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1987 से बदहाली झेल रहा अलीगढ़ का यह पंचायत भवन - अलीगढ़ जिरौली डोर पंचायत

गांवों के विकास को देखते हुए देश में ग्राम पंचायत की व्यवस्था की गई थी. स्वतंत्र संस्था के रूप में काम करने वाली इन पंचायतों में ग्राम सभा की बैठकों के लिए पंचायत भवन भी बनाए गए थे, लेकिन यूपी के अलीगढ़ में जिरौली डोर गांव का पंचायत भवन महज सफेद हाथी बनकर रह गया है.

सालों से बदहाल पंचायत भवन.
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Published : Jul 10, 2019, 10:41 AM IST

अलीगढ़: जनपद के लोधा ब्लॉक के गांव जिरौली डोर का पंचायत घर पिछले तीन दशकों से बदहाल पड़ा हुआ है. अधिकारियों की अनदेखी के चलते जर्जर हो चुकी इमारत के परिसर में झाड़ियां उग आई हैं. गांव के लोगों ने इसकी शिकायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से की, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है.

सालों से बदहाल झेल रहा पंचायत भवन.

पंचायत घर बना खंडहर

  • जिरौली डोर के पंचायत घर का निर्माण सन् 1987 में हुआ था.
  • ग्राम सभा की बैठक के लिए पंचायत घर का निर्माण कराया गया था.
  • इसके बाद से ही यह पंचायत घर बदहाल होता गया और किसी ने इसे संजीदगी से नहीं लिया.
  • पंचायत बैठने के लिए बने भवन में पंचायत लगना बंद हो गई.
  • खंडहर में तब्दील हो चुके पंचायत घर में सरकार ने वाई फाई सिस्टम भी लगा दिया लेकिन यह भी काम नहीं करता है.
  • केवल कागजों में ही डिजिटल इंडिया चल रहा है.
  • पंचायत घर की दीवारें टूटी पड़ी हैं.
    etv bharat
    1987 में हुआ था पंचायत घर का निर्माण.

कई बार अधिकारियों को जर्जर भवन के बारे में अवगत कराया जा चुका है, लेकिन जिले के अधिकारियों ने कभी ध्यान नहीं दिया. ऐसी स्थिति में ग्राम सभा की बैठक भी नहीं हो पाती है.
-आनंद पाल, ग्राम प्रधान

अलीगढ़: जनपद के लोधा ब्लॉक के गांव जिरौली डोर का पंचायत घर पिछले तीन दशकों से बदहाल पड़ा हुआ है. अधिकारियों की अनदेखी के चलते जर्जर हो चुकी इमारत के परिसर में झाड़ियां उग आई हैं. गांव के लोगों ने इसकी शिकायत कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से की, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है.

सालों से बदहाल झेल रहा पंचायत भवन.

पंचायत घर बना खंडहर

  • जिरौली डोर के पंचायत घर का निर्माण सन् 1987 में हुआ था.
  • ग्राम सभा की बैठक के लिए पंचायत घर का निर्माण कराया गया था.
  • इसके बाद से ही यह पंचायत घर बदहाल होता गया और किसी ने इसे संजीदगी से नहीं लिया.
  • पंचायत बैठने के लिए बने भवन में पंचायत लगना बंद हो गई.
  • खंडहर में तब्दील हो चुके पंचायत घर में सरकार ने वाई फाई सिस्टम भी लगा दिया लेकिन यह भी काम नहीं करता है.
  • केवल कागजों में ही डिजिटल इंडिया चल रहा है.
  • पंचायत घर की दीवारें टूटी पड़ी हैं.
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    1987 में हुआ था पंचायत घर का निर्माण.

कई बार अधिकारियों को जर्जर भवन के बारे में अवगत कराया जा चुका है, लेकिन जिले के अधिकारियों ने कभी ध्यान नहीं दिया. ऐसी स्थिति में ग्राम सभा की बैठक भी नहीं हो पाती है.
-आनंद पाल, ग्राम प्रधान

Intro:अलीगढ़ : अलीगढ़ में लोधा ब्लॉक का गांव  जिरौली डोर का पंचायत घर पिछले 30 साल से बदहाल है. जिरौली डोर के पंचायत घर का निर्माण सन् 1987 में हुआ था. उससे बाद अधिकारियों की अनदेखी के चलते यह पंचायत घर अपनी बदहाली की कहानी बता रहा है. गांववासियों का आरोप है कि जिले के अधिकारियों ने केवल आश्वासन दिया. जबकि पंचायत घर के मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया.  पंचायत घर की इमारत खंडहर में तब्दील हो चुकी है. खास बात यह है कि खंडहर हो चुके पंचायत घर पर वाई फाई सिस्टम लगा रखा है. लेकिन यह भी काम नहीं करता है. केवल कागजों में ही डिजिटल इंडिया चल रहा है. 





Body:इस पंचायत घर का लाभ ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है. ग्राम सभा की बैठक के लिए पंचायत घर का निर्माण कराया गया था. पंचायत घर में अंदर घुसते ही गंदगी दिखेगी तो वही दीवारे टूटी पड़ी है. वर्षों से रंगाई पुताई भी नहीं हुई है. दूर से ही यह भवन खंडहर के रूप में दिखाई देता है. गांव के प्रधान आनंदपाल ने बताया कि कई बार अधिकारियों को जर्जर भवन के बारे में अवगत कराया गया लेकिन जिले के अधिकारियों ने कभी ध्यान नहीं दिया.



Conclusion:सोचने वाली बात है कि ग्राम पंचायतों के विकास के लिए करोड़ों रुपए दिये जाते हैं तो फिर ग्राम पंचायतें बदहाल क्यों है. जिस तरह देश संसद से चलता है. वैसे ही गांव ग्राम पंचायत से चलती हैं. लेकिन ग्राम पंचायत को दिया जाने वाला धन का उपयोग नहीं किया जा रहा है. जिससे गांव की किस्मत नहीं बदल रही है. 

बाइट - आनंद पाल , प्रधान, जिरौली डोर
बाइट - कृष्ण कांत, ग्रामीण

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535


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