अलीगढ़: जिले में जहरीली शराब (Poisonous Liquor) से मरे लोगों के परिजनों की आंखों में आंसुओं का समंदर है. इस जहरीली शराब ने कई परिवार उजाड़ दिए हैं. किसी का एकलौता बेटा छीन लिया, तो किसी का सुहाग उजड़ गया. बच्चे बिलख रहे हैं तो परिजन बेसुध पड़े हैं. गांव की सड़कें भी वीरान हो गई है. जिस जिला प्रशासन को जहरीली शराब रोकने के लिए गाड़ियां दौड़ानी थी. अब गांव श्मशान होने पर गाड़ियां दौड़ा रहा है.
'शराब के ठेके में आग लगाना चाहते हैं परिजन'
करसुआ गांव में अपने स्वजनों की मौत पर लोग बिलख रहे हैं. गांव में 100 साल की उम्र की द्रोपा देवी अपने परिवार में अपने बेटे सुभाष को खो चुकी है और पोता अस्पताल में भर्ती है. द्रोपा देवी ने बताया कि अब तक हमने अपनी जीवन में ऐसा नजारा नहीं देखा. जिस शराब के ठेके से अपनों की मौत हुई. द्रोपा देवी उसे आग में झोंक देना चाहती है.
राजवती ने खोया इकलौता बेटा
करसुआ की रहने वाली राजवती देवी ने अपने इकलौते बेटे सुनील को खो दिया. राजवती बताती है कि कभी-कभी बेटा किसी के साथ में शराब पी लेता था. रोज नहीं पीता था. राजवती बताती है कि इतनी कमाई नहीं थी कि दारु पिए. आंखों में आसू लेकर अपने बेटे को याद करते हुए कहती हैं कि इस ठेके को आग लगा देंगे. लेकिन अब वीरान जिंदगी में राजवती का कोई नहीं है.
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शराब के ठेके का हुआ विरोध
करसुआ के रहने वाले रामगोपाल बताते हैं कि इससे पहले कभी इस तरह की घटना नहीं हुई. जिसने एक घूंट भी पिया. उसकी मौत हो रही है और जिसने पूरा शराब का पव्वा पिया, उसकी भी मौत हो गई. हरदेव कहते हैं कि जहरीली शराब ने नई-नई उम्र के लड़कों को छीन लिया. देसी ठेका का कई बार विरोध किया गया. लेकिन पुलिस चुपचाप बैठी रही. वहीं जहरीली शराब ने लोगों के परिवार को गहरा जख्म दिया है.