अलीगढ़: जिले में एक महिला अपने मजबूत इरादों के साथ दूरदराज इलाकों, झोपड़पट्टी क्षेत्र और स्कूल में लड़कियों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रही है. रश्मि सिंह ने 2013 में 'विश यू हैप्पी पीरियड्स' अभियान चलाया. इस अभियान के तहत उन्होंने 50 हजार लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स में होने वाली परेशानियों को लेकर जागरूक किया है. उन्होंने किशोरियों के पीरियड्स की सम्पूर्ण गाइड 'विश यू हैप्पी पीरियड्स' नाम से किताब भी लिखी है. इसके साथ ही वे महिलाओं को 'मेरी सखी' नाम से बेहद सस्ता सैनिटरी पैड भी उपलब्ध करा रही हैं. पढ़िये ये खास रिपोर्ट...
बिना किसी सरकारी मदद के कर रहीं काम
स्वर्ण जयंती नगर की कनक रेजीडेंसी निवासी रश्मि सिंह से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि पीरियड्स के विषय पर महिलाएं खुलकर बात करने में संकोच करती हैं. रश्मि सैनिटरी पैड के इस्तेमाल पर जागरूकता के साथ-साथ महिलाओं को रोजगार की नई राह भी दिखा रही हैं. रश्मि बिना किसी सरकारी मदद के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रही हैं. उन्होंने बताया कि आज भी महिलाएं और किशोरियां माहवारी के दौरान घरेलू कपड़ा इस्तेमाल करने के कारण बीमार हो रही हैं. कुछ मामलों में तो महिलाओं की जान चली गई है. इतना ही नहीं, बच्चेदानी खराब होने की बात भी सामने आई है.
महिलाओं के पीरियड्स को लेकर स्कूलों में कर चुकी हैं 200 सेमिनार
रश्मि ने माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के लिए अभियान छेड़ रखा है. पावर प्वॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए हाई स्कूल, इंटर कॉलेज की छात्राओं को भी जागरूक कर रही हैं. उन्होंने गर्ल्स कॉलेज में अब तक 200 से अधिक सेमिनार किया है. उन्होंने अलीगढ़ के साथ गाजियाबाद, दिल्ली, कानपुर, झांसी, गोरखपुर आदि इलाकों में किशोरियों को पीरियड्स के प्रति जागरूक किया है. रश्मि के सहयोग से अलीगढ़ रेलवे स्टेशन, डीएस कॉलेज समेत कई स्थानों पर सैनिटरी पैड वेल्डिंग मशीन भी लगवाई गई है. रेलवे स्टेशन पर पांच रुपये का सिक्का डालने पर पैड मिल जाता है. वहीं अन्य स्थानों पर तो मुफ्त में पैड की सुविधा उपलब्ध है.
बदल रही है लोगों की सोच
रश्मि सिंह ने बताया कि जब वह स्कूलों में किशोरियों से मिलीं तो पता चला कि किशोरियों को सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक परेशानी थी. बच्चियों को जानकारी की आवश्यकता थी, इसलिए स्कूलों में सेमिनार की शुरुआत की. कहा कि स्कूलों की लड़कियां संकोच के चलते अपनी बात नहीं कह पाती हैं.
रश्मि बताती हैं कि शुरुआत में लोगों को जागरूक करने में बहुत परेशानी आई. लोग इस विषय पर बात नहीं करना चाहते थे. गांव के स्कूलों में ज्यादातर प्रिंसिपल पुरुष हैं और उन्हें काउंसिल करना बहुत मुश्किल रहा, लेकिन अब लोगों की सोच बदल रही है. अब स्कूल के लड़कियों के साथ ही प्रिंसिपल भी सेमिनार में बैठते हैं.
पीरियड्स के लेकर मिथक दूर कर रही है
पीरियड्स के बारे में जो मिथक और धारणाएं लोगों के बीच में है, उन्हें दूर करने का रश्मि प्रयास कर रही हैं. उन्होंने बताया कि पीरियड्स में आचार नहीं छूना, खेलने के लिए मना करना, लड़कियों को अपवित्र बताना, किचन में काम नहीं करना, नहाने नहीं देना, मंदिर में पूजा से मना करना आदि लोगों के बीच भ्रांतियां फैली हुई हैं.
उन्होंने बताया कि मुस्लिम लड़कियां मासिक धर्म के दौरान कई दिनों तक नहीं नहाती थीं, इससे उनके अंदर बीमारियां पनपती थी. कहा कि अगर साफ-सफाई का ख्याल नहीं रखेंगे तो आगे कैंसर जैसी घातक शरीर में फैल सकती है. कहा कि लड़कियों को बचपन से ही लोगों की सेवा करना सिखाया जाता है, लेकिन जब लड़कियां स्वस्थ रहेंगी तभी किसी की सेवा कर पाएंगी. इसके लिए पहले जरूरी है कि लड़कियों को स्वस्थ रहने की सीख दी जाए. उन्हें जागरूक किया जाए.