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जय किशनदास को भूला AMU प्रशासन, संस्थापक सैयद अहमद खान से था गहरा नाता

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ स्थित एएमयू के निर्माण में सहयोगी रहे राजा जय किशन को विश्वविद्यालय प्रशासन भुला बैठा है. संस्थापक सर सैयद अहमद खान के काफी करीबी माने जाने वाले राजा जय किशनदास का विश्वविद्यालय निर्माण में काफी योगदान रहा है, लेकिन उनके जन्मदिन पर ही कोई आयोजन नहीं किया.

जय किशन दास के जन्मदिन पर .
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Published : Nov 24, 2019, 6:17 PM IST

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के सबसे विश्वासपात्र लोगों में राजा जय किशन दास थे, जिनका कि आज जन्मदिन है. जब सर सैयद का ट्रांसफर बनारस हुआ था तो साइंटिफिक सोसाइटी की जिम्मेदारी राजा जय किशन दास को सौंपी गई थी.

राजा जय किशन दास का जन्मदिन भूल बैठा AMU प्रशासन.

इतना ही नहीं मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बनाने में भी राजा जय किशन दास ने सर सैयद अहमद खान का पूरा सहयोग किया था, लेकिन इतना सब होने के बाद आज एएमयू विश्वविद्यालय प्रशासन उनको ही भुला बैठा है.

सर सैयद अहमद खान के कार्यों से हुए थे प्रभावित
24 नवंबर 1832 को राजा जय किशन दास का जन्म मुरादाबाद में हुआ था. सर सैयद अहमद खां जब मुरादाबाद में थे तो उस समय वहां अकाल पड़ा था और लोगों की मौत हो रही थी. इस मुश्किल घड़ी में सर सैयद ने लोगों की मदद की थी. साथ ही विद्रोह में मारे गए लोगों के यतीम हुए बच्चों की परवरिश के लिए अनाथालय भी बनवाया था.

सर सैयद एक ऐसे महान पुरुष थे, जिन्होंने किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रखा था. राजा जय किशन दास को जब सर सैयद के कार्यों के बारे में पता चला तो वह बहुत प्रभावित हुए. हालांकि आज यानि 24 नवंबर को राजा जय किशन दास का जन्मदिन है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनको भुला दिया है.

इसे भी पढ़ें:- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की नींव पड़ने से पहले ही संस्कृत भाषा को दिया गया था महत्व

साइंटिफिक सोसाइटी के बने स्क्रेटरी
राजा जय किशन दास सन् 1862 में अलीगढ़ में तहसीलदार और डिप्टी कलेक्टर रहे. सर सैयद अहमद खान ने इसी समय साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की थी, लेकिन उनका तबादला बनारस हो गया. उसके बाद अपने सबसे खास व्यक्ति यानि राजा जयकिशन दास को उन्होंने साइंटिफिक सोसाइटी का सेक्रेटरी बना दिया.

एमएओ कॉलेज की रखी नींव
राजा जय किशनदास ने साइंटिफिक सोसाइटी के कार्यों को आगे बढ़ाया. सन् 1872 में जब मदरसा बना तो उसमें राजा जय किशन दास शामिल थे. 1877 में जब एमएओ कॉलेज की नींव रखी गई तो उस समय भी जय किशन दास अपने सबसे करीबी सर सैयद अहमद खान के साथ खड़े थे.

इसे भी पढ़ें:- अलीगढ़: भूख से तड़पकर 3 गोवंशों की मौत, आरोपों में घिरे चेयरमैन और अधिशाषी अधिकारी

जय किशनदास की गोद में करवाया पोते का बिस्मिल्लाह
राजा जय किशन दास ने सर सैयद अहमद खान के पोते रास मसूद की तालीम का बिस्मिल्लाह भी करवाया था. यह रस्म आलमी और मौलवी को बुलाकर ही होती है, लेकिन सर सैयद अहमद खान का कहना था कि यह रस्म राजा जय किशन दास की गोद में ही होगी.

उनका मानना था कि जो खूबियां राजा जय किशन दास में होगी, वह सारी मेरे पोते में भी आ जाएंगी. हिंदू-मुस्लिम एकता की सबसे बड़ी मिसाल तो सर सैयद आलम और राजा जय किशनदास ने पेश की थी. इस रस्म में पोते के नाम पर जो पांच सौ रुपये मिले थे, उसे भी एमएओ कॉलेज को दे दिया था.

इसे भी पढ़ें:- अलीगढ़: किसान जागरूकता मेले में पराली नहीं जलाने की दी गई चेतावनी

विश्वविद्यालय प्रशासन ने जय किशन दास के नाम पर रखे मेडल
एमएओ कॉलेज के निर्माण में राजा जय किशन दास के योगदान को देखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विशवविद्यालय ने उनके नाम से दो गोल्ड मेडल जारी किये. जो हिंदू विद्यार्थी विश्वविद्यालय में टॉप करेगा, उसे यह मेडल दिया जाएगा. वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनको याद रखने के लिए एक हॉस्टल भी बनवाया, जिसे राजा जय किशन दास हॉस्टल के नाम से जाना जाता है.

दानदाताओं की सूची में है जय किशनदास का नाम
वहीं स्ट्रेची हॉल में दानदाताओं की सूची में राजा जय किशनदास का नाम भी शामिल है. हाल ही में उनके नाम का पत्थर भी लगा है. एएमयू के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि जहां भी सर सैयद अहमद खान का नाम लिया जाएगा, वहां राजा जय किशनदास उनके साथ खड़े नजर आएंगे.

इसे भी पढ़ें:- अलीगढ़: प्राइमरी स्कूलों में छात्रों को बांटे गए स्वेटर

अलीगढ़: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के सबसे विश्वासपात्र लोगों में राजा जय किशन दास थे, जिनका कि आज जन्मदिन है. जब सर सैयद का ट्रांसफर बनारस हुआ था तो साइंटिफिक सोसाइटी की जिम्मेदारी राजा जय किशन दास को सौंपी गई थी.

राजा जय किशन दास का जन्मदिन भूल बैठा AMU प्रशासन.

इतना ही नहीं मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बनाने में भी राजा जय किशन दास ने सर सैयद अहमद खान का पूरा सहयोग किया था, लेकिन इतना सब होने के बाद आज एएमयू विश्वविद्यालय प्रशासन उनको ही भुला बैठा है.

सर सैयद अहमद खान के कार्यों से हुए थे प्रभावित
24 नवंबर 1832 को राजा जय किशन दास का जन्म मुरादाबाद में हुआ था. सर सैयद अहमद खां जब मुरादाबाद में थे तो उस समय वहां अकाल पड़ा था और लोगों की मौत हो रही थी. इस मुश्किल घड़ी में सर सैयद ने लोगों की मदद की थी. साथ ही विद्रोह में मारे गए लोगों के यतीम हुए बच्चों की परवरिश के लिए अनाथालय भी बनवाया था.

सर सैयद एक ऐसे महान पुरुष थे, जिन्होंने किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रखा था. राजा जय किशन दास को जब सर सैयद के कार्यों के बारे में पता चला तो वह बहुत प्रभावित हुए. हालांकि आज यानि 24 नवंबर को राजा जय किशन दास का जन्मदिन है, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनको भुला दिया है.

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साइंटिफिक सोसाइटी के बने स्क्रेटरी
राजा जय किशन दास सन् 1862 में अलीगढ़ में तहसीलदार और डिप्टी कलेक्टर रहे. सर सैयद अहमद खान ने इसी समय साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की थी, लेकिन उनका तबादला बनारस हो गया. उसके बाद अपने सबसे खास व्यक्ति यानि राजा जयकिशन दास को उन्होंने साइंटिफिक सोसाइटी का सेक्रेटरी बना दिया.

एमएओ कॉलेज की रखी नींव
राजा जय किशनदास ने साइंटिफिक सोसाइटी के कार्यों को आगे बढ़ाया. सन् 1872 में जब मदरसा बना तो उसमें राजा जय किशन दास शामिल थे. 1877 में जब एमएओ कॉलेज की नींव रखी गई तो उस समय भी जय किशन दास अपने सबसे करीबी सर सैयद अहमद खान के साथ खड़े थे.

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जय किशनदास की गोद में करवाया पोते का बिस्मिल्लाह
राजा जय किशन दास ने सर सैयद अहमद खान के पोते रास मसूद की तालीम का बिस्मिल्लाह भी करवाया था. यह रस्म आलमी और मौलवी को बुलाकर ही होती है, लेकिन सर सैयद अहमद खान का कहना था कि यह रस्म राजा जय किशन दास की गोद में ही होगी.

उनका मानना था कि जो खूबियां राजा जय किशन दास में होगी, वह सारी मेरे पोते में भी आ जाएंगी. हिंदू-मुस्लिम एकता की सबसे बड़ी मिसाल तो सर सैयद आलम और राजा जय किशनदास ने पेश की थी. इस रस्म में पोते के नाम पर जो पांच सौ रुपये मिले थे, उसे भी एमएओ कॉलेज को दे दिया था.

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विश्वविद्यालय प्रशासन ने जय किशन दास के नाम पर रखे मेडल
एमएओ कॉलेज के निर्माण में राजा जय किशन दास के योगदान को देखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विशवविद्यालय ने उनके नाम से दो गोल्ड मेडल जारी किये. जो हिंदू विद्यार्थी विश्वविद्यालय में टॉप करेगा, उसे यह मेडल दिया जाएगा. वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनको याद रखने के लिए एक हॉस्टल भी बनवाया, जिसे राजा जय किशन दास हॉस्टल के नाम से जाना जाता है.

दानदाताओं की सूची में है जय किशनदास का नाम
वहीं स्ट्रेची हॉल में दानदाताओं की सूची में राजा जय किशनदास का नाम भी शामिल है. हाल ही में उनके नाम का पत्थर भी लगा है. एएमयू के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि जहां भी सर सैयद अहमद खान का नाम लिया जाएगा, वहां राजा जय किशनदास उनके साथ खड़े नजर आएंगे.

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Intro:अलीगढ़ : अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान के सबसे विश्वासपात्र लोगों में राजा जय किशन दास थे. जब सर सैयद का ट्रांसफर बनारस हुआ था. तो साइंटिफिक सोसाइटी की जिम्मेदारी राजा जय किशन दास को सौंपी थी. इतना ही नहीं मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज बनाने में सर सैयद अहमद खान का पूरा सहयोग किया था. 24 नवंबर 1832 को राजा जय किशन दास का जन्म मुरादाबाद में हुआ था. सर सैयद अहमद खां जब मुरादाबाद में थे. उस समय वहां अकाल पड़ा था. जिसमें लोग मर रहे थे. वहां सर सैयद ने लोगों की मदद की थी. इतना ही नहीं विद्रोह में मारे गए लोगों के  यतीम हुए बच्चों  की परवरिश के लिए अनाथालय भी बनाया था. सर सैयद ने किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रखा था. राजा जय किशन दास को जब सर सैयद के कामों के बारे में पता चला तो वे इससे प्रभावित हुए और उसी दिन से सर सैयद अहमद खान से एक रिश्ता कायम हो गया. हांलाकि उनका जन्म दिन आज है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनको  भूला दिया है. 

 



Body:राजा जय किशन दास सन् 1862 में अलीगढ़ में तहसीलदार व डिप्टी कलेक्टर रहे . सर सैयद अहमद खान ने इसी समय साइंटिफिक सोसाइटी की स्थापना की थी. लेकिन उनका तबादला बनारस हो गया. फिर साइंटिफिक सोसाइटी का सेक्रेटरी राजा जय किशन दास को बनाया.  सर सैयद अहमद खान के सबसे करीब लोगों में राजा जय किशन दास थे. उन्होंने साइंटिफिक सोसाइटी के कामों को आगे बढ़ाया. सन् 1872 में जब मदरसा बनाया. उसमें राजा जय किशन दास शामिल थे. 1877 में जब एम ए ओ कॉलेज की नींव रखी गई. उस समय भी सर सैयद अहमद खान के साथ खड़े थे. राजा जय किशन दास ने सर सैयद अहमद खान के पोते रास मसूद की तालीम का बिस्मिल्लाह भी करवाया था. यह एक मजहबी रस्म होती है. जिसमें आलमी व मौलवी को बुला कर कराते हैं. लेकिन सर सैयद अहमद खान ने कहा कि यह रस्म राजा जय किशन दास की गोद में होगा. सर सैय्यद ने कहा था कि जो खुबियां राजा जय किशन दास में है. वह मेरे पोते में भी आये. हिंदू मुस्लिम एकता की सबसे बड़ी मिसाल है. जो सर सैयद अहमद खान ने कायम की थी. इस रस्म में पोते के नाम पर जो पांच सौ रुपये मिले थे. उसे सर सैयद अहमद खान ने एमएओ कॉलेज को दे दिया. 



Conclusion: राजा जय किशन दास का सर सैयद अहमद खान से बहुत गहरा ताल्लुक था. राजा जय किशन का 13 अप्रैल 1906 में निधन हो गया था. एमएओ कॉलेज के निर्माण में राजा जय किशन दास के योगदान को देखते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विशवविद्यालय ने उनके नाम से दो गोल्ड मेडल जारी किये. जो हिंदू लड़का विश्वविद्यालय में टॉप करेगा. उसे यह मेडल दिया जाएगा. वही विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्णय लिया कि उनको याद रखने के लिए उनके नाम से एक हॉस्टल भी बनाए गया. जिसे राजा जय किशन दास हॉस्टल के नाम से जानते हैं. वही स्ट्रेची हॉल में दानदाताओं की सूची में राजा जय किशन दास का नाम भी शामिल है. हाल में उनके नाम का पत्थर भी लगा है. एएमयू के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि जहां भी सर सैयद अहमद खान का नाम लिया जाएगा. वहां राजा जय किशन दास साथ खड़े नजर आएंगे. 

बाइट - राहत अबरार , सहायक मेंबर इंचार्ज, एएमयू

आलोक सिंह, अलीगढ़ 
9837830535


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