अलीगढ़ : जिले में होलिका दहन में पेड़ों की लकड़ी के बजाए गोबर से बनी गोकाष्ठ का प्रयोग करने की अपील की जा रही है. हालांकि होलिका दहन में हर जगह चौराहे पर सैकड़ों क्विंटल लकड़ी जलाई जाती है. वहीं गोबर से बने गोकाष्ठ का प्रयोग करने से पर्यावरण सुरक्षित रहने का संदेश दिया जा रहा है. इससे गोशालाओं की भी मदद होगी. रामतीर्थ मिशन गोशाला चलाने वाले राकेश रामचंद्र ने बताया कि गोकाष्ठ का प्रयोग करने से पर्यावरण की सुरक्षा होगी. वहीं गोशालाओं को भी सहयोग मिलेगा.
जिले में दर्जनों गोशालाएं चलती हैं. वहीं गोशाला प्रबंधक राकेश रामसन कहते हैं कि जिला प्रशासन की तरफ से निर्देश दिए गए हैं. लेकिन समाज के अंदर भी जागरूकता आनी चाहिए. जहां लकड़ी को नहीं जलाने पर लोगों को जागरूक करना है तो वहीं होलिका दहन व अन्य संस्कारों में गोबर से बनी गोकाष्ठ का प्रयोग करने पर जोर देना है.
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गोकाष्ठ का ईंधन पवित्र होता है
सोमवार को होली है. उससे पहले विभिन्न चौराहों पर होलिका दहन किया जाएगा, जिसमें कई कुंतल लकड़ियां लग जाती हैं. वहीं गोशाला चलाने वाले गोबर से बनी गौकाष्ठ के प्रयोग करने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं, जिससे पेड़ों का संरक्षण हो सके और पर्यावरण शुद्ध हो. राकेश रामसन बताते हैं कि गोकाष्ठ एक पवित्र ईंधन है और इसके धुएं से रोगाणु व विषाणु भी समाप्त हो जाते हैं.