अलीगढ: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में स्थित मौलाना आजाद लाइब्रेरी अन्य लाइब्रेरी से अलग है. यह एशिया की दूसरी बड़ी लाइब्रेरी में शुमार है. इसे एक अंग्रेज अफसर के नाम पर शुरू किया गया था. लाइब्रेरी सात मंजिला इमारत में बनी हुई है. इस पुस्तकालय में किताबों का बेहतरीन संग्रह है. दुर्लभ पुस्तकों के जरिए छात्र यहां आकर अपने रिसर्च कार्य को पूरा करते हैं. वहीं लेखक किताब लिखने से पहले मौलाना आजाद लाइब्रेरी का विजिट करते हैं.
यह पुस्तकालय 4.75 एकड़ में फैला हुआ है. इसमें करीब 15 लाख किताबें हैं. 1960 में इसे मौलाना आजाद लाइब्रेरी का नाम दिया गया. उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इसकी इमारत का उद्घाटन किया था. मौलाना आजाद लाइब्रेरी देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ऐसी पहली लाइब्रेरी है, जिसे आईएसओ प्रमाण पत्र मिला है. इसमें रखी 80 फीसदी पांडुलिपियों को डिजिटलाइज किया गया है.
नेहरू ने किया था उद्घाटन
इस सेंट्रल लाइब्रेरी में 15 लाख किताबें मौजूद हैं. इसमें 55 हजार से अधिक रिसर्च जनरल की कॉपी मौजूद हैं. इस लाइब्रेरी की नींव अंग्रेज वायसराय लॉर्ड लिटन ने सन् 1877 में रखी थी. जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के नाम से जाना जाता था, उस समय इस लाइब्रेरी को लिटन लाइब्रेरी के नाम से जानते थे. वहीं 1960 तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सात मंजिला इमारत का उद्घाटन करते हुए इसका नाम मौलाना आजाद लाइब्रेरी रखा. मौलाना आजाद शिक्षाविद, फ्रीडम फाइटर और देश के पहले शिक्षा मंत्री रहे थे. इस लाइब्रेरी में दुर्लभ पांडुलिपियां मौजूद हैं. उर्दू, पर्सियन व अरेबिक भाषा की किताबें रखी हुई हैं. दुर्लभ पांडुलिपियों के सेक्शन में करीब 16 हजार से अधिक हिंदू और मुस्लिम धर्म से जुड़े हुए मैन्युस्क्रिप्ट हैं. लाइब्रेरी में 18वीं और 19वीं शताब्दी की किताबें भी हैं.
एक दिन में करते हैं साढ़े आठ हजार छात्र विजिट
एएमयू में 35 हजार से अधिक छात्र शिक्षा का अर्जन कर रहे हैं. सामान्य दिनों में करीब साढ़े आठ हजार छात्र इस लाइब्रेरी में विजिट करते हैं. लाइब्रेरी का कलेक्शन बहुत यूनिक है. उर्दू में यहां डेढ़ लाख से ज्यादा किताबों का संग्रह है, जिसमें साइंटिफिक कलेक्शन भी है. हिस्ट्री और इंडियन कल्चर खासतौर से मुस्लिम कल्चर की किताबों का एक बड़ा संग्रह है. लॉकडाउन से पहले 24 घंटे लाइब्रेरी खुलती थी. लाइब्रेरी का एडवांसमेंट भी है. इसमें ई-रिसोर्सेस शामिल है, जिसमें ई-डेटाबेस, ई-बुक और ई-जर्नल्स शामिल हैं.
किताबों को सुरक्षित रखने के लिए कंजर्वेशन लैब
मौलाना आजाद लाइब्रेरी में लंबे समय तक किताबों को संग्रह करने के लिए कंजर्वेशन लैब बनाई गई है. इसमें किताबों को संरक्षित करते हैं. लाइब्रेरी में ऑनलाइन पब्लिक एक्सेस कैटलॉग है, जिसे छात्र लेखक, टाइटल, पब्लिशर और एडिशन से किताबें व जर्नल्स खोज लेते हैं और सभी तरह के डॉक्यूमेंट को सर्च करने के लिए केवल एक सर्च विंडो बनाया गया है.
मुगल दौर की दुर्लभ किताबें व पेंटिग्स हैं सुरक्षित
लाइब्रेरी में रामायण, महाभारत, पुराण और गीता का अरबी व फारसी में मुगलों के दौर में अनुवाद की गईं किताबें मौजूद हैं. पामलीफ पर तेलुगू व मलयालय में लिखी आर्युवेद मौजूद है. रिसर्च करने के लिए लाइब्रेरी में लोग आते हैं और यहां संदर्भ लेने के लिए किताबों के संग्रह को देखते हैं. हालांकि विश्वविद्यालय में मौलाना आजाद लाइब्रेरी एक सेंटर लाइब्रेरी है, लेकिन इसके अधीन विभिन्न विभागों में 114 लाइब्रेरी भी इससे जुड़ी हैं.
इसके म्यूजियम में मैन्युस्क्रिप्ट सेक्शन बहुत महत्वपूर्ण है. जहांआरा का लिखा हुआ हाथ का पवित्र कुरान है. वहीं इस्लाम धर्म के चौथे खलीफा हजरत अली का लिखा हुआ कुरान भी मौजूद है. अकबर के समय में धार्मिक ग्रंथों का फारसी में अनुवाद कराया गया अनुवाद भी मौजूद है. मुगल दौर की पेंटिंग्स भी यहां सुरक्षित हैं, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में आंकी जाती है. यहां डिजिटल सोर्स का बहुत अच्छा संसाधन है. शोधगंगा प्रोजेक्ट भी चल रहा है.
एएमयू के जनसम्पर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि खुशवंत सिंह ने जब हिस्ट्री ऑफ सिख लिखी तो इस लाइब्रेरी में आकर किताबों के संग्रह का उपयोग किया. बड़े-बड़े विद्वान जिनको किताबें लिखनी होती हैं और रेफरेंस लेना होता है तो वो इस लाइब्रेरी की मदद लेते हैं. यहां उस दौर का संग्रह भी है, जब कागज प्रचलन में नहीं था और पर्चमेंट (पशुओं की आंत) पर लिखा जाता था. राहत अबरार बताते हैं कि देश के नवाबों और जमीदारों ने अपनी लाइब्रेरी की दुर्लभ किताबें डोनेट की हैं.
साहित्यिक चोरी का लगा सकते हैं पता
मौलाना आजाद लाइब्रेरी में रीडर्स सर्विस डिवीजन बनाया गया है. इसमें रिसर्च स्कॉलर के लिए अलग डिवीजन है. सामान्य छात्रों के लिए जनरल हॉल है. लड़कियों के लिए भी अलग रीडिंग हॉल बनाया गया है. नेत्रहीन लोगों के लिए ब्रेल सेक्शन मौजूद है. उर्दू, पर्सियन और अरेबिक भाषा का अलग डिवीजन बनाया गया है. सर सैयद से जुड़ी किताबों का भी सेक्शन अलग बनाया गया है. मौलाना आजाद लाइब्रेरी का 2018-19 का बजट दो करोड़ 61 लाख 44 हजार रुपये का रहा, जिसमें पांडुलिपियों के संरक्षण, फर्नीचर, लाइब्रेरी बिल्डिंग, कंप्यूटर मेंटेनेंस, डिजिटलाइजेशन, ऑनलाइन डाटाबेस, इलेक्ट्रॉनिक्स और बुक बाइंडिंग पर खर्च किया गया. नई किताबों का भी यहां बेहतरीन कलेक्शन किया जाता है. इस लाइब्रेरी में साहित्यिक चोरी (plagiarism) का पता भी आसानी से लगाया जा सकता है. रिसर्च पेपर, डिजर्टेशन, किताबें यहां चेक की जा सकती हैं.