. उन्होंने कहा कि इतिहास में कांग्रेस की हिस्ट्री देखेंगे. तो जिन्ना का नाम कई जगह आया है. उन्होंने कहा कि या तो उस किताब को जला दिया जाए या उस किताब से नाम हटा दिया जाएं. अखिलेश यादव ने उसी का जिक्र किया है जो कि इतिहास की किताबों में लिखा हुआ है. उन्होंने कहा कि इतिहास को नकारा नहीं जा सकता है और न मिटाया जा सकता है. अखिलेश यादव ने कहीं भी जिन्ना की तारीफ नहीं की है.


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अलीगढ़: अलीगढ़ में राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री मसूद अहमद ने अपने मुखिया जयंत चौधरी की तुलना मनमोहन सिंह और सुब्रमण्यम स्वामी से कर दी. मंगलवार को वरुणालय गेस्ट हाउस में पार्टी के संकल्प पत्र की घोषणा करने के दौरान उन्होंने अपने मुखिया जयंत चौधरी को देश के बड़े अर्थशास्त्रियों में शुमार किया. उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी विदेश से इकोनॉमिक्स पढ़ के आए हैं और देश के बड़े अर्थशास्त्रियों में से एक हैं.



पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह और सुब्रमण्यम स्वामी से तुलना करने के सवाल पर मसूद अहमद ने कहा कि अगर मैं पीएचडी हूं और किताब नहीं लिखी है तो क्या मैं विद्वान नहीं हूं. उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि जयंत चौधरी ने लंदन के यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की है. उन्होंने आगे कहा कि जयंत चौधरी में निखार आ रहा है. उन्होंने कहा कि यह मेरी राय है कि जयंत चौधरी के आचार, विचार, व्यवहार, मूल्य देखने के बाद कह रहा हूं कि जिस तरीके से लोक संकल्प पत्र तैयार किया गया है और जनता की समस्याओं को करीब से देखा है.

वहीं भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत को राष्ट्रीय लोक दल से जुड़ने के सवाल पर कहा कि टिकैत के परिवार से पुराना संबंध है. किसान आंदोलन एक समस्या को लेकर हुआ था. राकेश टिकैत पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं और अगर वह राष्ट्रीय लोक दल से लड़ना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. रालोद प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद ने कहा कि किसान आंदोलन में राष्ट्रीय लोक दल ने बहुत बड़ी कुर्बानी दी है. हमने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत सिंह को किसान आंदोलन की वजह से खोया है. इस आंदोलन को सजाने, संवारने में हमारे नेता अजित सिंह का बहुत बड़ा रोल था, उन्होंने कहा कि 82 साल की अवस्था में वह लोगों के बीच में संघर्ष करने के लिए निकले थे. कोरोना से ग्रस्त हो गये और बेचारे दुनिया से चले गये. उन्होंने कहा कि इस किसान आंदोलन में हमने अपना नेता खोया है.


वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगी होने के सवाल पर कहा कि मैं जिन्ना का आलोचक हूं. जिन्ना हमारे आइकन नहीं है. हमारे आइकन गांधी, सरदार पटेल, डॉक्टर अंबेडकर, चौधरी चरण सिंह हैं. उन्होंने कहा कि जिन्ना भारतीय जनता पार्टी के दोस्त हैं. इसलिए भारतीय जनता पार्टी के लोग अपनी जेबों में जिन्ना को संभाल कर चलते हैं.

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग जिन्ना से मिलकर सरकार बना चुके हैं और मैं समझता हूं कि जिन्ना आरएसएस की कठपुतली थे. आरएसएस के इशारे पर देश को तोड़ने का काम किया. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि देश टूटना नहीं चाहिए था. अगर जिन्ना ने बंटवारा नहीं मांगा होता तो यह देश एक होता. अगर देश एक होता तो हम सब स्वस्थ रहते.

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वहीं अखिलेश यादव द्वारा जिन्ना को सरदार पटेल के समान देशभक्त बताए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह इतिहास है. उन्होंने कहा कि इतिहास में कांग्रेस की हिस्ट्री देखेंगे. तो जिन्ना का नाम कई जगह आया है. उन्होंने कहा कि या तो उस किताब को जला दिया जाए या उस किताब से नाम हटा दिया जाएं. अखिलेश यादव ने उसी का जिक्र किया है जो कि इतिहास की किताबों में लिखा हुआ है. उन्होंने कहा कि इतिहास को नकारा नहीं जा सकता है और न मिटाया जा सकता है. अखिलेश यादव ने कहीं भी जिन्ना की तारीफ नहीं की है.


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