अलीगढ़ : महारानी लक्ष्मीबाई की शहादत दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को मलखान सिंह जिला अस्पताल के सभागार में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया गया. इस दौरान आजादी की लड़ाई में 24 वीरांगनाओं की कुर्बानी को याद किया गया. उनके परिवार को सम्मानित किया गया. जिला पंचायत अध्यक्ष विजया सिंह ने वीरांगनाओं पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया.
जिला पंचायत अध्यक्ष विजया सिंह ने कहा कि अलीगढ़ की गुमनाम महिला स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार को सम्मानित किया गया. गुमनाम महिला क्रांतिकारियों के परिजनों का सम्मान बहुत जरूरी है. ऐसे क्रांतिकारियों की वजह से ही हम आज स्वतंत्र भारत में रह रहे हैं. क्रांतिकारी परिवार से संबंध रखने वाले सुरेश चंद शर्मा ने बताया कि अलीगढ़ में कस्तूरी देवी, कृष्णा दुलारी, दुर्गा देवी, हेमलता और उर्मिला देवी, गंगा देवी, तोहफा देवी, स्वरूपा, हर प्यारी देवी ने देश की आजादी में अमूल्य योगदान दिया था.
आजादी के अमृत महोत्सव के जिला समन्वयक सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि अलीगढ़ की मातृशक्ति, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में योगदान दिया था. इनकी संख्या 24 है. हालांकि अभी केवल 13 के बारे में ही जानकारी एकत्र कर पाए हैं. उनके परिजनों को बुलाकर सम्मानित किया गया है. अलीगढ़ में सबसे पहले स्वरूपा नाम की महिला को अंग्रेजों ने फांसी दी थी. उनकी कब्र आज भी है. गुमनाम वीरांगनाओं के बारे में शासन प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया. जिला प्रशासन को कई बार बताया गया लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. गुमनाम वीरांगनाओं को इतिहास में भी जगह नहीं दी गई. बड़ी बात यह है कि उनके परिवार वालों को भी नहीं मालूम. तीसरी पीढ़ी भी अपने क्रांतिकारी पूर्वजों को नहीं जानती है.
सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि ऐसे गुमनाम क्रांतिकारियों को ढूंढ कर किताब की शक्ल दे रहे हैं. कोलकाता, लंदन, दिल्ली और देश के कई जगह से जानकारी एकत्र कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि 15 अगस्त तक 162 गुमनाम फ्रीडम फाइटर की किताब लोगों के सामने आ जाएगी.
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