अलीगढ़ : मिट्टी से बर्तन को आकार देने वाले कारीगर कोरोना की दूसरी लहर से खासे परेशान हैं. पिछले वर्ष लॉकडाउन की वजह से इनकी हालत बिगड़ गई थी. अभी पिछले साल की मार से ये पूरी तरह उबर भी नहीं पाए थे कि कोरोना की दूसरी लहर और संक्रमण के बढ़ते मामले ने इनके धंधे को चौपट कर दिया. चाकों पर मिट्टी से बर्तन तैयार करने वाले एक बार फिर कोरोना से डरे व सहमे हुए हैं. इन्हें डर बीमारी से नहीं बल्कि अपनी गरीबी, बेबसी और लाचारी से लगता है.
मिट्टी के बर्तन बेचकर होता है गुजारा
जिले के क्वारसी के रहने वाले गुड्डू अपने परिवार के साथ 20 वर्षों से कुम्हार का काम कर रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना के कहर की वजह से उनकी हालत पहले से ही खराब है. इस बार भी ऐसा ही लग रहा है. दूसरी लहर के बाद चेहरे पर शिकन और चिंता साफ झलक रही है.
कोरोना के चलते बिक्री पर पड़ रहा असर
पहले नवरात्रि के मौके पर अमूमन 100 से 150 कलश की डिमांड होती थी. कोरोना के चलते अब वह 50 की ही रह गई है. ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. वैसे भी चाइनीज वाटर कूलर आने से मिट्टी के कलशों की बिक्री पर असर पड़ा है. गर्मी शुरू होते ही घड़ों की बिक्री भी बढ़ जाती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के दौर में लोग गुनगुना पानी पीना पसंद कर रहे हैं, इससे घड़ों की बिक्री पर भी असर पड़ रहा है.
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